Monday, March 24, 2008

राजतंत्र की पहल पर लोकतंत्र के लिए मतदान

सौ साल से ज़्यादा की राजशाही के बाद भूटान में पहली बार सोमवार को लोकतांत्रिक चुनाव हो रहे हैं। इस ऐतिहासिक चुनाव में भूटान की जनता 47 संसदीय सीटों के लिए अपनी प्रतिनिधियों का चुनाव करेगी।

भारत और चीन के बीच स्थित इस छोटे देश के शाही परिवार ने ही लोकतांत्रिक चुनाव की पहल की थी जिसका मानना है कि अब देश की जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए तैयार हो गई है।

हालाँकि बड़ी संख्या में लोग यह भी मानते हैं कि वे राजशाही से ख़ुश हैं। भूटान के पहले संसदीय चुनाव में सिर्फ़ दो पार्टियाँ ही अपना क़िस्मत आज़मा रही हैं।

दोनों पार्टियों पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भूटान हॉर्मनी पार्टी ने जनता से वादा किया है कि चुनाव जीतने पर वे देश की आर्थिक प्रगति पर ध्यान देंगी और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाएँगी।

दोनों पार्टियों का नेतृत्व पूर्व मंत्रियों के हाथ में है। पीपुल्ल डेमोक्रेटिक पार्टी की कमान संभाल रहे हैं संगय नगेडप, जो पूर्व राजा की पत्नी के भाई हैं। जबकि भूटान हॉर्मनी पार्टी का नेतृत्व जिग्मी थिनली कर रहे हैं और शाही परिवार से उनका कोई संबंध नहीं है।

पार्टियाँ

लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी को भूटान की आम जनता से जोड़ने की कोशिश की है। भूटान में संसद के ऊपरी सदन के लिए दिसंबर में चुनाव हुए थे।


मतपेटियाँ दूर-दराज़ के इलाक़ों तक पहुँचा दी गई हैं

भूटान में उस समय से लोकतंत्र की तैयारी चल रही है जब पूर्व शासक जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने चुनी हुई सरकार को सत्ता सौंपने का फ़ैसला किया था।

इस समय भूटान के राजा हैं जिग्मे खेसर नमग्याल वांगचुक, जो जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के बेटे हैं। जो लोकतांत्रिक सरकार आने के बाद भी देश के प्रमुख बने रहेंगे और उनके पास कुछ अधिकार भी रहेंगे।

भूटान के कई लोग राजशाही से ख़ुश हैं और उन्हें काफ़ी दुश है कि उनके राजा गद्दी छोड़ रहे हैं।

42 वर्षीय व्यापारी किनले पेंजोर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया- हर कोई इससे काफ़ी दुख है कि राजा हट रहे हैं। लेकिन मैं मानता हूँ कि लोकतंत्र भी अच्छा रहेगा। अब हम सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधियों को ही चुनेंगे।

राजशाही की लोकप्रियता के बावजूद भूटान में कई तरह की समस्याएँ हैं। हाल के वर्षों में ग़रीबी बढ़ी है और बेरोज़गारी भी।

भूटान की राजधानी थिम्पू की सड़कें ख़ाली-ख़ाली हैं और दूकानें बंद हैं क्योंकि हज़ारों लोग अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में वोट डालने चले गए हैं।

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