ईरान के विदेश मंत्रालय ने तेहरान में अमरीका मामलों की देख रेख करने वाले स्विटज़रलैंड के राजदूत फिलिप वेल्टी से देश में अमरीकी जासूसी नेटवर्क के बारे में औपचारिक विरोध दर्ज़ कराया है ।
ईरान ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब अमरीका और ईरान के बीच इराक के मुद्दे पर कुछ ही घंटों में बातचीत शुरु होने वाली है ।
बगदाद में दोनों देशों के उच्च स्तरीय अधिकारियों के बीच पिछले तीस वर्षों में यह पहली औपचारिक वार्ता होगी। इस बातचीत के दौरान इराक़ी प्रतिनिधि भी मौजूद होंगे ।
बातचीत मुख्य रुप से इराक़ की सुरक्षा स्थिति से जुड़ी होनी है ।
इराक़ के विदेश मंत्री होश्यार ज़ेबारी ने इस बातचीत को एक महत्वपूर्ण क़दम करार दिया लेकिन साथ ही कहा कि उन्हें वार्ता के दौरान किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं है ।
संवाददाताओ का कहना है कि ईरान और अमरीका के बीच विभिन्न मुद्दों पर जिस तरह का तनाव चल रहा है उसे देखते हुए दोनों पक्षों के बीच बातचीत का आयोजन भी महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए ।
तीन दशक बाद
ईरान-अमरीका वार्ता को इन मायनों में ऐतिहासिक कहा जा सकता है कि दोनों देश कोई तीन दशक बाद आपस में किसी विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं ।
जैसा कि ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने कहा है इस वार्ता में इराक़ की सुरक्षा व्यवस्था का मसला अहम रहेगा ।
एजेंसी का कहना है कि इराक़ से अमरीकी फ़ौजों की वापसी के कार्यक्रम पर और इराक़ के पुनर्निर्माण में ईरान की भूमिका पर चर्चा होगी।
इसके अलावा ईरान के विपक्षी गुट पीपुल्स मुजाहिदीन की इराक़ में उपस्थिति पर भी चर्चा होगी ।
दोनों देशों के राजदूत अपने प्रतिनिधि मंडलों के साथ इस बैठक में भाग लेंगे ।
हालांकि बैठक का मुद्दा इराक़ ही होगा लेकिन कई विश्लेषकों का कहना है कि इससे यह साफ़ हो जाएगा कि दोनों के बीच बातचीत संभव है ।
विरोध
ईरानी मामलों के विश्लेषक सादिक़ सबा का कहना है कि वार्ता का फ़ैसला दोनों देशों के लिए आसान नहीं रहा है क्योंकि इसके लिए दोनों देशों को अपनी घोषित नीतियाँ बदलनी पड़ी हैं ।
उनका कहना है कि ईरान के कट्टरपंथी कहते हैं कि अमरीका के साथ वार्ता करना वैसा ही जैसा कि भेड़िए के साथ नाचना या फिर शैतान से हाथ मिलाना ।
लेकिन ईरान के नेतृत्व को लगता है कि अमरीका से सीधी बात करना ऐसे समय में अच्छा ही है जब अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बहुत ज़्यादा है ।
अमरीकी प्रशासन ने अनिच्छा पूर्वक इस वार्ता के लिए हामी भरी है। इस उम्मीद के साथ कि शायद इससे इराक़ में शांति-व्यवस्था क़ायम करने में सफलता मिले ।
Monday, May 28, 2007
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