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Thursday, March 5, 2009

कांग्रेस और राकंपा में सीटो पर हुआ समझौता - मार्च 5, 2009

हिन्दी अनुवाद:

महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा आखिरकार लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने पर सहमत हो गए। चार दौर की बातचीत के बाद कांग्रेस और राकांपा के बीच 41 सीटों पर सहमति बन गई है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख मानिकराव ठाकरे ने बुधवार को दिल्ली में कहा कि 48 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य की बाकी बची सीटों पर भी जल्द ही फैसला कर लिया जाएगा।

उधर, नागपुर में राकांपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हमारे बीच 40 सीटों पर सहमति बन गई है। आरपीआई और सपा के साथ बातचीत के बाद बाकी बची अन्य सीटों के बारे में जल्द ही फैसला कर लिया जाएगा।

कांग्रेस और राकांपा सूत्रों के मुताबिक दोनों दल 40-41 सीटों में से 19-19 सीटों पर चुनाव लड़ने को सहमत हैं। शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी [राकांपा] ने विदर्भ की दस में से तीन सीटों पर अपना दावा किया है। इनमें भंडारा सीट भी शामिल है। इस सीट से प्रफुल्ल पटेल की पत्नी वर्षा बेन के चुनाव लड़ने की संभावना है।

राकांपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में 21 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। इस बार 24 सीटों की मांग कर रही थी। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण और पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख समेत कांग्रेस के शीर्ष नेता पिछले लोकसभा चुनाव का सीट फार्मूला ही लागू रखने की बात करते रहे हैं।

सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए पवार जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता . के. एंटनी से मुलाकात करेंगे।

English Translation:

After four rounds of negotiations, Congress and NCP have agreed to contest on 40-41 Lok Sabha seats in Maharashtra while a decision on remaining eight seats will be taken soon, leaders of the two parties announced today.
The two parties agreed on seat-sharing for 41 of the 48 Lok Sabha constituencies in Maharashtra, state's Congress chief Manikrao Thakre said in Delhi today.

"We have reached the formula for sharing 40 seats and all RPI factions and Samajwadi Party will be adjusted in a few seats besides finalising other seats," senior NCP leader and Civil Aviation Minister Praful Patel told reporters in Nagpur.

Sources in Congress-NCP alliance said the two parties have agreed to contest 19 seats each out of the 40-41 and the a decision on remaining seats would be taken in a day or two.

NCP, a coalition partner of Congress-led UPA and Democratic Front governments at the Centre and Maharashtra respectively, has staked claim to three out of ten seats in Vidarbha region including that of Bhandara.

NCP chief Sharad Pawar will contest from Madha adjacent to his pocket-borough Baramati.

Monday, March 2, 2009

समाजवादी पार्टी के प्रस्ताव से कांग्रेस सहमत नही - मार्च 2, 2009

हिन्दी अनुवाद:

उत्तर प्रदेश से लोकसभा की 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के समाजवादी पार्टी के प्रस्ताव से कांग्रेस से सहमत नहीं होने से राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन खटाई में पड़ता नजर रहा है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी पार्टी हाई कमान को अपने 24 उम्मीदवारों की सूची पहले ही प्रेषित कर चुकी। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की सोमवार की रात अथवा कल होने वाली बैठक में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक प्रवक्ता ने बताया कि 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश से कांग्रेस जिन 24 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक है उनके लिए हमने अपने उम्मीदवारों के नाम हाईकमान को भेज दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी द्वारा 17 सीटें दिए जाने के प्रस्ताव से सहमत नहीं है और अगर सपा अपनी जिद पर अड़ी रही तो गठबंधन के बारे में जारी बातचीत प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि हमने न्यूनतम 24 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और इससे कम पर कोई समझौता नहीं होगा।

समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन से पहले ही राज्य की 62 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है। प्रदेश से सपा के 35 और कांग्रेस के 09 सांसद हैं। दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के लिए चल रही बातचीत के बीच कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में भी जुटी है और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राज्य के सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों में केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [संप्रग] की उपलब्धियों का बखान करने वाले बैनर, पोस्टर और होर्डिग्स रवाना करना शुरु कर दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांगेस समाजवादी पार्टी की दबाव की राजनीति के आगे नहीं झुकेंगी। गठबंधन तभी होगा जब दोनों पार्टियां समान रूप से थोड़ा-थोड़ा झुकेंगी। कांग्रेस द्वारा अपने प्रत्याशियों की सूची कल तक जारी किए जाने के बाद ही स्थिति साफ होगी।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने केंद्रीय नेतृत्व को जिन 24 उम्मीदवारों की सूची प्रेषित की है, उनमें लखनऊ और इलाहाबाद सीट शामिल नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रतिनिधित्व वाले लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी हैं।

प्रदेश में सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी ने लखनऊ क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास को सपा ने फिल्मस्टार संजय दत्त और भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के पूर्व मंत्री लालजी टंडन को अपना उम्मीदवार बनाया है। हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं लेकिन उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा हाईकमान को प्रेषित 24 प्रत्याशियों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं है।

कांग्रेस और सपा के सूत्रों के अनुसार दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन में प्रतापगढ़, फर्रुखाबाद, फूलपुर, रामपुर, फतेहपुर सीकरी, गोण्डा और लखनऊ सीटों को लेकर तनातनी चल रही है मगर लखनऊ से सपा प्रत्याशी के रूप में संजय दत्त के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस के तेवर कुछ नरम पड़े हैं।

इस बीच, राजनीतिक हलकों में यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि सपा कांग्रेस के बीच गठबंधन की स्थिति में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष डा रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद जिले की फूलपुर सीट से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं। इस सीट का प्रतिनिधित्व देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने किया था।

English Translation:

After Congress struck up alliance with Trinamool Congress, the party is now gearing up to finalise deal with Samajwadi Party for the forthcoming Lok Sabha election.

SP president Mulayam Singh Yadav, after meeting Congress President Sonia Gandhi in New Delhi, said his talks were positive.

"The alliance between Samajwadi Party and Congress will take place, Mulayam added.

On Sunday, Trinamool Congress formed an alliance with Congress in West Bengal to fight the Left Front in the Lok Sabha elections in a significant development that gave the UPA one more ally weaning Mamata Banerjee's party away from the BJP-led NDA.

Meanwhile, Congress on Monday said it would like to contest at least 25 seats in Uttar Pradesh and expressed hope that a consensus would be reached with alliance partner Samajwadi Party, which is ready to give only 17 seats.

We would like to contest at least 25 seats in the state" in the coming Lok Sabha polls, UP Congress President Rita Bahuguna Joshi told reporters in New Delhi.

Her comments came a day after Samajwadi Party chief Mulayam Singh Yadav and party general secretary Amar Singh met Congress President Sonia Gandhi and made it clear that their party will not give more than 17 seats to Congress.

Senior Congress leader Salman Khurshid hoped that seat-sharing talks would conclude soon as top leaders of both the parties are involved in the process.

"SP began the talks by offering only 12 seats, while the Congress wanted at least 25. We could reach a consensus on a figure which is between these two numbers," he said, noting the top leaders of both the parties are in consultations.

Khurshid said that the alliance is possible in the state as deliberations are being conducted at the highest level. The comments of the two leaders came at the sidelines of a media workshop organised by the party in New Delhi.

Tuesday, February 17, 2009

नारायण राणे की कांग्रेस में वापसी - फरवरी 17, 2009

हिन्दी अनुवाद:

कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोप में दो महीने पूर्व पार्टी से निलंबित किए गए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को सोमवार को कांग्रेस में वापस ले लिया गया।

कांग्रेस प्रवक्ता जयंती नटराजन ने नई दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नारायण राणे की निलंबन वापसी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। यह प्रस्ताव रक्षा मंत्री .के.एंटनी की ओर से किया गया था। एंटनी महाराष्ट्र के प्रभारी महासचिव भी हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख इस कदम से खुश हुए होंगे, नटराजन ने जवाब दिया, "क्यों नहीं?"

