दयानिधि मारन ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है।
उनको केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने के डीएमके के फ़ैसले के बाद उन्होंने रविवार की रात अपना इस्तीफ़ा प्रधानमंत्री को भेज दिया।
उल्लेखनीय है कि रविवार को ही डीएमके ने केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन को वापस बुलाने का फ़ैसला किया था।
अलावा उन्हें पार्टी की ओर से एक कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी फ़ैसला किया गया कि क्यों न उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया जाए। पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी अनुशासन का पालन नहीं किया और पार्टी को बदनाम किया।
पिछले कुछ दिनों से करुणानिधि और मारन परिवार के बीच चले आ रहे तनाव के बाद यह फ़ैसला लिया गया है।
केंद्र की यूपीए सरकार का एक प्रमुख घटक दल है ।
पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं
अपना इस्तीफ़ा भेजने के बाद जारी एक बयान में दयानिधि मारन ने करुणानिधि के प्रति आभार जताते हुए कहा है कि उन्होंने तीन साल तक बतौर केंद्रीय मंत्री उन्हें देश की सेवा करने का मौक़ा दिया।
ऊटी में जारी एक बयान में उन्होंने कहा है, "मैंने पार्टी के ख़िलाफ़ कोई काम नहीं किया और न ही अपने नेता करुणानिधि के ख़िलाफ़। मैं आगे पार्टी विरोधी किसी गतिविधि में शामिल नहीं रहूँगा।"
उनका कहना था, " मैं अपने नेता (करुणानिधि) की सहायता से ही बड़ा हुआ हूँ और उन्होंने ही मुझे पद दिया। इसलिए मैं इससे ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।"
सर्वेक्षण का विवाद
41 वर्षीय दयानिधि मारन दिवंगत डीएमके नेता मुरासोली मारन के बेटे हैं और करुणानिधि के भतीजे भी ।
तनाव की शुरुआत मारन परिवार के अख़बार दिनकरण में प्रकाशित एक सर्वेक्षण के बाद हुई थी ।
डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री करुणानिधि के उत्तराधिकार को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि 70 प्रतिशत लोग करुणानिधि के छोटे बेटे स्तालिन को उनका उत्तराधिकारी मानते हैं और 30 प्रतिशत लोग बड़े बेटे अलेगिरी को ।
इस सर्वेक्षण के प्रकाशित होने के बाद करुणानिधि के परिवार की अंदरूनी खींचतान सार्वजनिक हो गई है।
इस सर्वेक्षण के प्रकाशन के बाद अख़बार के दफ़्तर पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। इस हिंसा में तीन लोगों की जान भी चली गई ।
मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि ने इसकी सीबीआई जाँच करवाने की घोषणा की है ।
कहा जाता है कि करुणानिधि ने मारन परिवार से इस तरह का कोई सर्वेक्षण प्रकाशित न करने को कहा था क्योंकि उन्हें अपने उत्तराधिकार की चर्चा पसंद नहीं और वे कोई विवाद भी नहीं चाहते थे ।
रविवार को करुणानिधि की अध्यक्षता में हुई डीएमके की बैठक दो घंटे से भी अधिक समय तक चली ।
इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर हाईप्रोफ़ाइल संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री दयानिधि मारन को वापस बुलाने का फ़ैसला किया गया ।
स्थानीय पत्रकार रशीदा भगत का कहना है कि पार्टी में बहुत दिनों से इस बात पर आपत्ति की जा रही थी कि राजनीतिक वज़न कम होने के बावजूद दयानिधि मारन को बहुत महत्व दिया जा रहा है ।
पार्टी के नेताओं को आपत्ति थी कि पार्टी के हर कार्यक्रम में दयानिधि मारन करुणानिधि के बगल में खड़े दिखाई पड़ते हैं।
Monday, May 14, 2007
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