संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने चीन को बता दिया है कि वो बीजिंग में अगस्त में होने वाले ओलंपिक खेलों के उदघाटन समारोह में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र की एक प्रवक्ता का कहना है कि बान की मून ने कुछ महीने पहले ही अपनी असमर्थता जता दी थी और कहा था कि समय की कमी के कारण उनका बीजिंग जाना निश्चित नहीं है।
इस बीच ओलंपिक मशाल अर्जेंटीना पहुँच गई है जहाँ इसकी सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
तिब्बत पर चीन के शासन के ख़िलाफ़ तिब्बती शरणार्थियों ने कई देशों में ओलंपिक मशाल का विरोध किया है।
जहाँ लंदन में मशाल छीनने की कोशिश की गई, वहीं पेरिस में सुरक्षा कारणों से इसे बुझाना पड़ा।
इस साल के शुरु में तिब्बत में सबसे पहले चीन विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
चीन को ओलंपिक की मेज़बानी मिली है और तिब्बती शरणार्थियों ने इसे ध्यान में रखते हुए विरोध प्रदर्शन तेज़ किए हैं ताकि पूरी दुनिया का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचा जा सके।
इसका असर भी दिखाई दे रहा है। कई चर्चित खिलाड़ियों ने ओलंपिक मशाल दौड़ के बहिष्कार की घोषणा की है।
इस कड़ी में नया नाम जुड़ा है नोबल शांति पुरस्कार विजेता वंगारी मथाई का। उन्होंने चीन में मानवाधिकारों की बुरी स्थिति का हवाला देते हुए तंज़ानिया में मशाल दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा है कि वो तिब्बत की घटनाओं से चिंतित हैं और वहाँ के लोगों के प्रति सहानुभूति रखती हैं।
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Friday, April 11, 2008
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