अमरीकी राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन ने दोहराया है कि इराक़ से सेना की वापसी होना चाहिए।
जबकि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जॉन मैक्केन ने पार्टी लाइन पर बने रहकर कहा है कि सेना की वापसी ख़तरनाक हो सकती है और अलक़ायदा फिर से ताक़तवर हो जाएगा।
इराक़ में अमरीका के सबसे वरिष्ठ कमांडर जनरल डेविड पेट्रियस ने वॉशिंगटन में चल रही संसद की सुनवाई में कहा है कि इराक़ में अमरीकी सैनिकों की मौजूदगी अभी ज़रूरी है और जुलाई से सैनिकों की वापसी के कार्यक्रम पर पुरर्विचार किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इराक़ पर हमले के पाँच सालों में चार हज़ार से अधिक अमरीकी सैनिकों की मौत हो गई है और अब वहाँ सैनिकों की मौजूदगी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनी हुई है।
अपना-अपना राग
आमतौर पर सीनेट का कमेटी रुम राजनीतिक प्रहसनों का मंच बना होता है और इराक़ के मामले में हो रही सुनवाई में राष्ट्रपति चुनाव के तीनों भावी उम्मीदवार अपने-अपने नाटकीय अंदाज़ में प्रस्तुत थे।
वे चुनाव प्रचार के लिए उपयोग में आने वाली अपनी सबसे अच्छी पंक्तियों के साथ हाज़िर थे और उन्होंने पूरी तैयारी की थी।
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि यदि वे राष्ट्रपति बनीं तो इराक़ से अमरीकी सैनिकों की वापसी साठ दिनों के भीतर शुरु हो जाएगी।
हालांकि बराक ओबामा की लाइन इससे कुछ अलग थी और उन्होंने कहा कि सेना की वापसी के लिए एक टाइमटेबल बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इराक़ के मामले में ईरान से भी बात करनी चाहिए।
लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के अधिकृत उम्मीदवार होने जा रहे जॉन मैक्केन ने कहा कि इस समय सेना की वापसी ठीक नहीं होगी।
उनका कहना था कि इससे अलक़ायदा फिर मज़बूत हो सकता है।
सुरक्षा
लेकिन इराक़ में अमरीकी सेना की कमान संभाले हुए जनरल पैट्रियस ने कहा कि सरकार को जुलाई से सैनिकों की वापसी के कार्यक्रम पर पुनर्विचार करना चाहिए।
जनरल पैट्रियस
जनरल पैट्रियस को लगता है कि इराक़ सुरक्षा में अभी स्थायित्व नहीं है
उन्होंने कहा कि इराक़ में सुरक्षा के मामले में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है हालांकि यह सभी जगह एक समान नहीं है।
उनका कहना था कि गर्मियों में एक बार इराक़ में सैनिकों की संख्या के बारे में फिर से आकलन करने की ज़रुरत होगी।
उन्होंने माना कि पिछले दिनों बसरा में हुए ऑपरेशन की योजना ठीक तरह से नहीं बनी थी।
उन्होंने सांसदों को बताया कि पिछले सितंबर में उन्होंने इराक़ की जो स्थिति बताई थी अब उसमें काफ़ी सुधार हुआ है।
लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि वहाँ सुधार की वास्तविक स्थिति अभी भी बहुत नाज़ुक है और यह स्थिति पलट भी सकती है।
यानी सब कुछ अभी भी अमरीकी और इराक़ी फ़ौजों के हाथ में नहीं है।
दो दिनों की सुनवाई के पहले दिन इराक़ में अमरीका के राजदूत रायन क्रॉकर ने संसद को इराक़ की स्थिति की ताज़ा स्थिति से अवगत कराया।
Showing posts with label ईराक. Show all posts
Showing posts with label ईराक. Show all posts
Wednesday, April 9, 2008
Thursday, January 17, 2008
इराक़ के आर्थिक विकास की तारीफ़
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ़) और संयुक्त राष्ट्र ने इराक़ के आर्थिक और राजनीतिक विकास की तारीफ़ की है।
आईएमएफ़ के मध्यपूर्व और मध्य एशिया विभाग के निदेशक मोहसिन ख़ान का कहना है कि अगले साल इराक़ के विकास में महत्वपूर्ण तेज़ी दिख सकती है।
दूसरी ओर इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के दूत स्टैफ़न डेमिस्टूरा ने कहा है कि वे इराक़ में चल रहे राजनीतिक चर्चाओं से उत्साहित हैं और इसके लिए सरकार को बधाई देना चाहते हैं।
दो अहम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की ये टिप्पणियाँ संयोगवश ऐसे समय पर आई हैं जब इराक़ के पिछले कुछ सप्ताह अपेक्षाकृत अच्छे गुज़रे हैं।
पिछले कुछ हफ़्तों में इराक़ में हिंसा की घटनाओं में काफ़ी कमी दिख रही है।
अर्थव्यवस्था
आईएमएफ़ ने इराक़ की अर्थव्यवस्था की एक चमकदार तस्वीर पेश की है।
संस्था का कहना है कि उसे उम्मीद है कि इस साल इराक़ के आर्थिक विकास की दर सात प्रतिशत तक होगी और यही दर अगले साल भी बनी रहेगी।
आईएमएफ़ ने कहा है कि तेल के निर्यात से भी तेज़ी आने जा रही है और यह दो लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुँच सकता है।
