भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने सोमवार को उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है।
भारत का उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी9 सोमवार को 10 उपग्रहों के साथ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया।
श्रीहरिकोटा से छोड़ा गया यह प्रक्षेपण यान अपने साथ जो 10 उपग्रह लेकर गया है उसमें से आठ अन्य देशों के हैं और दो भारत के हैं।
इस तरह 10 उपग्रहों को एकसाथ अंतरिक्ष में छोड़ने का काम करते हुए इस प्रक्षेपण ने एक नया इतिहास रच दिया है।
लॉन्च किए जाने वाले दस उपग्रहों में भारत का आधुनिक रिमोट सेसिंग उपग्रह शामिल है। इसका अलावा आठ विदेशी नैनो उपग्रहों को भी छोड़ा गया है।
अपने तय समयानुसार यानी भारत में सुबह के नौ बजकर 23 मिनट पर इस यान को प्रक्षेपित कर दिया।
कुछ ही मिनटों में यान ने अपनी सही ऊंचाई हासिल कर ली और उपग्रह लेकर जाने वाले रॉकेट इससे अलग होकर सफलतापूर्वक स्थापित होने लगे।
इससे पहले पिछले वर्ष अप्रैल में एक रूसी उपग्रह प्रक्षेपण यान से 13 उपग्रहों को छोड़ा गया था लेकिन ये यान अपने अभियान में सफल नहीं हो सका था।
अब भारत का 230 टन वज़न वाला पोलर सेटेलाइट लॉन्च वीहकल (पीएसएलवी-सी9) कुल 824 किलो भार लेकर गया है।
ऐतिहासिक सफलता
क़रीब 70 करोड़ की लागत वाले पीएसएलवी-सी9 की ये 13वीं उड़ान है।
रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट कार्टोसेट-2ए का वज़न 690 किलोग्राम है और इसमें आधुनिक पैनक्रोमैटिक कैमरा लगा हुआ है जो उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें खींच सकता है।
इसके ज़रिए ऐसे तथ्य मिल सकेंगे जिनका इस्तेमाल शहरी और ग्रमीण इलाक़ों में आधारभूत ढाँचे के प्रबंधन में हो सकता है।
पिछले वर्ष भारत के पीएसएलवी-सी7 से पहली बार चार उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया गया था। इनमें दो उपग्रह अर्जेंटीना और इंडोनेशिया के थे।
साइंस मैगज़ीन के दक्षिण एशिया संवाददाता पल्लव बागला के मुताबिक इस प्रक्षेपण की क़ामयाबी से एक नया विश्व कीर्तिमान क़ायम होगा।
इस प्रक्षेपण यान में सबसे बड़ा कार्टोसैट 2A नाम का एक उपग्रह है जो एक मैपिंग उपग्रह है।
ये उपग्रह एक मीटर से छोटी वस्तु को भी 600 किलोमीटर से नाप सकता है। इसकी क्षमता किसी भेदी उपग्रह की तरह ही होगी, लेकिन इसका ऊपयोग असैनिक कामों के लिए होगा।
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Monday, April 28, 2008
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