Monday, October 8, 2007

सोनिया के बयान से भड़के वामपंथी

परमाणु समझौते पर सोनिया गांधी के बयान से वामपंथी नेता भड़क उठे हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से इस पर सफ़ाई देने की कोशिश की गई है।

ग़ौरतलब है कि रविवार को हरियाणा के झज्जर में आयोजित एक जनसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि ‘अमरीका के साथ परमाणु समझौते का विरोध करने वाले विकास के दुश्मन हैं।’

सोनिया गांधी का कहना था कि देश में बिजली की कमी है और अमरीका से परमाणु समझौता इसी दिशा में एक प्रयास है।

'परमाणु क़रार के विरोधी विकास के दुश्मन'

हालांकि बाद में कांग्रेस की ओर सफ़ाई दी गई कि सोनिया का इशारा वामपंथी दलों की ओर नहीं था।लेकिन सोनिया गांधी के बयान ने वामपंथी नेता भड़क गए हैं।

सोनिया गांधी के बयान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव एबी बर्धन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, " यूपीए सरकार अमरीकी दबाव में काम कर रही है और इसीलिए इस मुद्दे पर वो जल्दबाज़ी करना चाहती है।"


अगर देश को समय से पहले चुनाव देखना पड़ता है तो कांग्रेस पार्टी इसके लिए ज़िम्मेदार होगी

एबी बर्धन, सीपीआई महासचिव

बर्धन ने कहा कि कांग्रेस की यह दलील एकदम खोखली है कि इस समझौते से देश की बिजली की ज़रूरत का हल निकलेगा।

उनका कहना था कि परमाणु ऊर्जा से केवल 20 हज़ार मेगावाट बिजली उत्पादन बढ़ेगा।

मीडिया से बातचीत में एबी बर्धन ने यह भी कहा कि अगर देश को समय से पहले चुनाव देखना पड़ता है तो कांग्रेस पार्टी इसके लिए ज़िम्मेदार होगी।

बयान से विवाद

जनसभा में सोनिया ने वामपंथियों का उल्लेख तो नहीं किया था लेकिन 'विकास के विरोधियों' के नाम उनकी टिप्पणी वामपंथी दलों और कांग्रेस के बीच गतिरोध के मद्देनजर अहम मानी जा रही है।


सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने कहा था कि समझौते के विरोधी विकास के दुश्मन हैं।

सोनिया गांधी अब तक क़रार की वकालत करते हुए विरोधियों की आलोचना करने से बचती रही हैं।

ग़ौरतलब है कि इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री निवास पर हुए रोज़ा इफ़्तार में सोनिया गांधी ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा था कि अगर चुनाव समय से पहले होते हैं तो कांग्रेस उसके लिए तैयार है।

उधर वामपंथी नेता लगातार इस बात को दोहराते आ रहे हैं कि अमरीका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर वे अपनी राय से पीछे हटने वाले नहीं हैं।

टेलीग्राफ़ अख़बार की दिल्ली संपादक मानिनी चटर्जी का मानना है कि पहले वामपंथी दल और कांग्रेस ये सोच रहे थे कि परमाणु समझौते पर मतभेदों का लाभ आगामी चुनावों में भाजपा और नरेंद्र मोदी को न मिले। लेकिन अब दोनों चुनाव के लिए कमर कसते नज़र आ रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि सुलह-समझौतों का दौर ख़त्म हो रहा है।"

दोनों ओर से बयानबाज़ी ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी के प्रमुख भारत यात्रा पर आने वाले हैं।

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