इससे इराक़ को होने वाली आय में भी बढ़ोत्तरी होगी।
लेकिन इसके साथ ही आईएमएफ़ ने स्पष्ट किया है कि इस विकास के बावजूद इराक़ को आर्थिक सहायता की ज़रुरत पड़ती रहेगी, ख़ासकर सुरक्षा के मामले में।
बीबीसी संवाददाता का कहना है कि अमरीकी सैनिकों की संख्या बढ़ने के बाद से तेल ठिकानों पर चरमपंथियों के हमले कम हुए हैं।
लेकिन अभी भी तेल से होने वाली आय के वितरण के क़ानून बनाने की बाधा खड़ी हुई है।
राजनीतिक चर्चाएँ
अर्थव्यवस्था के तेज़ी से बढ़ने की ख़बरों के बीच इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के दूत ने राजनीतिक स्थितियों पर भी उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ की हैं।
सद्दाम हुसैन
सद्दाम हुसैन की पार्टी के पुराने सदस्यों को नौकरियाँ लौटाई जा रही हैं
शिया और सुन्नियों के बीच चल रही चर्चा को उन्होंने उत्साहजनक बताते हुए कहा है कि इस साल की शुरुआत से उनका दृष्टिकोण लगातार बदला है।
उन्होंने 2008 को इराक़ के लिए महत्वपूर्ण वर्ष बताया है।
पिछले शनिवार को बने नए क़ानून को परिदृष्य बदलने वाला बताया है। इस क़ानून के तहत सद्दाम हुसैन की बाथ पार्टी के पुराने सदस्यों की नौकरी बहाल करने का फ़ैसला किया गया है।
अमरीकी हमले के बाद से उन्हें नौकरियों से हटा दिया गया था और बाथ पार्टी के लोगों को नौकरी पाने का हक़ नहीं था।
इस फ़ैसले के बाद से दोनों गुटों के बीच चल रही हिंसा में कमी देखी जा रही है।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बदलाव का दारोमदार अगले छह से बारह महीनों में होने वाली राजनीतिक सहमतियों में आने वाली तेज़ी पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।
आईएमएफ़ के मध्यपूर्व और मध्य एशिया विभाग के निदेशक मोहसिन ख़ान का कहना है कि अगले साल इराक़ के विकास में महत्वपूर्ण तेज़ी दिख सकती है।
दूसरी ओर इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के दूत स्टैफ़न डेमिस्टूरा ने कहा है कि वे इराक़ में चल रहे राजनीतिक चर्चाओं से उत्साहित हैं और इसके लिए सरकार को बधाई देना चाहते हैं।
दो अहम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की ये टिप्पणियाँ संयोगवश ऐसे समय पर आई हैं जब इराक़ के पिछले कुछ सप्ताह अपेक्षाकृत अच्छे गुज़रे हैं।
पिछले कुछ हफ़्तों में इराक़ में हिंसा की घटनाओं में काफ़ी कमी दिख रही है।
अर्थव्यवस्था
आईएमएफ़ ने इराक़ की अर्थव्यवस्था की एक चमकदार तस्वीर पेश की है।
संस्था का कहना है कि उसे उम्मीद है कि इस साल इराक़ के आर्थिक विकास की दर सात प्रतिशत तक होगी और यही दर अगले साल भी बनी रहेगी।
आईएमएफ़ ने कहा है कि तेल के निर्यात से भी तेज़ी आने जा रही है और यह दो लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुँच सकता है।
इससे इराक़ को होने वाली आय में भी बढ़ोत्तरी होगी।
लेकिन इसके साथ ही आईएमएफ़ ने स्पष्ट किया है कि इस विकास के बावजूद इराक़ को आर्थिक सहायता की ज़रुरत पड़ती रहेगी, ख़ासकर सुरक्षा के मामले में।
बीबीसी संवाददाता का कहना है कि अमरीकी सैनिकों की संख्या बढ़ने के बाद से तेल ठिकानों पर चरमपंथियों के हमले कम हुए हैं।
लेकिन अभी भी तेल से होने वाली आय के वितरण के क़ानून बनाने की बाधा खड़ी हुई है।
राजनीतिक चर्चाएँ
अर्थव्यवस्था के तेज़ी से बढ़ने की ख़बरों के बीच इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के दूत ने राजनीतिक स्थितियों पर भी उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ की हैं।
सद्दाम हुसैन
सद्दाम हुसैन की पार्टी के पुराने सदस्यों को नौकरियाँ लौटाई जा रही हैं
शिया और सुन्नियों के बीच चल रही चर्चा को उन्होंने उत्साहजनक बताते हुए कहा है कि इस साल की शुरुआत से उनका दृष्टिकोण लगातार बदला है।
उन्होंने 2008 को इराक़ के लिए महत्वपूर्ण वर्ष बताया है।
पिछले शनिवार को बने नए क़ानून को परिदृष्य बदलने वाला बताया है। इस क़ानून के तहत सद्दाम हुसैन की बाथ पार्टी के पुराने सदस्यों की नौकरी बहाल करने का फ़ैसला किया गया है।
अमरीकी हमले के बाद से उन्हें नौकरियों से हटा दिया गया था और बाथ पार्टी के लोगों को नौकरी पाने का हक़ नहीं था।
इस फ़ैसले के बाद से दोनों गुटों के बीच चल रही हिंसा में कमी देखी जा रही है।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बदलाव का दारोमदार अगले छह से बारह महीनों में होने वाली राजनीतिक सहमतियों में आने वाली तेज़ी पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।
Labels:
अमेरिका,
अर्थव्यवस्था,
ईराक,
विदेशी खबरें
Subscribe to:
Posts (Atom)