Thursday, January 29, 2009

पेट्रोल,गैस,डीज़ल होंगे सस्ते - जनवरी 29, 2009

हिन्दी रूपांतरण:

आखिरकार केंद्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) के दाम सस्ते करने का फैसला कर ही लिया। आपके घर पर जब रसोई गैस का अगला सिलिंडर आयेगा तो आपको 25 रुपये कम देने होंगे। जब आप अगली बार पेट्रोल पंप जायेंगे तो वहाँ भी आपकी जेब कुछ कम हल्की होगी – पेट्रोल के लिए 5 रुपये और डीजल के लिए 2 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से।

यह खबर आज हर अखबार में छपी है। लेकिन क्या आपने इस बात पर गौर किया कि यह फैसला किस बैठक में लिया गया। नाम पढ़ कर आप एक बार मुस्कुरायेंगे जरूर – कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स यानी राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति! अभी दो दिन पहले ही खुद सोनिया गाँधी ने एक बयान देकर पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटने का संकेत दिया था। यानी जब सरकार ने अपना मन लगभग बना लिया कि कीमतों में कटौती कितनी करनी है, तो पहले एक राजनीतिक बयान दिया गया और उसके बाद सरकार के उस हिस्से ने औपचारिक निर्णय लिया जिसे राजनीतिक मामले देखने होते हैं। कुल मिलाकर एक अच्छा फैसला ढेर सारे अनसुलझे सवालों के साथ आया।

कीमतों में इस कटौती का राजनीतिक गुणा-भाग जो भी हो, और भले ही यह दिखता हो कि कच्चे तेल के अर्थशास्त्र के बदले आने वाले चुनावों से इसका ज्यादा लेना-देना है, लेकिन फिर भी यह कदम अर्थव्यवस्था को राहत देगा। मगर जो सवाल अनसुलझे हैं, उनका संबंध देश में पूरे तेल-गैस क्षेत्र के ताने-बाने से है। यह अच्छा ही रहा कि सरकार ने फिलहाल पेट्रोल-डीजल की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने का नाटक नहीं किया। इस समय ऐसा कोई फैसला नाटक से ज्यादा कुछ नहीं होता, क्योंकि माना यही जाता कि जब सरकार को सुविधा होती है तो तेल कंपनियों को आजादी दे दी जाती है और जब स्थिति नाजुक होती है तो यह आजादी छीन ली जाती है। पहले भी ऐसा हो चुका है।

लेकिन देर-सबेर तेल कंपनियों को कीमतें तय करने के मामले में आजादी देना ही एक उचित विकल्प होगा। और अगर यह छूट केवल पेट्रोल-डीजल के मामले में दी जाती है, तो यह भी आधा-अधूरा इलाज होगा, जिससे अलग समस्याएँ पैदा होंगीं। कीमतें तय करने की आजादी, सब्सिडी के उलझे तार, बेहद ज्यादा करों का बोझ (क्योंकि यह केंद्र और राज्य सरकारों की आमदनी का काफी बड़ा स्रोत है) – जब तक इन सारे मुद्दों को एक साथ नहीं सुलझाया जाता, तब तक तेल-गैस क्षेत्र सरकारी थाली का बैंगन बना रहेगा। और जब तक यह स्थिति रहती है, तब तक इस क्षेत्र में निवेश जोखिम भरा ही होगा।

English Translation:

The much awaited decision of fuel rate cuts finally came Wednesday as the government announced cut in petrol, diesel and LPG prices.

petrol price has been cut by Rs 5 while diesel price are lower by Rs 2 pl and LPG by Rs 25 per cylinder.

"Under the present circumstances, it has been decided to reduce the prices of petrol... and diesel," Pranab Mukherjee, who is standing in as finance minister, told reporters after a cabinet meeting.

India's cuts followed those of Asian peer China, which in mid-January reduced prices to reflect changes in global crude rates and unveiled measures to promote fuel efficiency.

The Cabinet Committee on Political Affairs headed by External Affairs Minister Pranab Mukherjee decided to reduce petrol, diesel and LPG prices to pass on the benefit of softening international oil prices to consumers," Petroleum Minister Murli Deora told reporters here.

The reduction will be effective from midnight Wednesday.

Petroleum Secretary R S Pandey said that the government will made good all of the losses of state-run retailers after accounting for Rs 32,000 crore contribution from upstream firms, through issue of oil bonds.

Deora said no decision had been taken on deregulating fuel prices or changing the tax structure for the sector.

India trimmed diesel prices by 6 percent and gasoline rates by 10 percent in early December, the first reduction in two years, after crude oil plunged from its July peak above $147.

No comments: