ओलंपिक मशाल दौड़ के लिए भारत की राजधानी दिल्ली में कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं। इस बीच तिब्बती संगठनों ने शांति जुलूस निकालने की योजना बनाई है।
72 सेंटीमीटर लंबी और 985 ग्राम वज़नी यह मशाल इस्लामाबाद से विशेष विमान से दिल्ली पहुंची। मशाल को चीनी दूतावास में रखा गया है।
मशाल दौड़ का आयोजन राजपथ पर गुरुवार दोपहर होगा। लंदन, पेरिस और सैन फ्रांसिस्को में विरोध झेल चुकी ओलंपिक मशाल यहां 47 खिलाडि़यों समेत 70 हस्तियों के हाथों से गुजरेगी।
रिले राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक लगभग दो किलोमीटर की होगी।
तिब्बती संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए सुरक्षा के कड़े उपाय किए गए हैं।
दिल्ली में हज़ारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया हैं।
सुरक्षा
राजपथ और उससे जुड़ी आसपास की सड़कों को दोपहर एक बजे से शाम सात बजे तक के लिए बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
साथ ही सरकारी दफ़्तरों में काम करे रहे कर्मचारियों को इन छह घंटों में बाहर निकलने की इजाज़त नहीं होगी।
दिल्ली में तिब्बती प्रदर्शनकारी
ख़बर आ रही है कि कई तिब्बती लोग प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं
यहां तक कि राजपथ की तरफ खुलने वाली खिड़कियों को भी बंद रखने को कहा गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवान दौड़ के रास्ते से लगी ऊंची इमारतों पर तैनात रहेंगे।
इस मौके पर दो हेलिकॉप्टर भी इस पूरे घटनाक्रम पर नज़र रखेंगे।
चौकसी इसलिए भी बढ़ाई गई है क्योंकि बुधवार को तमाम सुरक्षा इंतज़ामों को धता बताते हुए तिब्बती प्रदर्शनकारी चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने में कामयाब रहे।
हालाँकि पुलिस ने बाद में उन्हें हटा दिया और कई प्रदर्शनकारी गिरफ़्तार कर लिए गए।
विरोध प्रदर्शन
कुछ दिनों पहले ही धर्मशाला से दिल्ली पहुँचे तिब्बती प्रदर्शनकारियों ने दो तरह से विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनाई है।
एक तरफ जहां तिब्बती यूथ कांग्रेस के सदस्य मशाल रैली के दौरान उग्र विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ तिब्बत स्वायत्तता कमेटी ने राजघाट से जंतर-मंतर तक एक समानांतर शांति रैली निकालने की योजना बनाई है।
विरोध जताने के लिए ये लोग भी मशाल लेकर दौड़ेंगे। इस मशाल को शांति मशाल का नाम दिया गया है।
हालाँकि बुधवार शाम पुलिस मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि फिलहाल शांति रैली के रूट को मंज़ूरी नहीं दी गई है।
सितारों की भागीदारी
इस मशाल को लेकर लगभग 70 फ़िल्मी सितारे और खिलाड़ी दौड़ेंगे।
आमिर ख़ान
आमिर ख़ान ओलंपिक मशाल रिले में हिस्सा लेंगे
इनमें आमिर ख़ान, सैफ़ अली ख़ान, पी टी ऊषा, मिल्खा सिंह, लिएंडर पेस और अंजू बॉबी जॉर्ज जैसे नाम शामिल हैं।
क्रिकेट सितारे सचिन तेंदुलकर के भी इस दौड़ में भाग लेने की उम्मीद थी लेकिन बुधवार को उन्होंने कहा कि चोट लग जाने के कारण वे इसमें भाग नहीं ले पाएंगे।
कड़े सुरक्षा इंतज़ाम के बीच लगभग सवा दो किलोमीटर लंबी ये दौड़ राजपथ से होकर गुज़रेगी। ये दौड़ लगभग एक घंटे में पूरी होगी।
भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने कहा कि सारी दुनिया भारत में एक सफल ओलंपिक दौड़ की उम्मीद कर रही है और उन्हें भरोसा है कि ये एक बढ़िया कार्यक्रम होगा।
कलमाड़ी का कहना था कि बाइचंग भूटिया, किरन बेदी, सचिन तेंदुलकर औऱ राहुल गांधी के इस दौड़ में भाग नहीं लेने के बावजूद ये दौड़ कामयाब रहेगी।
उधर ख़बरें आ रही है कि कई तिब्बती लोग प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं।
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Thursday, April 17, 2008
Friday, April 11, 2008
