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Wednesday, July 9, 2008

'परमाणु समझौता दोनों देशों के लिए महत्त्वपूर्ण है' - जुलाई 9, 2008

जापान में जी-8 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाक़ात के बाद अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा है कि परमाणु क़रार दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने भारत को परमाणु ईंधन और तकनीक बेचने के फ़ैसले का बचाव करते हुए स्वीकार किया कि दोनों ही देशों में सरकार को राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ा है।
इस मुलाक़ात के बाद मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत और अमरीका के संबंध इतने अच्छे कभी नहीं रहे जितने कि इस समय हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमरीकी राष्ट्रपति बुश से मुलाक़ात ऐसे समय में हुई है जब परमाणु समझौते के मुद्दे पर ही यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामदलों ने समर्थन वापसी की घोषणा कर दी है।
हालांकि यूपीए सरकार के कर्ताधर्ताओं का कहना है कि सरकार को कोई ख़तरा नहीं है और यदि राष्ट्रपति ने कहा तो सरकार संसद में अपना बहुमत साबित कर देगी।
मुलाक़ात
दोनों देशों के प्रतिनिधि आजकल जी-8 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान पहुँचे हुए हैं जहाँ सम्मेलन के दौरान ही बुधवार को दोनों नेताओं के बीच अलग से बातचीत भी हुई।
दोनों नेताओं के बीच क़रीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। यह मुलाक़ात स्थानीय समयानुसार सुबह साढ़े सात बजे हुई।
इस मुलाक़ात के बाद एक संयुक्त पत्रवार्ता में जॉर्ज बुश ने भारत को परमाणु तकनीक और ईंधन बेचने के लिए किए गए समझौते को उचित ठहराते हुए कहा कि हालांकि दोनों पक्षों को अपने देशों में विरोध का सामना करना पड़ा है लेकिन यह दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत और अमरीका को कंधे से कंधा मिलाकर वैश्विक मुद्दों पर एक साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा, "जॉर्ज बुश से पहली मुलाक़ात से अब तक हम बहुत आगे बढ़े हैं और अमरीका के साथ भारत के संबंध इतने अच्छे कभी नहीं रहे जितने कि इस समय हैं।"
प्रधानमंत्री के साथ गए भारतीय पत्रकारों के दल में शामिल वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला के समूह संपादक, शशि शेखर सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में जितना आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है उतना पहले कभी नहीं दिखा।
उन्होंने बीबीसी से कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों वामपंथियों के हटने से मनमोहन सिंह को एक तरह की आज़ादी मिल गई है।