भारत में खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतें केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के लिए के लिए एक बड़ा सरदर्द बनती नज़र आ रही हैं।
बुधवार को संसद में महंगाई पर चर्चा होगी जहाँ इस मुद्दे पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी सरकार को अपने तेवर दिखा सकती है।
दूसरी ओर केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने संसद के बाहर धरना-प्रदर्शनों का आयोजन करने की योजना बनाई है।
इसके पहले मंगलवार को संसद के बजट सत्र में दूसरे चरण की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोनों सदनों की कार्यवाही महंगाई पर हंगामे की वजह से स्थगित करना पड़ी थी।
वामपंथी दलों ने भी महंगाई के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेने का फ़ैसला किया है और मंगलवार को एक मार्च भी निकाला।
पिछले दो महीनों में रोज़मर्रा की ज़रूरतों के सामानों में हुई मूल्य-वृद्धि ने सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक महँगाई दर पिछले लगभग साढ़े तीन साल के सर्वोच्च स्तर पर है।
ख़ुद यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने भी बढ़ती महँगाई को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि सरकार को इसका राजनीतिक ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य सुरक्षा की स्थिति ख़त्म होने जा रही है और अस्थिरता के एक दौर की शुरुआत हो रही है, जिसमें महंगाई की मार लंबे समय तक पड़ने वाली है।
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