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Thursday, June 5, 2008

तेल की क़ीमतों के विरोध में बंद - Jun 5, 2008

वामदलों ने यूपीए सरकार से मूल्यवृद्धि वापस लेने की माँग की है यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने पेट्रोलियम पदार्थों की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी के विरोध में पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में गुरुवार को 12 घंटों के बंद का आह्वान किया है। इन तीनों राज्यों में वाममोर्चा की ही सरकारें हैं।

इसके अलावा वामदलों में पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में 'बेतहाशा वृद्धि' के ख़िलाफ़ गुरुवार से हफ़्ते भर पूरे देश में सड़कों पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
वामदलों में यूपीए सरकार से पेट्रोलियम पदार्थों की क़ीमतों में की गई बढ़ोत्तरी को वापस लेने की अपील की है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव प्रकाश करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव एबी बर्धन, फॉर्वर्ड ब्लॉक के देबब्रत बिश्वास और आरएसपी के टीजे चंद्रचूड़न ने एक संयुक्त बयान में कहा है, "वामदल यूपीए सरकार से माँग करते हैं कि वह पेट्रोलियम पदार्थों की क़ीमतों में की गई वृद्धि को वापस ले।"

साझा बयान में कहा गया है कि यह मूल्य वृद्धि ऐसी है जिसे न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता और इसका असर आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों पर भी पड़ेगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार वामदलों ने कहा है कि मूल्य वृद्धि के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान वे हड़ताल करेंगे, रास्ता रोकेंगे, रेल रोकेंगे और प्रदर्शन करेंगे।

सीपीएम महासचिव प्रकाश करात ने तेलूगूदेशम पार्टी और समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे ईंधन के मूल्यों में वृद्धि के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में हिस्सा लें।
इस बंद का व्यापक असर होने की संभावना है क्योंकि एक तो इसका आह्वान सीपीएम ने किया है और दूसरा यह कि इसका असर सीधे जनता पर होने वाला है।

तृणमूल का भी बंद
पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोत्तरी के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल की मुख्य विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी बंद का आह्वान किया है लेकिन शुक्रवार ,को,। यानी वामदलों के बंद के एक दिन बाद ,
तृणमूल कांग्रेस ने मूल्य वृद्धि को 'अभूतपूर्व और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया है।

गुरुवार को वामदलों के बंद पर सवाल उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बैनर्जी ने कहा है, "एक तरफ़ तो वामपंथी यूपीए सरकार को समर्थन करते हैं और ऐसे निर्णय लेने देते हैं और दूसरी ओर बंद करते हैं तो यह नाटक क्यों?"
उनका कहना है कि आमआदमी पहले ही मूल्यवृद्धि के कारण परेशान है और इससे उसकी परेशानी और बढ़ेगी।