Friday, May 4, 2007

जलवायु परिवर्तन पर तत्काल राजनीतिक पहल की ज़रूरत

जलवायु परिवर्तन से दुष्प्रभावों से निपटने के लिए ज़रूरी प्रयासों के एक मसौदे पर 120 देशों के विशेषज्ञों के बीच सहमति बनी है ।

थाइलैंड में संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन पर एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय पैनल ने कहा है कि इससे होने वाले नुकसानों से निपटने के लिए तत्काल राजनीतिक स्तर पर पहल की ज़रूरत है ।

संयुक्त राष्ट्र का यह पैनल नीति निर्धारकों के लिए सुझाव देने का काम करता है ।

इस दिशा में कुछ एहतियात सुझाते हुए कहा गया है कि पैट्रोलियम ईधन के इस्तेमाल में कटौती करके, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के विकास और कृषि क्षेत्र को तरजीह देकर इस संकट से उबरने में मदद मिल सकती है ।

एक अनुमान के मुताबिक अगर दुनिया की कुल आमदनी का तीन प्रतिशत भी इन एहतियाती क़दमों के लिए इस्तेमाल होता है तो इससे 2030 तक तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकेगा ।

हालांकि चीन ने इसपर अपनी चिंता जताते हुए कहा है कि इसका असर आर्थिक विकस पर पड़ेगा ।

चिंता

थाइलैंड में इस मसले पर शुक्रवार को एक रिपोर्ट भी जारी की जानी है ।

वैज्ञानिक पहले ही यह चिंता व्यक्त कर चुके हैं कि अगर तुरंत कुछ नहीं किया गया तो दुनिया को बचाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा ।

चिंता इस बात को लेकर भी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो ऐसे परिवर्तन होने शुरू हो जाएँगे जिनको पलटा नहीं जा सकेगा ।

ग्रीनहाउस गैसों के प्रसार को रोकने के लिए हम आज चाहे जो कर लें, पूरी व्यवस्था में जो एक जड़ता समा चुकी है उससे जलवालु परिवर्तन का प्रभाव लंबे समय तक बना रहेगा ।

उदाहरण के तौर पर समुद्रों का जलस्तर बढ़ता रहेगा, दशकों तक नहीं बल्कि सदियों तक ।

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