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Saturday, May 10, 2008

कर्नाटक में पहले चरण का मतदान शुरु

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान आज कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहा है। मुख्य मुक़ाबला भाजपा, जेडीएस और कांग्रेस के बीच है।

पहले चरण में दक्षिण कर्नाटक के 11 ज़िले की 89 सीटों के लिए लगभग एक करोड़ 73 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं।

शांतिपूर्वक मतदान संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने लगभग 60 हज़ार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है।

इनके अलावा 18 हज़ार मतदान केंद्रों पर अधिकारियों का उड़न दस्ता लगातार निगाह रख रहा है।

पहले चरण में 953 उम्मीदवारों का भाग्य दाँव पर है जिनमें 440 निर्दलीय उम्मीदवार है।

दूसरे और तीसरे चरण का मतदान 16 और 22 मई को होगा। मतगणना 25 मई को होगी।

मैसूर ज़िले में कांग्रेस जनाधार वापस लेने की कोशिश कर रही है। पिछले चुनाव में पार्टी ने यहाँ की 24 सीटों पर सफलता हासिल की थी।

लेकिन जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने 34 सीटों पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था।

वोक्कालिगा बहुल इस इलाक़े में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी अपना पाँव पसारने की कोशिश कर रही है।

राजधानी बंगलौर की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव में शहर की बुनियादी संरचना मुख्य मुद्दा है।

मुद्दा

कांग्रेस और भाजपा राज्य में स्थायी सरकार देने का वादा कर जनता से वोट माँग रही है।


भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाया है

इन दोनों दलों के निशाने पर है जेडीएस। कांग्रेस और भाजपा का कहना है कि जिस तरह जेडीएस ने पिछले चुनाव के बाद गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया उसे देखते हुए इस पार्टी पर भरोसा करना ठीक नहीं होगा।

जेडीएस के पास कोई स्टार प्रचारक भी नहीं बचा है। उसके नेता एमपी प्रकाश, जीटी देवगौड़ा, बीएन बच्चेगौड़ा और 58 विधायकों में से लगभग आधे ने पार्टी से किनारा कर लिया है।

इन नेताओं का आरोप है कि एचडी देवगौड़ा ने जेडीएस को पारिवारिक पार्टी बना कर रख दिया है।

अधिकतर सीटों पर बहुकोणीय संघर्ष होने की संभावना है लेकिन कई सीटों पर कांग्रेस-भाजपा और कांग्रेस-जेडीएस के बीच सीधा मुक़ाबला है।

मांड्या और हासन में कांग्रेस-जेडीएस के बीच सीधा मुक़ाबला है जबकि भाजपा अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस को चुनौती देती नज़र आ रही है।

पहले चरण में जिन नेताओं के भाग्य का फ़ैसला होना है उनमें एचडी देवगौड़ा के दोनों बेटे एचडी कुमारस्वामी और एचडी रेवन्ना शामिल हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी रामनगरम सीटे से पिछला चुनाव जीते थे लेकिन इस बार उनका मुक़ाबला रामकृष्ण हेगड़े की बेटी ममता निचानी से है।

भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रुप में पेश किया है।

Monday, March 24, 2008

राजतंत्र की पहल पर लोकतंत्र के लिए मतदान

सौ साल से ज़्यादा की राजशाही के बाद भूटान में पहली बार सोमवार को लोकतांत्रिक चुनाव हो रहे हैं। इस ऐतिहासिक चुनाव में भूटान की जनता 47 संसदीय सीटों के लिए अपनी प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।

भारत और चीन के बीच स्थित इस छोटे देश के शाही परिवार ने ही लोकतांत्रिक चुनाव की पहल की थी जिसका मानना है कि अब देश की जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए तैयार हो गई है।

हालाँकि बड़ी संख्या में लोग यह भी मानते हैं कि वे राजशाही से ख़ुश हैं। भूटान के पहले संसदीय चुनाव में सिर्फ़ दो पार्टियाँ ही अपना क़िस्मत आज़मा रही हैं।

दोनों पार्टियों पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भूटान हॉर्मनी पार्टी ने जनता से वादा किया है कि चुनाव जीतने पर वे देश की आर्थिक प्रगति पर ध्यान देंगी और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाएँगी।

दोनों पार्टियों का नेतृत्व पूर्व मंत्रियों के हाथ में है। पीपुल्ल डेमोक्रेटिक पार्टी की कमान संभाल रहे हैं संगय नगेडप, जो पूर्व राजा की पत्नी के भाई हैं। जबकि भूटान हॉर्मनी पार्टी का नेतृत्व जिग्मी थिनली कर रहे हैं और शाही परिवार से उनका कोई संबंध नहीं है।

