पाकिस्तान में क़रीब 35 वर्षों तक जेल में बंद रहने के बाद रिहा हुए भारतीय क़ैदी कश्मीर सिंह का कहना है कि 'इंसान को आशा होता है तभी वह जिंदा रहता है।'
किसी समय अमृतसर पुलिस में रहे कश्मीर सिंह को 35 साल पहले पाकिस्तान में रावलपिंडी में जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई थी।
सोमवार को लाहौर में रिहाई के बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कोई आशा थी कि वे कभी रिहा होंगे तो उन्होंने बताया, "इंसान को आशा होती है तभी वह ज़िंदा रहता है। कोई न कोई आशा तो लगा ही रखी होती है नहीं तो समय से पहले ही मौत हो जाए।"
उधर उनकी पत्नी परमजीत कौर कुछ दिन पहले कह रही थीं कि रिहाई की कोई पुख़्ता ख़बर आए तब ही उन्हें संतोष होगा। मंगलवार को रिहाई की ख़बर सुनने के बाद उनका कहना था, "मैं ख़ुश हूँ कि वे आज़ाद हो गए हैं।"
साठ वर्षीय कश्मीर सिंह मंगलवार को वाघा-अटारी भारत-पाकिस्तान सीमा के ज़रिए सड़क से होते हुए भारत में पहुँचेंगे। वहाँ उनकी पत्नी परमजीत कौर और दो में से उनके एक पुत्र, उनके गाँववासियों के साथ उनका स्वागत करने के लिए सोमवार से ही मौजूद हैं।
एक मंत्री और एक पत्रकार की भूमिका
इंसान को आशा होती है तभी वह ज़िंदा रहता है। कोई न कोई आशा तो लगा ही रखी होती है नहीं तो समय से पहले ही मौत न हो जाए
रिहाई के बाद कश्मीर सिंह
कश्मीर सिंह लाहौर जेल में बंद थे। कोट लखपत जेल के अधीक्षक जावेद लतीफ़ ने बताया कि राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के आदेश के बाद कश्मीर सिंह को रिहा किया गया।
पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार में मानवाधिकार मामलों के मंत्री अंसार बर्नी ने कश्मीर सिंह का मामला हाथ में लिया और उनकी खोज शुरु कर दी।
लेकिन उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि इतने साल पाकिस्तान जेल में रहते हुए कश्मीर सिंह को इब्राहीम के नाम से जाना जाने लगा था।
उधर भारत में कश्मीर सिंह के परिवार के सदस्यों की बात वरिष्ठ पत्रकार जीसी भारद्वाज ने सामने रखी। उन्होंने भारत सरकार के साथ-साथ पाकिस्तानी प्रशासन और अंसार बर्नी से भी संपर्क कायम किया।
कश्मीर सिंह होशियारपुर के नंगलखिलाड़ियाँ गाँव के रहने वाले हैं। संयोग से भारद्वाज का पैतृक गाँव भी नंगलखिलाड़ियाँ है और उन्होंने पिछले दो साल में कश्मीर सिंह की पत्नी परमजीत कौर और उनके दौ बेटों की गुहार सरकार तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।
अंसार बर्नी को सबसे पहले रेडियो पर प्रसारित एक टॉक शो से कश्मीर सिंह के बारे में पता चला।
परमजीत नेबताया कि उन्होंने बहुत मुश्किलों के साथ अपने बेटों को पाला
उन्होंने मामला राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के समक्ष रखा और उनकी अपील स्वीकार हो गई और कश्मीर सिंह की रिहाई का आदेश दिया गया।
'बच्चों की बहुत याद आई'
कश्मीर सिंह ने रिहा होने के बाद बातचीत में कहा, "मैं बेहतर महसूस कर रहा हूँ। मैं ख़ुश हूँ।"
उनका कहना था कि जेल में उन्हें बच्चों की बहुत याद आई। उनका कहना था कि जब वे गिरफ़्तार हुए थे तो उनके बच्चे बहुत छोटे थे इसलिए वे उन्हें पहचान नहीं पाएँगे, केवल अपनी पत्नी को ही पहचान पाए पाएँगे।
सोमवार को उन्होंने अपनी पत्नी परमजीत कौर से फ़ोन पर बातचीत भी की और उनकी सेहत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मेरी सेहत अच्छी है। मैं ख़ुश हूँ। कल पहुँच जाऊँगा।"
उन्होंने रिहाई के बात पत्रकारों के पूछने पर अपनी 'लव मैरेज' का ज़िक्र करते हुए कहा, "मैनें अपनी मर्ज़ी से, प्यार की शादी की थी।" इस बारे में उनकी पत्नी परमजीत कौर का कहना था कि इसीलिए तो उन्होंने इतने साल कश्मीर सिंह का इंतज़ार किया।
रिहाई से पहले परमजीत ने बताया था कि उन्होंने अपने पति की ग़ैरमौजूदगी में बहुत मुश्किलों का सामना किया और छोट-छोटे काम कर अपने दो बेटों को पाल कर बड़ा किया। उनका एक बेट पंजाब में रहता है जबकि दूसरा बेटा विदेश में काम करता है।
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