Wednesday, November 28, 2007

सेनाध्यक्ष का पद छोड़ेंगे मुशर्रफ़

भारी अंतरराष्ट्रीय और बढ़ते घरेलू दबाव के चलते पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ नौ साल तक सेना प्रमुख रहने के बाद बुधवार को ये पद छोड़ने जा रहे हैं।

वो सेनाध्यक्ष का पद अपने क़रीबी माने जाने वाले जनरल अशफ़ाक कियानी को सौंपेंगे। इसके लिए वे रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय जाएँगे।

इसके अगले दिन यानी गुरुवार को परवेज़ मुशर्रफ़ एक असैनिक राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।

माना जा रहा है कि परवेज़ मुशर्रफ़ के इस क़दम के साथ ही पाकिस्तान में आठ साल पुराना सैन्य शासन समाप्त हो जाएगा।

लाहौर से बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि इस क़दम के बाद भी अभी यह तय नहीं है कि विपक्षी नेता संतुष्ट हो जाएँगे।

क्योंकि असैनिक राष्ट्रपति बनने के बाद भी परवेज़ मुशर्रफ़ के पास असीमित शक्तियाँ रहेंगी जिसमें चुनी हुई सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार शामिल है।

इसके अलावा अभी देश में इमरजेंसी लागू है और उनके ही नेतृत्व में आम चुनाव होने हैं।

विदाई

परवेज़ मुशर्रफ़ सेनाध्यक्ष का पद छोड़ने से एक दिन पहले मंगलवार को सेना को अलविदा कहने सैन्य मुख्यालय गए।

रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पहुँचने पर उन्हें थल, वायु और नौसेना की ओर से गार्ड ऑफ़ ऑनर पेश किया गया।

सेना के बैंड ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय गीत सहित कई धुनें बजाईं। इस दौरान मुशर्रफ़ अपने सभी मैडलों से सजी सेना की वर्दी पहने हुए थे।

इस कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों से मुलाक़ात की।

हालांकि परवेज़ मुशर्रफ़ इससे पहले भी कई बार सेनाध्यक्ष का पद छोड़ने का आश्वासन दे चुके हैं लेकिन इस बार लगता है कि वे वादा पूरा करने जा रहे हैं।

असैनिक राष्ट्रपति

इसके पहले राष्ट्रपति के प्रवक्ता मेजर जनरल राशिद कुरैशी ने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि बुधवार को जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ सेनाध्यक्ष का पद छोड़ेंगे।

उस वक्त से जनरल अशफ़ाक कियानी सेनाध्यक्ष बन जाएँगे और अगले ही दिन मुशर्रफ़ एक असैनिक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले लेंगे।

ख़बरों के अनुसार सैन्य प्रमुख का पद छोड़ देने के बावजूद मुशर्रफ़ की सुरक्षा का जिम्मा सेना पर ही रहेगा।

असैनिक राष्ट्रपति होने के बावजूद मुशर्रफ़ अपने सैन्य कर्मचारियों को बरक़रार रख सकेंगे।

जनरल मुशर्रफ़ पर सेना प्रमुख का पद छोड़ने के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव था।

उन्होंने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ का तख्ता पलट कर सत्ता हथिया ली थी।

ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान में आठ जनवरी को संसदीय चुनाव होने हैं और बेनज़ीर भुट्टो और नवाज़ शरीफ़ जैसे नेता चुनाव मैदान में हैं।

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