ओलंपिक मशाल रिले को अमरीका में भी विरोध का सामना करना पड़ा है।
अमरीका के सैन फ़्रांसिस्को में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ओलंपिक मशाल दौड़ आयोजित की गई।
लेकिन हज़ारों की संख्या में जुटे चीन-विरोधी प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए आयोजकों ने अंतिम क्षणों में मशाल दौड़ का रास्ता बदल दिया।
अमरीका में विरोध प्रदर्शन
बुधवार को सैन फ़्रांसिस्को में ओलंपिक मशाल दौड़ की दूरी भी आधी कर दी गई। पहले ये रिले दौड़ 10 किलोमीटर की थी।
मशाल के स्वागत में आयोजित समारोह का स्थान भी अंतिम क्षणों में बदलना पड़ा।
सैन फ़्रांसिस्को के मेयर गेविन न्यूसम ने इन बदलावों को ज़रूरी बताते हुए कहा है कि जनसुरक्षा की दृष्टि से ये क़दम उठाने पड़े।
इससे पहले जब ओलंपिक मशाल सैन फ़्रांसिस्को में यात्रा के लिए निकली तो वहाँ नगर के मेयर ने उसका स्वागत किया।
मशाल यात्रा के नियत समय से घंटों पहले ही हज़ारों लोग प्रस्तावित रूट पर जमा हो गए थे।
इनमें तिब्बत समर्थकों की बड़ी संख्या तो थी ही, चीनी मूल के लोग भी अच्छी ख़ासी संख्या में जुटे थे, जो ओलंपिक और मशाल के पक्ष में नारे लगा रहे थे।
आमने-सामने आए समर्थक
ऐसे भी मौक़े आए जब दोनों ही पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए। चीन समर्थक और तिब्बत समर्थक एक दूसरे के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे।
ओलंपिक मशाल का विरोध
सैन फ़्रांसिस्को में चीन समर्थक और तिब्बत समर्थक आमने सामने आ गए।
दोनों गुटों के बीच हल्की-फुल्की झड़प की भी खबर है।
मशाल यात्रा का विरोध कर रही एक महिला ने बताया, "हम चीन सरकार से जुड़ी सारी समस्याओं को उठा रहे हैं, जिनमें बर्मा, दारफ़ुर और तिब्बत के साथ-साथ चीन के भीतर की समस्याएँ भी हैं। मैं और स्वतंत्रता देखना चाहती हूँ।"
लेकिन अपने-अपनी बात रखने की हरसंभव कोशिश कर रहे इन लोगों का इंतज़ार बेकार गया। क्योंकि अंतिम क्षणों में अधिकारियों ने मशाल यात्रा का तयशुदा रूट लगभग पूरी तरह बदल दिया।
हम चीन सरकार से जुड़ी सारी समस्याओं को उठा रहे हैं, जिनमें बर्मा, दारफ़ुर और तिब्बत के साथ-साथ चीन के भीतर की समस्याएँ भी हैं। मैं और स्वतंत्रता देखना चाहती हूँ।
तिब्बत समर्थक
कड़ी सुरक्षा और सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों के बीच इस मशाल को ले जाया गया।
यदि मशाल का रूट नहीं भी बदला गया होता तो चीन समर्थकों और विरोधियों की नज़र मशाल पर शायद ही पड़ती, क्योंकि मशाल के चारों ओर सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाकर्मी चल रहे थे।
इनमें चीनी सुरक्षाकर्मी भी थे, जिन्हें मशाल की सुरक्षा के पहले घेरे के रूप में लगा रखा था।
वैसे, दौड़ शुरू होने से पहले विरोध कर रहे एक शख्स को हिरासत में भी लिया गया।
ओबामा ने भी किया विरोध
अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवारी के दावेदार बराक़ ओबामा ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से अपील की है कि वो बीजिंग ओलंपिक के उदघाटन समारोह में शामिल न हों।
ओबामा ने कहा कि जब तक चीन तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाता और दारफ़ुर में होने वाले कथित जनसंहार को रोकने में मदद नहीं देता तब तक बीजिंग ओलंपिक का विरोध किया जाना चाहिए।
इससे पहले डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दावेदार हिलेरी क्लिंटन भी राष्ट्रपति बुश से इसी तरह के विरोध की अपील कर चुकी हैं।
हिलेरी क्लिंटन ने ब्रितानिया के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन के बीजिंग ओलंपिक के उदघाटन समारोह में शामिल न होने के फ़ैसले का भी स्वागत किया है।
ओलंपिक मशाल रिले का विरोध
कई जगहों पर चीन और तिब्बत समर्थक आपस में उलझ भी गए।
अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पहले ही चीन से अपील कर चुके हैं कि वो तिब्बत के मामले में वहाँ के निर्वासित नेता दलाई लामा से बातचीत करके इस मसले को सुलझाएँ।
इससे पहले पेरिस और लंदन में भी बीजिंग ओलंपिक मशाल का जमकर विरोध किया गया था।
ओलंपिक मशाल ग्रीस के ओलंपिया में 24 मार्च को ज्योति जलाई गई थी और इसे बीजिंग में आठ अगस्त को ओलंपिक खेलों के उदघाटन से पहले 20 देशों से होकर गुज़ारा जाना है।
ओलंपिक मशाल अमरीका के बाद अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस ऑयर्स ले जाई जाएगी। 17 अप्रैल को ये मशाल दिल्ली पहुँचेगी।
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Thursday, April 10, 2008
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