मंगलवार को भारत के लगभग हर तबके के लोगों की नज़र होगी रेलमंत्री लालू प्रसाद पर और उनके सूटकेस में बंद रेल बजट पर।
माना जा रहा है कि संसद में जब रेलमंत्री मंगलवार को वर्ष 2008-09 का रेल बजट पेश करेंगे तो उसपर राज्यों और फिर केंद्र में आगामी चुनावों की छाप दिख सकती है।
वैसे लालू प्रसाद अपने कार्यकाल में लगभग सभी बजटों को लोकलुभावन बनाकर पेश करते रहे हैं पर इस बार ऐसा स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि राजनीति अर्थनीति पर हावी रहेगी।
आने वाले दिनों में देश में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर यूपीए सरकार का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है यानी देश में आम चुनावों के लिए मानस तैयार करने का समय आ चुका है।
जाहिर है, लालू प्रसाद का रेल बजट इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा और इसीलिए जानकार बताते हैं कि लालू लोगों पर भार बढ़ाने के बजाय उन्हें कुछ रिरायतें दे सकते हैं।
आगामी बजट
पिछले बजट में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अलग-अलग श्रेणियों में यात्री किरायों में मामूली कमी करते हुए व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले सीजन के हिसाब से किरायों में बदलाव किए थे।
लालू प्रसाद
लालू लोकलुभावन स्वरूप वाला बजट पेश करते रहे हैं
इस रेल बजट में किरायों में कमी किए बिना भी रेल मंत्री यात्रियों को रियायत दे सकते हैं। मसलन, ग़रीबों की भाषा-शैली वाले लालू इस बार कुछ और ग़रीब-रथों की घोषणा कर सकते हैं।
एसोचैम पहले ही रेलवे माल भाड़ा में एक फ़ीसदी कटौती की माँग कर चुका है।
इस बीच उद्योग और वाणिज्य संगठन एसोचैम ने भारत की विभिन्न कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से बात कर रेल किरायों पर सर्वेक्षण कराया है।
इस सर्वेक्षण में शामिल 300 सीईओ में से 210 ने उम्मीद जताई है कि यात्री किराया स्थिर रहेगा क्योंकि रेल मंत्री मुनाफ़े का फ़ायदा उन तक पहुँचाना चाहेंगे।
लगभग 70 प्रतिशत सीईओ ने रेल मंत्री से माल भाड़ा एक फ़ीसदी कम करने की माँग की है।
उनका कहना है कि मालभाड़ा कम होने से सामानों के दाम घटेंगे और महँगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिल सकेगी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment