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Tuesday, March 24, 2009

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका - मार्च 24, 2009

हिन्दी अनुवाद:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार सुबह अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका। उनके साथ उनकी पत्नी गुरशरण कौर भी थीं।

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)में 24 जनवरी को हुई सफल बाइपास सर्जरी के बाद सिंह स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने पहुंचे।

प्रधानमंत्री ने नीले रंग की जैकिट के साथ कुर्ता-पायजामा पहन रखा था। वह स्वर्ण मंदिर में लगभग आधे घंटे रहे और प्रार्थना सुनी।

प्रधानमंत्री के साथ शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष अवतार सिंह भी उपस्थित थे। एम्स में हुई सफल सर्जरी के बाद प्रधानमंत्री की दिल्ली से बाहर यह पहली यात्रा थी।

इस निजी दौरे के दौरान उन्होंने अमृतसर में अपने रिश्तेदारों से भी मुलाकात की।

प्रधानमंत्री की अमृतसर यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। वह सोमवार शाम ही भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से यहां पहुंचे थे।

English Translation:

Prime Minister Dr. Manmohan Singh on Tuesday morning paid obeisance at the Sri Harmandir Sahib also known as the Golden Temple.

Dr. Singh along with his wife Gursharan Kaur offered thanks giving prayers after his successful coronary by-pass surgery.

Before entering the sanctom sanctorum, the Prime Minister did ”Parikrama” of Sri Harmandir Sahib and then listened to the ”path” and ”ardaas”. He spent more than half-an-hour there.

Before leaving for New Delhi, Dr. Singh also visited the Durgiana Temple.

This was his first trip outside Delhi since he underwent a coronary by-pass surgery.

Seventy-six-year-old Dr. Singh underwent a ”redo” coronary artery bypass surgery to remove five blockages in his heart at the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) on January 24 and has since been recuperating.

Friday, May 16, 2008

मनमोहन सिंह दो दिनों की भूटान यात्रा पर

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शुक्रवार को दो दिनों की भूटान यात्रा पर जा रहे हैं।

मनमोहन सिंह दुनिया के सबसे नए लोकतंत्र भूटान की यात्रा पर पहुँचने वाले पहले विश्वनेता हैं और वे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे।

मनमोहन सिंह भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे थिनली से भी मिलेंगे।

वे एक पनबिजली योजना का लोकार्पण करेंगे और एक नई परियोजना का शिलान्यास करेंगे।

इसके अलावा दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते होने की संभावना है।

अहम यात्रा

मनमोहन सिंह की भूटान यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वहाँ वांग्चुक राजवंश के सौ साल पूरे हो रहे हैं और नए राजा जिग्मे खेशर नांग्याल इसी साल गद्दी पर बैठे हैं।

भूटान ने पहली बार लोकतंत्र में क़दम रखे हैं और हाल ही में वहाँ नई संसद के चुनाव हुए हैं।

यही समय है जब भूटान में दसवीं पंचवर्षीय योजना शुरु हो रही है।

जैसा कि भारत के विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने बताया यही वो साल है जब भारत-भूटान संबंधों के पचास साल पूरे हो रहे हैं।

उन्होंने बताया, "पंडित जवाहर लाल नेहरु ने वर्ष 1958 में एक महीने की भूटान की यात्रा पर गए थे। उन्होंने घोड़े और याक से अपनी यात्रा पूरी की थी। अब बदले वक़्त और विकास के फ़र्क को आप ख़ुद देख सकते हैं कि मनमोहन सिंह सीधी उड़ान से वहाँ पहुँच रहे हैं।"

भारत सड़क निर्माण, स्कूल और स्वास्थ्य सभी क्षेत्रों में भूटान की बड़ी मदद करता रहा है लेकिन अब उसकी नज़र भूटान की पनबिजली क्षमता पर है।

पनबिजली

विश्लेषक मानते हैं कि भारत के साथ 700 किलोमीटर की सीमा बाँटने वाले भूटान के साथ संबंध इसलिए भी फ़ायदेमंद है क्योंकि वहाँ पनबिजली पैदा करने की बड़ी क्षमता है।

जैसा कि भारत के विदेश सचिव ने बताया कि भूटान में 30 हज़ार मेगावाट पनबिजली पैदा करने की क्षमता है लेकिन अभी तक दोनों देशों ने मिलकर 1,400 मेगावाट की क्षमता का ही इस्तेमाल किया है।

इस दौरे में मनमोहन सिंह 1020 मेगावाट की क्षमता वाले ताला पनबिजली परियोजना का लोकार्पण करेंगे जिसका निर्माण भारत के सहयोग से हुआ है।

