राष्ट्रपति ने कहा है कि कुछ समय के लिए लाल मस्जिद परिसर पर जारी सैन्य कार्रवाई को रोक दिया जाए ताकि मस्जिद के अंदर मौजूद महिलाओं को बाहर निकाला जा सके।
इस आदेश के ठीक पहले सेना ने कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ अपनी कार्रवाई को तीसरे दिन भी जारी रखते हुए लाल मस्जिद परिसर के आसपास और विस्फोट किए हैं।
हालांकि सेना की ओर से मस्जिद में मौजूद लोगों पर कोई सीधा हमला नहीं किया जा रहा है ताकि कट्टरपंथियों का आत्मसमर्पण करवाया जा सके और इस दौरान कम से कम जान-माल का नुकसान हो।
पाकिस्तान के गृहमंत्री आफ़ताब शेरपाओ के मुताबिक अबतक 740 पुरुष और 400 महिलाओं को मस्जिद से बाहर निकाला जा चुका है।
माना जा रहा है कि मस्जिद परिसर में अभी भी कुछ महिलाएँ हो सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एहतियातन यह फ़ैसला लिया गया है।
शर्त मंज़ूर नहीं
गुरुवार को कट्टरपंथियों के नेता अब्दुल राशिद ग़ाज़ी ने पाकिस्तान सरकार से सशर्त आत्मसमर्पण की माँग रखी थी।
उन्होंने कहा था कि वे आत्मसमर्पण के लिए तैयार हैं बशर्ते सरकार यह आश्वासन दे कि वह मस्जिद के भीतर घुसकर कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
अब्दुल राशिद ग़ाज़ी ने सरकार से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की गारंटी भी माँगी थी।
हालांकि पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के भीतर छिपे कट्टपंथी छात्रों की उन माँगों को मानने से इनकार कर दिया है जो उन्होंने आत्मसमर्पण के लिए रखी थीं।
पाकिस्तान सरकार ने सभी माँगों को ठुकराते हुए कहा है कि कट्टरपंथी महिलाओं और बच्चों को मानव कवच के रुप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस बीच मस्जिद के चारों ओर सेना और सुरक्षाबलों की घेरेबंदी जारी है और सेना की ओऱ से शुक्रवार की सुबह भी विस्फोट किए गए हैं।
मस्जिद के प्रमुख मौलाना अब्दुल अज़ीज़ को बुधवार को बुर्क़ा पहनकर भाग निकलने की कोशिश करते हुए गिरफ़्तार किया गया था।
कठोर कार्रवाई
लाल मस्जिद के हथियारबंद लोगों और सुरक्षा बलों के बीच तीन दिनों से चल रही झड़पों में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
कट्टरपंथियों का गढ़ मानी जाने वाली लाल मस्जिद के भीतर लड़कों और लड़कियों के दो मदरसे हैं।
इस मस्जिद तक जाने वाले सभी रास्तों को अर्धसैनिक बलों ने बंद कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि लाल मस्जिद और प्रशासन के बीच लंबे अरसे से टकराव चलता रहा है, इस कट्टरपंथी मस्जिद के छात्र और उसके प्रबंधन से जुड़े लोगों की माँग रही है कि इस्लामाबाद में शरिया का़नून को पूरी तरह लागू कराया जाए।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ की इस बात को लेकर निंदा होती रही है कि वे लाल मस्जिद के प्रशासन पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि जहाँ लाल मस्जिद पर ताज़ा कार्रवाई से चरमपंथी गतिविधियों में लिप्त लोगों के लिए एक स्पष्ट संकेत दे पाने में मुशर्रफ़ सफल रहे हैं वहीं उनके इस कठोर क़दम से उनके आलोचकों का भी मुँह बंद हो गया है।
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