सुरक्षाबलों का कहना है कि भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर में बुधवार को हुए मुठभेड़ में अलगाववादी गुट हिज़्बुल मुजाहिदीन के चार चरमपंथी मारे गए हैं.
जिन चार चरमपंथियों को मारा गया है उनमें सज्जाद उर्फ़ ताहिर भी शामिल है जो हिज़्बुल मुजाहिदीन के कमांडर थे और सुरक्षाबलों को उनकी तलाश थी.
सेना के प्रवक्ता का कहना है कि सर्दियों में जब चरमपंथी गतिविधियाँ न्यूनतम हैं, चार चरपंथियों का मारा जाना अलगाववादी गुट के लिए बड़ा झटका है.
वैसे भारत और पाकिस्तान के बीच शुरु हुई शांति प्रक्रिया के बाद से जम्मू कश्मीर में चरमपंथी गतिविधियों में कमी आई है.
सर्दियों में इनकी गतिविधियाँ वैसे भी कम हो जाती हैं.
सुरक्षाबलों का कहना है कि श्रीनगर से साठ किलोमीटर दूर बटपोरा में चरमपंथियों के साथ मुठभेड़ बुधवार, 30 जनवरी को सुबह को शुरु हुई और देर शाम तक चलती रही.
सुरक्षाबलों की ओर से किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है.
जम्मू कश्मीर पुलिस के पुलिस उपमहानिरीक्षक एचके लोहिया ने बीबीसी को बताया कि जून 2006 में छह नेपाली मज़दूरों का अपहरण करके उनकी हत्या करने के पीछे सज्जाद का हाथ था.
उल्लेखनीय है कि 1989 में जम्मू कश्मीर पर भारत के शासन के ख़िलाफ़ शुरु हुए हथियारबंद विद्रोह के बाद से अब तक 60 हज़ार लोगों की जानें जा चुकी हैं.
जिन चार चरमपंथियों को मारा गया है उनमें सज्जाद उर्फ़ ताहिर भी शामिल है जो हिज़्बुल मुजाहिदीन के कमांडर थे और सुरक्षाबलों को उनकी तलाश थी.
सेना के प्रवक्ता का कहना है कि सर्दियों में जब चरमपंथी गतिविधियाँ न्यूनतम हैं, चार चरपंथियों का मारा जाना अलगाववादी गुट के लिए बड़ा झटका है.
वैसे भारत और पाकिस्तान के बीच शुरु हुई शांति प्रक्रिया के बाद से जम्मू कश्मीर में चरमपंथी गतिविधियों में कमी आई है.
सर्दियों में इनकी गतिविधियाँ वैसे भी कम हो जाती हैं.
सुरक्षाबलों का कहना है कि श्रीनगर से साठ किलोमीटर दूर बटपोरा में चरमपंथियों के साथ मुठभेड़ बुधवार, 30 जनवरी को सुबह को शुरु हुई और देर शाम तक चलती रही.
सुरक्षाबलों की ओर से किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है.
जम्मू कश्मीर पुलिस के पुलिस उपमहानिरीक्षक एचके लोहिया ने बीबीसी को बताया कि जून 2006 में छह नेपाली मज़दूरों का अपहरण करके उनकी हत्या करने के पीछे सज्जाद का हाथ था.
उल्लेखनीय है कि 1989 में जम्मू कश्मीर पर भारत के शासन के ख़िलाफ़ शुरु हुए हथियारबंद विद्रोह के बाद से अब तक 60 हज़ार लोगों की जानें जा चुकी हैं.
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