इसके अलावा वे 1095 मेगावाट की क्षमता वाले पुनत्सांग्चू पनबिजली परियोजना का शिलान्यास भी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भूटान अपने यहाँ पैदा होने वाली बिजली का अतिरिक्त हिस्सा भारत को बेचता है।

भारत का लक्ष्य है कि वहाँ वर्ष 2020 तक 5000 मेगावाट पनबिजली पैदा करने की क्षमता विकसित की जा सके।

Saturday, February 9, 2008

चीन की शिकायत पर भारत का ऐतराज़

भारतीय विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने चीन की आपत्तियों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और प्रधानमंत्री वहाँ जाने को स्वतंत्र हैं।

ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 31 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की थी और कहा था कि देश में सूर्योदय की किरणें सबसे पहले इसी राज्य में पड़ती हैं।

समाचार एजेंसियों के मुताबिक उनकी इस यात्रा पर चीन सरकार ने अनौपचारिक विरोध दर्ज कराया है।

चीन लंबे अरसे से दावा करता रहा है कि अरूणाचल का बड़ा हिस्सा उसके भू-भाग का अंग है।

चीन के विरोध पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए प्रणव मुखर्जी ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि यह पूर्वोत्तर राज्य देश का अभिन्न भाग है और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के किसी भी भाग में जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हम चीन के रुख़ से वाकिफ़ हैं और वे भी हमारे विचारों से अवगत हैं।

उनका कहना था, "हमारे पास संसद में अरुणाचल प्रदेश से चुने गए प्रतिनिधि हैं। इसलिए ये स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री देश के किसी भी हिस्से की यात्रा कर सकते हैं।"

भारत और चीन सीमा विवाद के मसले को सुलझाने के लिए लगातार बातचीत करते रहे हैं।

कूटनयिक हलकों में माना जा रहा था कि इस लिहाज़ से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हाल में हुई चीन यात्रा काफी सफल रही है।

लेकिन उनकी चीन यात्रा के एक माह बाद ही ताज़ा विवाद सामने है।

Tuesday, January 22, 2008

ब्राउन ने दिया भारत को पुरज़ोर समर्थन

भारत की यात्रा के अंतिम दिन ब्रितानी प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिए जाने की पुरज़ोर वकालत की है।

गॉर्डन ब्राउन ने दिल्ली में आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, "भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और सबसे तेज़ी से दुनिया में अपनी जगह बना रहा है, दुनिया के प्रमुख मंचों पर भारत को उसकी जायज़ जगह मिलनी चाहिए।"

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "भारत और चीन को दरकिनार करके कोई वैश्विक व्यवस्था काम नहीं कर सकती। मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत को उसकी न्यायोचित जगह मिलनी चाहिए।"

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और सबसे तेज़ी से दुनिया में अपनी जगह बना रहा है, दुनिया के प्रमुख मंचों पर भारत को उसकी जायज़ जगह मिलनी चाहिए।

गॉर्डन ब्राउन

इससे पहले भी गॉर्डन ब्राउन ने कहा था कि दुनिया भर की प्रमुख संस्थाओं में सुधार होना चाहिए ताकि भारत को सही जगह मिल सके।

प्रधानमंत्री ब्राउन का कहना था कि संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ऐसी संस्थाएँ हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी थीं और अब उनमें व्यापक सुधार करने का समय आ गया है।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इन संस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर हुए बदलावों और एशिया की बढ़ रही भूमिका को प्रतिबिंबित करना होगा।

अड़चनें

मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता मिलने में कई अड़चनें हैं लेकिन ऐसे सुधार कभी आसान नहीं होते।

भारत और चीन को दरकिनार करके कोई वैश्विक व्यवस्था काम नहीं कर सकती। मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत को उसकी न्यायोचित जगह मिलनी चाहिए।

मनमोहन सिंह

गॉर्डन ब्राउन ने आशा जताई कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिल सकेगी क्योंकि "पूरी दुनिया में इस बात पर तो आम सहमति है कि संयुक्त राष्ट्र के ढाँचे में परिवर्तन होना चाहिए मगर उसके तरीक़े को लेकर मतभेद हैं जिन्हें सुलझा लिया जाएगा।"

ब्रितानी प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत और ब्रिटेन की साझीदारी सिर्फ़ दोनों देशों के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया की बेहतरी में है।"

ब्राउन ने आशा जताई कि भारत सिर्फ़ आर्थिक विकास के मामले में ही नहीं बल्कि पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में भी विकासशील देशों का नेतृत्व करेगा।

भारतीय प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों देश आतंकवाद के ख़िलाफ़ मिलकर लड़ना जारी रखेंगे।

ब्रितानी प्रधानमंत्री ब्राउन भारत में महिला सशक्तिकरण योजनाओं के लिए 82 लाख 50 हज़ार पाउंड की सहायता राशि देने की भी घोषणा कर चुके हैं।