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Friday, February 22, 2008

बेलग्रेड में अमरीकी दूतावास पर हमला

कोसोवो को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने का विरोध कर रहे लोगों ने सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में पश्चिमी देशों के कई दूतावासों को अपना निशाना बनाया है।

सबसे बड़ा हमला अमरीकी दूतावास पर हुआ है। नक़ाब पहने प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के एक हिस्से में आग लगा दी।

दूतावास परिसर से एक बुरी तरह जला हुआ शव मिला है। हालाँकि अभी तक मृत व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई है।

एक वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी का कहना है कि दूतावास के सभी अमरीकी कर्मचारी संपर्क में हैं और हो सकता है कि जला हुआ शव अंदर घुसे किसी प्रदर्शनकारी का हो।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इन घटनाओं की निंदा की है।

उधर अमरीका ने आरोप लगाया है कि सर्बिया सरकार ने उसके दूतावास को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई।

अमरीका के अलावा ब्रिटेन, बेल्जियम, क्रोएशिया और तुर्की के दूतावासों पर भी हमले हुए हैं।

बेलग्रेड स्थित सर्बियाई संसद के बाहरी इलाक़ों में धुएँ का गुबार देखा जा सकता है। सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़े हैं।

विरोध

उल्लेखनीय है कि जर्मनी और अमरीका के अलावा कई देशों ने कोसोवो की संसद के उस प्रस्ताव को समर्थन दिया है जिसमें उन्होंने आज़ादी की घोषणा कर दी है।

इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में और बाद में यूरोपीय संघ में भी मतभेद खुल कर सामने आ चुके हैं।

बेलग्रेड में बीबीसी संवाददाता का कहना है कि संसद के बाहर हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सर्बिया के प्रधानमंत्री का भाषण सुनने जुटे जहां प्रधानमंत्री ने एक भावुक भाषण दिया।

अपने भाषण में प्रधानमंत्री वोजिस्लाव कोस्तुनिका ने कोसोवो की आज़ादी की घोषणा की कड़ी निंदा की और कहा कि पश्चिमी देश सिर्फ सर्बिया पर दबाव डाल रहे हैं कि वो अपनी पहचान छोड़ दे।

उल्लेखनीय है कि सर्बिया के लोग कोसोवो को अपनी पहचान से जो़ड़कर देखते हैं।

1990 के दशक में यूगोस्लाविया के विभाजन के बाद मुख्य रुप से तीन देश बने क्रोएशिया, सर्बिया और बोस्निया हर्जेगोविना।

कोसोवो सर्बिया का एक हिस्सा है जो बहुत पहले से ही सर्बिया से अलग होने के लिए लड़ता रहा है और क़रीब छह सात साल पहले इसे संयुक्त राष्ट्र के अधीन घोषित कर दिया गया था।

अब कोसोवो की संसद ने खुद को आज़ाद घोषित कर दिया है जिसे पश्चिमी देशों का समर्थन मिल रहा है। इससे सर्बिया काफ़ी नाराज़ है और उसे रुस का समर्थन मिला हुआ है।