पार्टियाँ

लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी को भूटान की आम जनता से जोड़ने की कोशिश की है। भूटान में संसद के ऊपरी सदन के लिए दिसंबर में चुनाव हुए थे।


मतपेटियाँ दूर-दराज़ के इलाक़ों तक पहुँचा दी गई हैं

भूटान में उस समय से लोकतंत्र की तैयारी चल रही है जब पूर्व शासक जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने चुनी हुई सरकार को सत्ता सौंपने का फ़ैसला किया था।

इस समय भूटान के राजा हैं जिग्मे खेसर नमग्याल वांगचुक, जो जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के बेटे हैं। जो लोकतांत्रिक सरकार आने के बाद भी देश के प्रमुख बने रहेंगे और उनके पास कुछ अधिकार भी रहेंगे।

भूटान के कई लोग राजशाही से ख़ुश हैं और उन्हें काफ़ी दुश है कि उनके राजा गद्दी छोड़ रहे हैं।

42 वर्षीय व्यापारी किनले पेंजोर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया- हर कोई इससे काफ़ी दुख है कि राजा हट रहे हैं। लेकिन मैं मानता हूँ कि लोकतंत्र भी अच्छा रहेगा। अब हम सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधियों को ही चुनेंगे।

राजशाही की लोकप्रियता के बावजूद भूटान में कई तरह की समस्याएँ हैं। हाल के वर्षों में ग़रीबी बढ़ी है और बेरोज़गारी भी।

भूटान की राजधानी थिम्पू की सड़कें ख़ाली-ख़ाली हैं और दूकानें बंद हैं क्योंकि हज़ारों लोग अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में वोट डालने चले गए हैं।

Monday, February 18, 2008

पाकिस्तान में तनाव के बीच मतदान शुरू

इस्लामाबाद स्थित बीबीसी संवाददाता राजेश जोशी ने बताया है कि चुनावी धांधली और हिंसा की आशंका के बीच लोग धीरे-धीरे मतदान केंद्रों पर वोट डालने पहुंच रहे हैं.

चुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं. पूरे देश में लगभग 80 हज़ार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.

संसद के निचले सदन यानी नेशनल असेंबली की 272 सीटों और प्रांतीय असेंबलियों की 577 सीटों के लिए मतदान हो रहा है.

मतदान स्थानीय समय के अनुसार सुबह आठ बजे (भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े आठ बजे) शुरू हुआ और शाम पाँच बजे तक चलेगा.

इसके लिए कुल 7, 335 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और आठ करोड़ नौ लाख मतदाता इनके राजनीतिक भविष्य का फ़ैसला करेंगे.


नेशनल और प्रांतीय असेंबलियाँ
पंजाब: 445 सीटें, 3214 उम्मीदवार
सिंध: 191 सीटें, 2095 उम्मीदवार
सूबा सरहद: 134 सीटें, 1025 उम्मीदवार
बलूचिस्तान: 65 सीटें, 684 उम्मीदवार

देश भर में कुल एक लाख 70 हज़ार मतदान केंद्रों की स्थापना की गई है. पाकिस्तान के चुनावी इतिहास में पहली बार मतपेटियों को पारदर्शी बनाया गया है.

पिछले दिनों हुई हिंसा को ध्यान में रखते हुए देशभर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि 35 हज़ार सैनिकों और 47 हज़ार अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है.

पिछले दिनों हुई हिंसा की घटनाओं के चलते इस ऐतिहासिक चुनाव में तनाव और डर का साया साफ नज़र रहा है.

मतदान के दौरान धाँधली की आशंकाएँ भी जताई जा रही हैं.

हालांकि पाकिस्तान के चुनाव आयुक्त क़ाज़ी मोहम्मद फ़ारुक़ ने दोहराया है कि क़ानून व्यवस्था को क़ायम रखते हुए चुनाव बिल्कुल निष्पक्ष कराए जा रहे हैं.

मतदान के पहले हिंसा

शनिवार को क़बायली इलाक़े पारचिनार में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कार्यालय में हुए आत्मघाती हमले में 40 से अधिक लोग मारे गए थे और 90 से अधिक घायल हो गए थे.


पाकिस्तानी सैनिक
हिंसा और तनाव के साए के बीच पाकिस्तान में मतदान हो रहा है

रविवार को भी मुस्लिम लीग(नवाज़) के कार्यालय में हमला हुआ और क्वेटा में एमक्यूएम के कार्यालय में भी एक बम विस्फोट हुआ. इन हमलों में कई लोग घायल हुए हैं.