मालूम हो कि 26 नवंबर को मुंबई हमले के बाद अशोक चह्वाण को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया। इस पर राणे, पार्टी नेतृत्व पर भड़क उठे थे। उनके व्यवहार पर कांग्रेस ने उन्हें 6 दिसंबर को पार्टी से निलंबित कर दिया था।

उधर मुंबई में पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव संजय निरूपम ने कहा- पार्टी द्वारा उठाया गया यह कदम पार्टी सरकार में राणे के पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

इस बीच मुंबई में एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि निलंबन वापसी के बाद राणे को राज्य मंत्रिमंडल में कोई पद दिया जा सकता है।

एक अन्य सूत्र के अनुसार उन्हें राज्य में पार्टी का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है।

English Translation:

Former Maharashtra Chief Minister Narayan Rane's suspension from the Congress was revoked today with immediate effect in an apparent move by the party high command to present a united face ahead of the Lok Sabha polls.
The announcement about the revocation of suspension of the Shiv Sena leader-turned-Congressman was made by AICC General Secretary Janardan Dwivedi.

Rane, 57, was suspended a few months back after he attacked Congress President Sonia Gandhi after failing to become Chief Minister of Maharashtra following the removal of Vilasrao Deshmukh which saw Ashok Chavan getting the coveted job in the state.

Since then, Rane had been giving conciliatory signals and also had a meeting with the new chief minister, a foe-turned friend, who had been reportedly lobbying with the high command for the senior leader's rehabilitation.

There have been reports that Rane, an influential leader from the Konkan area, could become a minister.

Party sources said that the suspension was revoked as the senior leader had expressed regrets over his action and utterances against the leadership.

The move has come at a time when the Congress is under pressure from Sharad Pawar's NCP over seat sharing in the state and partymen pleading with the high command that a strong leader like Rane was an asset.

Thursday, July 31, 2008

सुषमा के आरोपों से तिलमिलाई कांग्रेस - जुलाई 31, 2008

भाजपा नेता सुषमा स्वराज के आरोपों से तिलमिलाई कांग्रेस ने कहा कि अब तक हम दुनिया को भारत में सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार होने की सच्चाई बताते थे, लेकिन अब सुषमा ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग को चंद वोटों के लिए मजाक में बदल दिया है।

भाजपा से इसकी निंदा करने की मांग करते हुए कांग्रेस ने कहा, भाजपा की चुप्पी यह संकेत करती है कि उसे भारत और भारतीयों पर ही एतबार नहीं। इसलिए भाजपा नेता ने आतंकियों को बेगुनाही का प्रमाणपत्र तो दे ही दिया, साथ ही भारत में अशांति फैलाने की कोशिश में लगे देशों को भी क्लीन चिट दे दी।

बेंगलूर और अहमदाबाद विस्फोटों को संसद के नोट कांड से ध्यान बंटाने के लिए केंद्र की रची गई साजिश के सुषमा स्वराज के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि केवल सुषमा की निजी राय बता भाजपा इस मामले से पिंड नहीं छुड़ा सकती। यह बयान न केवल स्तब्धकारी बल्कि सभी भारतीयों को आक्रोशित करने वाला है क्योंकि उनके द्वारा चुनी गई सरकार पर आतंकवादी साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। वह भी किसी छुटभैये नेता ने नहीं बल्कि मुख्य विपक्षी दल की राज्यसभा में उपनेता ने यह संगीन आरोप लगाए हैं।

सिंघवी ने कहा, पक्ष-विपक्ष के राजनीतिक विरोधों के बावजूद आज तक कभी ऐसी बात नहीं हुई कि एक दूसरे पर आतंकी साजिश रचने के आरोप लगाए जाएं। भाजपा ने अब तक इसकी निंदा नहीं कर जाहिर कर दिया है कि उसे भारत और भारतीयों पर विश्वास नहीं। सिंघवी ने सवालिया अंदाज में कहा कि जिस पार्टी को वतनपरस्तों पर ही भरोसा नहीं उसे अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली पर कैसे विश्वास होगा?

कांग्रेस का मानना है कि सुषमा के इस बयान से दुनिया में भारत हास्य का पात्र बन गया है। भारत लगातार दुनिया को यह सच्चाई बताता आ रहा है कि वह सीमापार से प्रोत्साहित आतंकवाद की वजह से इसका दंश झेल रहा है। भाजपा नेता ने इसके उलट अपनी ही सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगा भारत में अशांति फैलाने की कोशिश में जुटे देशों और आतंकवादी संगठनों को निर्दोष साबित करने का कारनामा कर दिखाया है। सिंघवी ने कहा, भाजपा को राजनीतिक संकीर्णता की सीमाओं से ऊपर उठकर देश की खातिर सुषमा के बयान की निंदा करनी चाहिए।

English Translation

With criticism pouring in and no let up in attack from Congress, BJP on Wednesday disowned the controversial remarks of Sushma Swaraj linking the terror attacks on party-controlled states of Gujarat and Karnataka to a "political conspiracy".

