नेपाल में संविधान सभा के गठन के लिए हुए चुनावों की मतगणना में माओवादी लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों को झटका लगा है।
अभी तक पाँच सीटों के नतीजे घोषित किए गए हैं जिनमें तीन नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पक्ष में गए हैं।
एक-एक सीटों पर नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड मार्क्सवादी लेनिनवादी) यानी सीपीएन (यूएमएल) के पक्ष में गए हैं।
जिन 70 सीटों के रूझान मिले हैं उनमें से 48 सीटों पर माओवादियों ने बढ़त बनाई हुई है।
मतगणना की रफ़्तार धीमी है क्योंकि कुछ एक सीटों को छोड़ कर शेष सीटों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग नहीं हुआ है, इसलिए मतपत्रों को गणना में समय लग रहा है।
लेकिन अब तक मिले रुझानों से माओवादी खेमे में जश्न का माहौल है और उनके हज़ारों समर्थक सड़कों पर निकल आए हैं।
समीकरण
पार्टी के चैयरमैन पुष्पकमल दहल यानी प्रचंड ने काठमांडू क्षेत्र नंबर 10 में निर्णायक बढ़त बना ली है और उनकी जीत तय मानी जा रही है।
जबकि सीपीएन (यूएमएल) के नेता माधव नेपाल पिछड़ गए हैं। माओवादियों के बाद नेपाली कांग्रेस दूसरे नंबर पर है।
उनके उम्मीदवार प्रकाशमान सिंह चुनाव जीत गए हैं।
अभी तक के रुझानों को देखा जाए तो सबसे तगड़ा झटका नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) को लगा है। उनके एक बड़े नेता प्रदीप नेपाल चुनाव हार चुके हैं।
लोगों का कहना है कि चुनाव प्रचार में माओवादियों ने बड़े ही सीधे शब्दों में जनता के सामने अपना एजेंडा रखा जिसका फ़ायदा उन्हें मिल रहा है।
दूसरी ओर अन्य पार्टियाँ कभी न कभी सत्ता का स्वाद चख चुकी हैं। पर्यवेक्षकों की राय में उन्हें अवसरवादी समझा जा रहा है।
राजधानी काठमांडू में एक माओवादी समर्थक का कहना था, "उन्होंने जनता के लिए काम किया है। दस साल से संघर्ष करते आए हैं, न पानी पीया और न ठीक से खाना खाया। इसका फ़ायदा तो मिलेगा ही।"
प्रणाली
इस चुनाव मे 240 सीटों पर प्रत्यक्ष चुनाव और 335 सीटों के लिए समानुपातिक पद्धति से चुनाव हुआ है, जिसमें मतदाता को उम्मीदवार को न चुनकर पार्टी को चुनना था।
ग्रामीण इलाक़ों के रुझान आने शुरू नहीं हुए हैं
अब जिस तरह के रूझान प्रत्यक्ष चुनावों के आ रहे हैं, उनसे ऐसा लग रहा है कि माओवादियों को समानुपातिक चुनाव मे काफ़ी फ़ायदा हो सकता है। इसका कारण बताया जा रहा है कि जहाँ उनका परंपरागत आधार नहीं है वहाँ अगर वो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो उनके गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों मे उन्हें एकतरफ़ा बढ़त मिल सकती है।
हालाँकि अब तक माओवादियों के साथ सरकार में शामिल थे पर उनका कहना है कि संविधानसभा में माओवादियों के बहुमत की स्थिति में देश में लोकतंत्र स्थापित करने के संयुक्त प्रयास को झटका लग सकता है क्योंकि माओवादी मिलजुल कर काम करने के आदी नही हैं।
उधर नेपाली कांग्रेस के नेता भी चुनाव परिणामों को हैरान करने वाला बता रहे हैं। हालाँकि ये नेता अभी हार स्वीकार नही कर रहे हैं, पर दबी ज़ुबान मे मान रहे हैं कि उनके कई धुरधंर भी ख़तरे मे हैं।
हालाँकि चुनाव परिणाम पूरी तरह सामने आने में कई दिन लग सकते हैं क्योंकि नेपाल के कई दुर्गम इलाके़ ऐसे हैं जहाँ मतगणना अभी शुरू ही हुई है वहाँ से तस्वीर साफ़ होने मे समय लगेगा, पर तराई और राजधानी काठमांडू मे कल तक तस्वीर काफ़ी हद तक साफ़ हो जाएगी और कई परिणाम सामने आ सकते हैं।
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