इसी महीने की तीन तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने 'फ़र्ज़ी मुठभेड़' मामले में गुजरात पुलिस को दो हफ़्ते में अंतिम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था ।
इस फ़ैसले के ठीक पहले यानी सोमवार को गुजरात सरकार ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है ।
माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह फ़ैसला लिया जा सकता है कि इस मामले की सीबीआई जाँच हो या नहीं ।
ग़ौरतलब है कि 26 नवंबर, 2005 को गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि उनके आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) और राजस्थान पुलिस के संयुक्त अभियान में सोहराबुद्दीन नाम के एक व्यक्ति को मार दिया गया है जो कि एक चरमपंथी था और उसके चरमपंथी संगठनों से ताल्लुक थे ।
अपील
पुलिस की इस कार्रवाई को फ़र्ज़ी मुठभेड़ बताते हुए सोहराबुद्दीन के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय की फ़रियाद की थी ।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए इसकी जाँच के आदेश जारी कर दिए थे ।
जाँच के दौरान राज्य सीआईडी ने पुलिस की भूमिका को लेकर कुछ आपत्तियाँ भी जाहिर की थीं जिसके बाद तीन आईपीएस अधिकारियों डीजी वंजारा (उपमहानिरीक्षक, सीमा क्षेत्र, गुजरात), राजकुमार पांडियन (पुलिस अधीक्षक, इंटेलिजेंस ब्यूरो) और दिनेश एमएन (पुलिस अधीक्षक, अलवर, राजस्थान) को गिरफ़्तार कर लिया गया था ।
गुजरात सरकार ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में पहले ही मान चुकी है कि कथित फ़र्जी मुठभेड़ में मारे गए सोहराबुद्दीन की पत्नी क़ौसर बी की भी हत्या हो चुकी है और उसके शव को जला दिया गया था ।
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