मून ओलंपिक समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने चीन को बता दिया है कि वो बीजिंग में अगस्त में होने वाले ओलंपिक खेलों के उदघाटन समारोह में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र की एक प्रवक्ता का कहना है कि बान की मून ने कुछ महीने पहले ही अपनी असमर्थता जता दी थी और कहा था कि समय की कमी के कारण उनका बीजिंग जाना निश्चित नहीं है।
इस बीच ओलंपिक मशाल अर्जेंटीना पहुँच गई है जहाँ इसकी सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
तिब्बत पर चीन के शासन के ख़िलाफ़ तिब्बती शरणार्थियों ने कई देशों में ओलंपिक मशाल का विरोध किया है।
जहाँ लंदन में मशाल छीनने की कोशिश की गई, वहीं पेरिस में सुरक्षा कारणों से इसे बुझाना पड़ा।
इस साल के शुरु में तिब्बत में सबसे पहले चीन विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
चीन को ओलंपिक की मेज़बानी मिली है और तिब्बती शरणार्थियों ने इसे ध्यान में रखते हुए विरोध प्रदर्शन तेज़ किए हैं ताकि पूरी दुनिया का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचा जा सके।
इसका असर भी दिखाई दे रहा है। कई चर्चित खिलाड़ियों ने ओलंपिक मशाल दौड़ के बहिष्कार की घोषणा की है।
इस कड़ी में नया नाम जुड़ा है नोबल शांति पुरस्कार विजेता वंगारी मथाई का। उन्होंने चीन में मानवाधिकारों की बुरी स्थिति का हवाला देते हुए तंज़ानिया में मशाल दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा है कि वो तिब्बत की घटनाओं से चिंतित हैं और वहाँ के लोगों के प्रति सहानुभूति रखती हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक प्रवक्ता का कहना है कि बान की मून ने कुछ महीने पहले ही अपनी असमर्थता जता दी थी और कहा था कि समय की कमी के कारण उनका बीजिंग जाना निश्चित नहीं है।
इस बीच ओलंपिक मशाल अर्जेंटीना पहुँच गई है जहाँ इसकी सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
तिब्बत पर चीन के शासन के ख़िलाफ़ तिब्बती शरणार्थियों ने कई देशों में ओलंपिक मशाल का विरोध किया है।
जहाँ लंदन में मशाल छीनने की कोशिश की गई, वहीं पेरिस में सुरक्षा कारणों से इसे बुझाना पड़ा।
इस साल के शुरु में तिब्बत में सबसे पहले चीन विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
चीन को ओलंपिक की मेज़बानी मिली है और तिब्बती शरणार्थियों ने इसे ध्यान में रखते हुए विरोध प्रदर्शन तेज़ किए हैं ताकि पूरी दुनिया का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचा जा सके।
इसका असर भी दिखाई दे रहा है। कई चर्चित खिलाड़ियों ने ओलंपिक मशाल दौड़ के बहिष्कार की घोषणा की है।
इस कड़ी में नया नाम जुड़ा है नोबल शांति पुरस्कार विजेता वंगारी मथाई का। उन्होंने चीन में मानवाधिकारों की बुरी स्थिति का हवाला देते हुए तंज़ानिया में मशाल दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा है कि वो तिब्बत की घटनाओं से चिंतित हैं और वहाँ के लोगों के प्रति सहानुभूति रखती हैं।
Thursday, April 10, 2008
ओलंपिक मशाल का अमरीका में भी विरोध
ओलंपिक मशाल रिले को अमरीका में भी विरोध का सामना करना पड़ा है।
अमरीका के सैन फ़्रांसिस्को में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ओलंपिक मशाल दौड़ आयोजित की गई।
लेकिन हज़ारों की संख्या में जुटे चीन-विरोधी प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए आयोजकों ने अंतिम क्षणों में मशाल दौड़ का रास्ता बदल दिया।
अमरीका में विरोध प्रदर्शन
बुधवार को सैन फ़्रांसिस्को में ओलंपिक मशाल दौड़ की दूरी भी आधी कर दी गई। पहले ये रिले दौड़ 10 किलोमीटर की थी।
मशाल के स्वागत में आयोजित समारोह का स्थान भी अंतिम क्षणों में बदलना पड़ा।
सैन फ़्रांसिस्को के मेयर गेविन न्यूसम ने इन बदलावों को ज़रूरी बताते हुए कहा है कि जनसुरक्षा की दृष्टि से ये क़दम उठाने पड़े।
इससे पहले जब ओलंपिक मशाल सैन फ़्रांसिस्को में यात्रा के लिए निकली तो वहाँ नगर के मेयर ने उसका स्वागत किया।
मशाल यात्रा के नियत समय से घंटों पहले ही हज़ारों लोग प्रस्तावित रूट पर जमा हो गए थे।