The disengagement from Swaraj's controversial formulation, which has embarrassed the BJP and has given a handle to Congress, came at the regular briefing for the media with spokesperson Prakash Javadekar emphasising that the party's stand was what was articulated by L K Advani.

"The BJP's stand is exactly what Mr Advani said in Ahmedbabad, that the blasts were not an attack on a party or a state but an attack on the nation. Ms Swaraj was merely expressing her personal views," Javadekar said.

Swaraj had on Monday surprised many when she said that two terror attacks in quick succession in BJP-ruled states could be a conspiracy to divert attention away from the "cash-for-vote" scam.

Saturday, April 12, 2008

माओवादी नेता प्रचंड जीत के क़रीब

नेपाल में संविधान सभा के गठन के लिए हुए चुनावों की मतगणना में माओवादी लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों को झटका लगा है।

अभी तक पाँच सीटों के नतीजे घोषित किए गए हैं जिनमें तीन नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पक्ष में गए हैं।

एक-एक सीटों पर नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड मार्क्सवादी लेनिनवादी) यानी सीपीएन (यूएमएल) के पक्ष में गए हैं।

जिन 70 सीटों के रूझान मिले हैं उनमें से 48 सीटों पर माओवादियों ने बढ़त बनाई हुई है।

मतगणना की रफ़्तार धीमी है क्योंकि कुछ एक सीटों को छोड़ कर शेष सीटों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग नहीं हुआ है, इसलिए मतपत्रों को गणना में समय लग रहा है।

लेकिन अब तक मिले रुझानों से माओवादी खेमे में जश्न का माहौल है और उनके हज़ारों समर्थक सड़कों पर निकल आए हैं।

समीकरण

पार्टी के चैयरमैन पुष्पकमल दहल यानी प्रचंड ने काठमांडू क्षेत्र नंबर 10 में निर्णायक बढ़त बना ली है और उनकी जीत तय मानी जा रही है।

जबकि सीपीएन (यूएमएल) के नेता माधव नेपाल पिछड़ गए हैं। माओवादियों के बाद नेपाली कांग्रेस दूसरे नंबर पर है।

उनके उम्मीदवार प्रकाशमान सिंह चुनाव जीत गए हैं।

अभी तक के रुझानों को देखा जाए तो सबसे तगड़ा झटका नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) को लगा है। उनके एक बड़े नेता प्रदीप नेपाल चुनाव हार चुके हैं।

लोगों का कहना है कि चुनाव प्रचार में माओवादियों ने बड़े ही सीधे शब्दों में जनता के सामने अपना एजेंडा रखा जिसका फ़ायदा उन्हें मिल रहा है।

दूसरी ओर अन्य पार्टियाँ कभी न कभी सत्ता का स्वाद चख चुकी हैं। पर्यवेक्षकों की राय में उन्हें अवसरवादी समझा जा रहा है।

राजधानी काठमांडू में एक माओवादी समर्थक का कहना था, "उन्होंने जनता के लिए काम किया है। दस साल से संघर्ष करते आए हैं, न पानी पीया और न ठीक से खाना खाया। इसका फ़ायदा तो मिलेगा ही।"

प्रणाली

इस चुनाव मे 240 सीटों पर प्रत्यक्ष चुनाव और 335 सीटों के लिए समानुपातिक पद्धति से चुनाव हुआ है, जिसमें मतदाता को उम्मीदवार को न चुनकर पार्टी को चुनना था।


ग्रामीण इलाक़ों के रुझान आने शुरू नहीं हुए हैं

अब जिस तरह के रूझान प्रत्यक्ष चुनावों के आ रहे हैं, उनसे ऐसा लग रहा है कि माओवादियों को समानुपातिक चुनाव मे काफ़ी फ़ायदा हो सकता है। इसका कारण बताया जा रहा है कि जहाँ उनका परंपरागत आधार नहीं है वहाँ अगर वो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो उनके गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों मे उन्हें एकतरफ़ा बढ़त मिल सकती है।

हालाँकि अब तक माओवादियों के साथ सरकार में शामिल थे पर उनका कहना है कि संविधानसभा में माओवादियों के बहुमत की स्थिति में देश में लोकतंत्र स्थापित करने के संयुक्त प्रयास को झटका लग सकता है क्योंकि माओवादी मिलजुल कर काम करने के आदी नही हैं।

उधर नेपाली कांग्रेस के नेता भी चुनाव परिणामों को हैरान करने वाला बता रहे हैं। हालाँकि ये नेता अभी हार स्वीकार नही कर रहे हैं, पर दबी ज़ुबान मे मान रहे हैं कि उनके कई धुरधंर भी ख़तरे मे हैं।

हालाँकि चुनाव परिणाम पूरी तरह सामने आने में कई दिन लग सकते हैं क्योंकि नेपाल के कई दुर्गम इलाके़ ऐसे हैं जहाँ मतगणना अभी शुरू ही हुई है वहाँ से तस्वीर साफ़ होने मे समय लगेगा, पर तराई और राजधानी काठमांडू मे कल तक तस्वीर काफ़ी हद तक साफ़ हो जाएगी और कई परिणाम सामने आ सकते हैं।

Friday, March 14, 2008

सोनिया के अध्यक्ष के रूप में 10 साल

सोनिया गांधी शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में 10 साल पूरे कर एक कीर्तिमान स्थापित करने जा रही हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों की एक बैठक हुई जिसमें एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी में उनके योगदान की प्रशंसा की गई।

कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी ने कहा,'' हम पार्टी को नेतृत्व प्रदान करने के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। ये कांग्रेस के 122 साल के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण हैं।''


हम पार्टी को नेतृत्व प्रदान करने के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं. ये कांग्रेस के 122 साल के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण हैं

कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी

सोनिया गांधी ने 1998 में सीताराम केसरी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद उस वक्त संभाला था जब भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) केंद्र में सत्ता में था।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार सोनिया का सबसे बड़ा योगदान ये रहा कि उन्होंने न केवल संकट के दिनों में पार्टी को एकजुट बनाये रखा बल्कि धीरे-धीरे उसे सत्तावापसी की राह पर भी वापस ला दिया।

लंबा कार्यकाल

जब सोनिया इंदिरा गांधी की बहू बनी थीं उस वक्त उन्हें राजनीति में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन दिलचस्प तथ्य ये है कि गांधी नेहरू परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया है।


सोनिया गांधी
सोनिया गांधी को विदेशी मूल के मुद्दे को लेकर कटु आलोचना झेलनी पड़ी है

पार्टी नेता जनार्दन द्विवेदी का कहना है कि कांग्रेस के 122 साल के इतिहास में पार्टी के किसी अध्यक्ष ने इतना लंबा और सफल कार्यकाल पूरा नहीं किया।

सोनिया ने मई, 2004 में हुए लोकसभा चुनावों के पहले ग़ैर भाजपा दलों को एक मंच पर लाकर एक तरह से यह सुनिश्चित कर दिया कि एनडीए सत्ता में वापस न आए।

सोनिया गांधी को कड़े विरोध का सामना भी करना पड़ा है। विदेशी मूल के मुद्दे को लेकर उन्हें विरोधियों की कटु आलोचना झेलनी पड़ी है।

साथ ही मेनका गांधी जैसे परिवार के अन्य सदस्यों की चुनौती का भी सामना करना पड़ा है।

उन्होंने मई, 2004 में लोक सभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री का पद स्वीकार न कर काफ़ी लोकप्रियता अर्जित की।

लाभ के पद को लेकर उठे विवाद के बाद सोनिया गांधी ने अपनी रायबरेली सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था और वो वहाँ से फिर चुनाव जीतीं।

कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ-साथ सोनिया राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (यूपीए) की भी अध्यक्ष हैं और उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि विभिन्न दबावों के बावजूद गठबंधन ठीक तरह से चलता रहे।

ये बात इसलिए भी अहम है क्योंकि कांग्रेस ने पहली बार अन्य दलों के साथ मिलकर केंद्र में गठबंधन सरकार बनाई है।