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Saturday, May 24, 2008

राजस्थान में तनाव, सेना की तैनाती

राजस्थान में अपनी बिरादरी को जनजाति का दर्जा दिए जाने की माँग को लेकर गूजरों के उग्र आंदोलन को देखते हुए दो जगहों पर सेना की तैनाती की गई है।

शुक्रवार को बयाना में गूजरों के प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस फ़ायरिंग में 13 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और बीस से ज़्यादा घायल हो गए।

राज्य सरकार ने पुलिस फ़ायरिंग की न्यायिक जाँच करवाने की घोषणा की है।

राज्य के कई हिस्सों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। बयाना में भारी संख्या में गूजर समुदाय के लोग पुलिस फ़ायरिंग में मारे गए आठ लोगों के शव के साथ रेल लाइन पर बैठे हुए हैं।

उनका कहना है कि जब तक अनुसूचिज जनजाति के कोटे के तहत आरक्षण की उनकी माँग पर कोई समझौता नहीं होता है, वे शवों का दाह संस्कार नहीं करेंगे।

गूजरों ने झालावाड़ और कोटा में शनिवार को चक्का जाम करने की घोषणा की है, वहीं भीलवाड़ा में बंद का आह्वान किया गया है।

भारी सुरक्षा

राजस्थान के पुलिस महानिदेशक अमरजीत सिंह गिल ने बताया है कि भरतपुर ज़िले के बयाना और करौली के हिंडोन में सेना के दो कॉलम तैनात कर दिए गए हैं और आठ कॉलम को सतर्क रखा गया है।


गूज़र आंदोलन (फ़ाइनल फ़ोटो)
स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और दो जगहों पर सेना तैनात कर दी गई है

साथ ही पुलिस और अर्धसैनिक बलों की 42 कंपनियाँ तैनात की गई हैं।

राज्य प्रशासन ने किसी भी व्यक्ति के हथियार के साथ चलने पर पाबंदी लगा दी है। राजधानी जयपुर में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।

पुलिस महानिदेशक ख़ुद भरतपुर का दौरा कर रहे हैं। वहाँ बयाना में लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी रेल लाइन को आंदोलनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है।

इसके कारण दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर तीस रेलगाड़ियों के परिचालन में बाधा आई है। साथ ही दिल्ली और अन्य स्थानों के लिए जाने वाली चार सौ बसों का परिचालन भी बाधित हो गया है।

शुक्रवार की रात गूजरों ने बूंदी में राज्य के संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत की गाड़ी रोक कर उनके साथ हाथापाई की लेकिन वो किसी तरह निकलने में सफल रहे।

आरक्षण की माँग

आरक्षण की माँग पर गूजरों ने पिछले साल उग्र आंदोलन किया था। तब 29 मई से चार जून के बीच कई बार आंदोलन ने हिंसक रूप अख़्तियार कर लिया और कुल 26 लोग मारे थे।


पिछले साल आरक्षण की माँग पर चोपड़ा आयोग का गठन हुआ था

राज्य सरकार और गूजर प्रतिनिधियों के बीच समझौते के तहत आरक्षण की माँग पर विचार के लिए चोपड़ा आयोग का गठन किया गया।

इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी पेश कर दी लेकिन इसमें आरक्षण के बारे में स्पष्ट तौर पर कोई ज़िक्र नहीं किया गया।

अब गूजरों का कहना है कि उन्हें चोपड़ा आयोग से कोई मतलब नहीं है और वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अपने वादे के मुताबिक कार्यकाल ख़त्म होने से पहले आरक्षण देने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार से करें।