इनमें तिब्बत समर्थकों की बड़ी संख्या तो थी ही, चीनी मूल के लोग भी अच्छी ख़ासी संख्या में जुटे थे, जो ओलंपिक और मशाल के पक्ष में नारे लगा रहे थे।
आमने-सामने आए समर्थक
ऐसे भी मौक़े आए जब दोनों ही पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए। चीन समर्थक और तिब्बत समर्थक एक दूसरे के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे।
ओलंपिक मशाल का विरोध
सैन फ़्रांसिस्को में चीन समर्थक और तिब्बत समर्थक आमने सामने आ गए।
दोनों गुटों के बीच हल्की-फुल्की झड़प की भी खबर है।
मशाल यात्रा का विरोध कर रही एक महिला ने बताया, "हम चीन सरकार से जुड़ी सारी समस्याओं को उठा रहे हैं, जिनमें बर्मा, दारफ़ुर और तिब्बत के साथ-साथ चीन के भीतर की समस्याएँ भी हैं। मैं और स्वतंत्रता देखना चाहती हूँ।"
लेकिन अपने-अपनी बात रखने की हरसंभव कोशिश कर रहे इन लोगों का इंतज़ार बेकार गया। क्योंकि अंतिम क्षणों में अधिकारियों ने मशाल यात्रा का तयशुदा रूट लगभग पूरी तरह बदल दिया।
हम चीन सरकार से जुड़ी सारी समस्याओं को उठा रहे हैं, जिनमें बर्मा, दारफ़ुर और तिब्बत के साथ-साथ चीन के भीतर की समस्याएँ भी हैं। मैं और स्वतंत्रता देखना चाहती हूँ।
तिब्बत समर्थक
कड़ी सुरक्षा और सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों के बीच इस मशाल को ले जाया गया।
यदि मशाल का रूट नहीं भी बदला गया होता तो चीन समर्थकों और विरोधियों की नज़र मशाल पर शायद ही पड़ती, क्योंकि मशाल के चारों ओर सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाकर्मी चल रहे थे।
इनमें चीनी सुरक्षाकर्मी भी थे, जिन्हें मशाल की सुरक्षा के पहले घेरे के रूप में लगा रखा था।
वैसे, दौड़ शुरू होने से पहले विरोध कर रहे एक शख्स को हिरासत में भी लिया गया।
ओबामा ने भी किया विरोध
अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवारी के दावेदार बराक़ ओबामा ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से अपील की है कि वो बीजिंग ओलंपिक के उदघाटन समारोह में शामिल न हों।
ओबामा ने कहा कि जब तक चीन तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाता और दारफ़ुर में होने वाले कथित जनसंहार को रोकने में मदद नहीं देता तब तक बीजिंग ओलंपिक का विरोध किया जाना चाहिए।
इससे पहले डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दावेदार हिलेरी क्लिंटन भी राष्ट्रपति बुश से इसी तरह के विरोध की अपील कर चुकी हैं।
हिलेरी क्लिंटन ने ब्रितानिया के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन के बीजिंग ओलंपिक के उदघाटन समारोह में शामिल न होने के फ़ैसले का भी स्वागत किया है।
ओलंपिक मशाल रिले का विरोध
कई जगहों पर चीन और तिब्बत समर्थक आपस में उलझ भी गए।
अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पहले ही चीन से अपील कर चुके हैं कि वो तिब्बत के मामले में वहाँ के निर्वासित नेता दलाई लामा से बातचीत करके इस मसले को सुलझाएँ।
इससे पहले पेरिस और लंदन में भी बीजिंग ओलंपिक मशाल का जमकर विरोध किया गया था।
ओलंपिक मशाल ग्रीस के ओलंपिया में 24 मार्च को ज्योति जलाई गई थी और इसे बीजिंग में आठ अगस्त को ओलंपिक खेलों के उदघाटन से पहले 20 देशों से होकर गुज़ारा जाना है।
ओलंपिक मशाल अमरीका के बाद अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस ऑयर्स ले जाई जाएगी। 17 अप्रैल को ये मशाल दिल्ली पहुँचेगी।
अमरीका के सैन फ़्रांसिस्को में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ओलंपिक मशाल दौड़ आयोजित की गई।
लेकिन हज़ारों की संख्या में जुटे चीन-विरोधी प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए आयोजकों ने अंतिम क्षणों में मशाल दौड़ का रास्ता बदल दिया।
अमरीका में विरोध प्रदर्शन
बुधवार को सैन फ़्रांसिस्को में ओलंपिक मशाल दौड़ की दूरी भी आधी कर दी गई। पहले ये रिले दौड़ 10 किलोमीटर की थी।