इन चुनाव से पाकिस्तान में सैन्य शासन का अंत हो जाएगा हालाँकि आशंकाएँ जताई जा रही हैं कि इससे अस्थिरता का एक नया दौर शुरू होगा.

इन चुनावों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़रें भी लगी हुई हैं और चुनावों का जायज़ा लेने के लिए दुनिया भर से क़रीब सौ पर्यवेक्षक और पत्रकार पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में पहुँचे हैं.

इस्लामाबाद में मौजूद बीबीसी संवाददाता राजेश जोशी का कहना है कि इन इंतज़ामों के बावजूद लोगों में मन में डर है और दहशत साफ़ दिखती है.

संवाददाताओं का कहना है कि हो सकता है कि इस डर के कारण मतदान करने के लिए कम लोग बाहर निकलें.

आशंकाएँ

ये चुनाव पहले आठ जनवरी को होने थे लेकिन 27 दिसंबर को एक रैली में पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की हत्या के बाद चुनाव 18 फ़रवरी तक के लिए टाल दिए गए थे.


नवाज़ शरीफ़ और आसिफ़ अली ज़रदारी
दोनों प्रमुख विपक्षी दलों को चुनाव में धांधली की आशंका है

पाकिस्तान की दो प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने आशंका जताई है कि राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के सहयोगी चुनाव में धाँधली कर सकते हैं.

उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर चुनाव में गड़बड़ी हुई तो वो इसका विरोध करेंगे.

चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार आगे चल रही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने कहा है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होने जा रहे हैं.

पीपीपी का कहना है कि मुशर्रफ़ का समर्थन करने वाली पीएमएल-क्यू फ़र्जी मतदान करने वाली है.

पीपीपी की प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी ने भी कहा है कि परवेज़ मुशर्रफ़ के समर्थक फ़र्जी मतदान की योजना बना चुके हैं.

विश्लेषकों का कहना है कि अगर चुनाव साफ़ सुथरे हुए तो तीनों प्रमुख पार्टियों में से किसी को भी बहुमत हासिल होने की संभावना नहीं है और एक त्रिशंकु संसद उभरेगी.

Wednesday, February 13, 2008

ओबामा की एक और जीत

अमरीका में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए प्रयास कर रहे बराक ओबामा ने वर्जीनिया और राजधानी वाशिंगटन डीसी में हिलेरी क्लिंटन को हरा दिया है।

अभी मैरीलैंड के नतीजे आने बाकी है। वाशिंगटन और वर्जीनिया में ओबामा की जीत की उम्मीद की जा रही थी जिसके साथ ही हिलेरी और ओबामा का संघर्ष और कड़ा होता जा रहा है।

मैरीलैंड में ख़राब मौसम और यातायात की समस्याओं के कारण मतदान का समय बढ़ा दिया गया था और इसी कारण मतगणना में देर हुई है। वर्जीनिया और वाशिंगटन की तरह मैरीलैंड में भी ओबामा की जीत तय मानी जा रही है।

बराक की इस जीत के बाद अब वो हिलेरी से कुछ ही मतों से पीछे चल रहे हैं। उधर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जॉन मैक्केन ने वर्जीनिया में अपनी पार्टी के प्रतिद्वंद्वी माइक हकबी को हरा दिया है और अब लगता नहीं कि रिपब्लिकन पार्टी से उनकी उम्मीदवारी को कोई बड़ी चुनौती मिलने वाली है।

हिलेरी की मुश्किल

सीनेटर ओबामा ने अपने शानदार प्रदर्शन से हिलेरी क्लिंटन को दबाव में ला दिया है। हालांकि अब तक राष्ट्रीय स्तर पर बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन लगभग बराबरी पर चल रहे हैं।

हिलेरी क्लिंटन ने इस बात से इनकार किया है कि उनके प्रचार अभियान में कोई परेशानी पेश आ रही है।

हाल में बराक ओबामा ने लुइसियाना और नेब्रास्का में भी हिलेरी क्लिंटन को पीछे छोड़ दिया था।

अब हिलेरी क्लिंटन की अब नज़रें ओहायो और टेक्सास पर टिकी हैं जहाँ मार्च में मतदान होगा।


हिलेरी क्लिंटन
हिलेरी क्लिंटन ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है
माइक हकबी पर पार्टी की एकता के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव है लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है।

डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी दस फ़ीसदी प्रतिनिधियों यानी लगभग 2025 प्रतिनिधियों के समर्थन पर निर्भर है।

आमतौर पर जिसके पास जितने प्रतिनिधि होते हैं वही पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार चुन लिया जाता है।

सुपर ट्यूसडे के दिन बीस प्रांतों में मतदान हुए लेकिन डेमोक्रेटिक दावेदारों में से किसी एक को स्पष्ट मत नहीं मिले।

समर्थकों के मतों से डेलीगेट या प्रतिनिधियों का चुनाव होता है और ये प्रतिनिधि बाद में औपचारिक रूप से उम्मीदवारों का चयन करेंगे।

Wednesday, February 6, 2008

मैक्केन जीत की ओर, ओबामा-हिलेरी में टक्कर

अमरीका के राष्ट्रपति चुनावों के लिए हो रहे 24 राज्यों के चुनाव में कोई 18 राज्यों में मतदान पूरा हो चुका है और शेष राज्यों में मतदान जारी है।

मतदान के दौरान हुए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जॉन मैक्केन विजेता के रुप में उभर रहे हैं।
जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी में बात इतनी साफ़ नहीं है। वहाँ बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन के बीच काँटे का मुक़ाबला दिखाई दे रहा है।

मंगलवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे अहम दिन था और इसे सुपर ट्यूसडे कहा गया था क्योंकि इसी दिन दोनों प्रमुख पार्टियों के कोई 42 प्रतिशत प्रतिनिधि या डेलीगेट चुने जाने हैं।
इन प्रतिनिधियों का चुनाव उम्मीदवारों को मिले मतों के प्रतिशत के आधार पर होता है।

हर राज्य में चुने जाने वाले दोनों पार्टियों के प्रतिनिधि बाद में औपचारिक रुप से अपनी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों का चयन करेंगे।
मैक्केन आगे

आरंभिक अनुमानों के आधार पर कहा जा रहा है कि रिपब्लिकन पार्टी के जॉन मैक्केन न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, कनेक्टिकट और डेलावेयर राज्यों में विजेता बनकर उभर रहे हैं।

न्यूयॉर्क शहर से ही रिपब्लिकन पार्टी के 87 प्रतिनिधि चुनकर आते हैं जबकि बाक़ी राज्यों से 97 प्रतिनिधि चुनकर आएँगे। वैसे मैक्केन के इलिनॉइस राज्य में जीतने की भी संभावना व्यक्त की गई है।
मैक्केन के निकटतम प्रतिद्वंद्वी मिट रॉमनी हैं जो अपने गृहराज्य मैसाच्युसेट्स में जीत की ओर बढ़ रहे हैं।
माइक हकबी को तीन राज्यों में जीत का दावेदार बताया गया है।

हिलेरी का संघर्ष

उधर डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से जब अनुमानों की घोषणा शुरु हुई तो बराक ओबामा के दो बड़े राज्यों में जीत की संभावानाओं की घोषणा हुई।

एक उनका अपना गृहराज्य इलिनोइस और दूसरा जॉर्जिया।

ओबामा और हिलेरी
ओबामा और हिलेरी शुरुआती दौर से ही बराबरी का संघर्ष कर रहे हैं

जॉर्जिया में अफ़्रीकी-अमरीकियों की संख्या काफ़ी है और अनुमान लगाया जा रहा था कि वे ओबामा को ही चुनेंगे। लेकिन एक अनुमान यह भी था कि स्थिति कहीं साउथ कैरोलाइना की तरह न हो जाए।
साउथ कैरोलाइना में भी अफ़्रीकी-अमरीकी बड़ी संख्या में हैं लेकिन उनमें से सिर्फ़ 24 प्रतिशत ने ओबामा के पक्ष में मतदान किया था। जॉर्जिया में उनके पक्ष में 43 प्रतिशत के आने की संभावना जताई गई है।

लेकिन इन अनुमानों के बाद हिलेरी क्लिंटन संघर्ष करती हुई आगे आते दिखाई दीं।

ओकलाहामा, और अरकन्सास में हिलेरी क्लिंटन की जीत की संभावनाएँ जताई गई है। अनुमान है कि वे न्यूयॉर्क और मैसाच्युसेट्स में भी जीतेंगीं।

वॉशिंगटन में बीबीसी संवाददाता ब्रजेश उपाध्याय के अनुसार अब तक के अनुमानों के अनुसार दोनों डेमोक्रेट उम्मीदवारों के चार-चार राज्यों में जीत के आसार बताए गए हैं। यानी टक्कर काँटे की है।