भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने स्पष्ट किया है कि वह कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) के साथ हुए सत्ता साझीदारी के समझौते पर पुनर्विचार नहीं करेगी।
भाजपा के सभी विधायक अपने नेता और उपमुख्यमंत्री बीएस एदियुरप्पा के साथ दिल्ली से बंगलौर लौट गए हैं।
भाजपा विधायकों ने शुक्रवार को राज्यपाल से मिलने की योजना बनाई है और संभावना है कि भाजपा कर्नाटक सरकार से समर्थन वापस ले लेगी।
बंगलौर से पत्रकार आरके मट्टू ने बताया कि समर्थन वापसी या भाजपा विधायकों के इस्तीफ़े के बाद सरकार का गिरना तय है।
कड़े तेवर
दोनों दलों के बीच हुए समझौते के तहत जेडीएस को बीस माह बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी भाजपा को सौंपनी थी और यह अवधि तीन अक्तूबर को ही समाप्त हो गई।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने पहले तो कहा कि वह इस्तीफ़ा दे देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
दोनों दलों के बीच खींचतान को समाप्त करने के लिए भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने काफी कोशिश की लेकिन नतीज़ा नहीं निकला और सत्ता संघर्ष दिल्ली आ पहुँचा।
इसी मसले पर गुरुवार को दिल्ली में भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई जिसके बाद यशवंत सिन्हा ने कहा, "हम सत्ता साझीदारी के समझौते पर अडिग हैं। एदयुरप्पा ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं और रहेंगे।"
भाजपा की तल्ख़ी के देखते हुए अब जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा नरम पड़ गए हैं। उन्होंने शुक्रवार को यशवंत सिन्हा और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलने के लिए समय माँगा है।
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