मशाल के स्वागत में आयोजित समारोह का स्थान भी अंतिम क्षणों में बदलना पड़ा।
सैन फ़्रांसिस्को के मेयर गेविन न्यूसम ने इन बदलावों को ज़रूरी बताते हुए कहा है कि जनसुरक्षा की दृष्टि से ये क़दम उठाने पड़े।
इससे पहले जब ओलंपिक मशाल सैन फ़्रांसिस्को में यात्रा के लिए निकली तो वहाँ नगर के मेयर ने उसका स्वागत किया।
मशाल यात्रा के नियत समय से घंटों पहले ही हज़ारों लोग प्रस्तावित रूट पर जमा हो गए थे।
इनमें तिब्बत समर्थकों की बड़ी संख्या तो थी ही, चीनी मूल के लोग भी अच्छी ख़ासी संख्या में जुटे थे, जो ओलंपिक और मशाल के पक्ष में नारे लगा रहे थे।
आमने-सामने आए समर्थक
ऐसे भी मौक़े आए जब दोनों ही पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए। चीन समर्थक और तिब्बत समर्थक एक दूसरे के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे।
ओलंपिक मशाल का विरोध
सैन फ़्रांसिस्को में चीन समर्थक और तिब्बत समर्थक आमने सामने आ गए।
दोनों गुटों के बीच हल्की-फुल्की झड़प की भी खबर है।
मशाल यात्रा का विरोध कर रही एक महिला ने बताया, "हम चीन सरकार से जुड़ी सारी समस्याओं को उठा रहे हैं, जिनमें बर्मा, दारफ़ुर और तिब्बत के साथ-साथ चीन के भीतर की समस्याएँ भी हैं। मैं और स्वतंत्रता देखना चाहती हूँ।"
लेकिन अपने-अपनी बात रखने की हरसंभव कोशिश कर रहे इन लोगों का इंतज़ार बेकार गया। क्योंकि अंतिम क्षणों में अधिकारियों ने मशाल यात्रा का तयशुदा रूट लगभग पूरी तरह बदल दिया।
हम चीन सरकार से जुड़ी सारी समस्याओं को उठा रहे हैं, जिनमें बर्मा, दारफ़ुर और तिब्बत के साथ-साथ चीन के भीतर की समस्याएँ भी हैं। मैं और स्वतंत्रता देखना चाहती हूँ।
तिब्बत समर्थक
कड़ी सुरक्षा और सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों के बीच इस मशाल को ले जाया गया।
यदि मशाल का रूट नहीं भी बदला गया होता तो चीन समर्थकों और विरोधियों की नज़र मशाल पर शायद ही पड़ती, क्योंकि मशाल के चारों ओर सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाकर्मी चल रहे थे।
इनमें चीनी सुरक्षाकर्मी भी थे, जिन्हें मशाल की सुरक्षा के पहले घेरे के रूप में लगा रखा था।
वैसे, दौड़ शुरू होने से पहले विरोध कर रहे एक शख्स को हिरासत में भी लिया गया।
ओबामा ने भी किया विरोध
अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवारी के दावेदार बराक़ ओबामा ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से अपील की है कि वो बीजिंग ओलंपिक के उदघाटन समारोह में शामिल न हों।
ओबामा ने कहा कि जब तक चीन तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाता और दारफ़ुर में होने वाले कथित जनसंहार को रोकने में मदद नहीं देता तब तक बीजिंग ओलंपिक का विरोध किया जाना चाहिए।
इससे पहले डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दावेदार हिलेरी क्लिंटन भी राष्ट्रपति बुश से इसी तरह के विरोध की अपील कर चुकी हैं।
हिलेरी क्लिंटन ने ब्रितानिया के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन के बीजिंग ओलंपिक के उदघाटन समारोह में शामिल न होने के फ़ैसले का भी स्वागत किया है।
ओलंपिक मशाल रिले का विरोध
कई जगहों पर चीन और तिब्बत समर्थक आपस में उलझ भी गए।
अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पहले ही चीन से अपील कर चुके हैं कि वो तिब्बत के मामले में वहाँ के निर्वासित नेता दलाई लामा से बातचीत करके इस मसले को सुलझाएँ।
इससे पहले पेरिस और लंदन में भी बीजिंग ओलंपिक मशाल का जमकर विरोध किया गया था।
ओलंपिक मशाल ग्रीस के ओलंपिया में 24 मार्च को ज्योति जलाई गई थी और इसे बीजिंग में आठ अगस्त को ओलंपिक खेलों के उदघाटन से पहले 20 देशों से होकर गुज़ारा जाना है।
ओलंपिक मशाल अमरीका के बाद अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस ऑयर्स ले जाई जाएगी। 17 अप्रैल को ये मशाल दिल्ली पहुँचेगी।
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