अमरीका के केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व ने अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार में घबराहट को देखते हुए लोगों का भरोसा बढ़ाने की कोशिशों के तहत ब्याज़ दरों में तीन चौथाई प्रतिशत की कमी की है।
फ़ेडरल रिज़र्व ने मंगलवार को एक आपात बैठकर करके ब्याज दरों में कटौती करने का फ़ैसला किया और इस कटौती के बाद अब यह ब्याज़ दर 3।5 प्रतिशत पर आ गई है।
लेकिन इस क़दम का भी कोई ठोस फ़ायदा नहीं हुआ है और मंगलवार को भी न्यूयॉर्क के वाल स्ट्रीट शेयर बाज़ार में गिरावट दर्ज की गई।
इससे पहले दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट देखने को मिली जिसके बाद अमरीकी अर्थव्यवस्था में लोगों का भरोसा कुछ हिलता नज़र आया।
फ़ेडरल रिज़र्व ने गिरते हुए भरोसे को ऊपर उठाने की कोशिशों के तहत ब्याज़ दर में यह कटौती की है।
फ़ेडरल रिज़र्व ने कहा है कि उसे ऐसी सूचनाएँ मिली थीं कि मकानों की ख़रीद-फ़रोख़्त का बाज़ार गड़बड़ा रहा है और श्रम बाज़ार में भी ठंडापन है।
एक आर्थिक जानकार माइकल मेट्ज़ का कहना था कि फ़ेडरल रिज़र्व दरअसल अमरीकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका से डर गया है।
न्यूयॉर्क में एक वित्तीय कंपनी ओपनहीमर के मुख्य निवेश रणनीतिकार माइकल मेट्ज़ का कहना था, "ज़ाहिर सी बात है कि फ़ेडरल रिज़र्व के पास ऐसी कोई ताक़त नहीं है जिससे वे इस बड़ी आर्थिक मंदी को उलट सकें।"
ब्याज दर कम करने का फ़ेडरल रिज़र्व यह फ़ैसला काफ़ी चौकाने वाला है क्योंकि यह फ़ैसला इसके पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के दायरे से बाहर लिया गया है।
इससे पहले 17 सितंबर 2001 को ब्याज दर कम की गई थी और वह 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद का माहौल था।
उसके भी पहले जब डॉट कॉम जगत में हड़बड़ाहट देखी गई तो उसके बाद तीन जनवरी 2001 को ब्याज दर घटाई गई थी।
अब से पहले जब फ़ेडरल रिज़र्व ने तीन चौथाई प्रतिशत यानी ।75% की कटौती की थी वो अगस्त 1982 में की थी यानी क़रीब 26 साल पहले।
इसमें बहुत बड़ा ख़तरा भी है। अगर यह कारगर साबित नहीं होता है तो लोग कहेंगे कि अब उनकी तिजौरियों में कुछ नहीं बचा है।"
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