Friday, June 22, 2007

'विश्व व्यापार के मुद्दे पर समझौता संभव'

विश्व व्यापार संगठन के निदेशक पास्कल लामी ने कहा है कि जर्मनी नें व्यापार वार्ता विफल होने के बावजूद उन्हें उम्मीद है कि अब भी समझौता हो सकता है।
जर्मनी में भारत, ब्राज़ील, अमरीका और यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच विश्व व्यापार के मुद्दे पर बातचीत विफल हो गई है। नेताओं में विभिन्न मुद्दों को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई।
ब्राज़ील और भारत ने आरोप लगाया है कि यूरोपीय संघ और अमरीका कृषि संबंधी मु्द्दों पर पर्याप्त रियायतें नहीं दे रहे हैं।
अमरीका और यूरोपीय संघ के रवैये में बदलाव की ज़रूरत है

कमलनाथ
भारत के वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि अमरीका और यूरोपीय संघ के रवैये में बदलाव की ज़रूरत है।
जबकि यूरोपीय संघ और अमरीका का कहना है कि भारत और ब्राज़ील पश्चिमी देशों के उत्पादों के लिए अपना बाज़ार नहीं खोल रहे।
विश्व व्यापार संगठन की दोहा दौर की बातचीत में प्रगति के लिए जर्मनी में बातचीत चल रही थी.
फ़ायदेमंद नहीं
ब्राज़ील के विदेश मंत्री ने बताया कि ब्राज़ीली और भारतीय दल वार्ता से अलग हो रहा है क्योंकि बातचीत फ़ायदेमंद साबित नहीं हो रही है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति इस बात को लेकर निराश हैं कि कुछ देश व्यापार बढ़ाने की कोशिशों में बाधा डाल रहे हैं।
व्यापार वार्ता में अमरीकी प्रतिनिधि का कहना था, "दोहा दौर में किए गए वादे पूरे करने के लिए विकसित और विकासशील देशों को अपना घरेलू बाज़ार कृषि और औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं के लिए खोलना होगा। "
उधर पर्यावरण संगठन फ़्रेंड्स ऑफ़ अर्थ ने बातचीत विफल होने का स्वागत किया है। संगठन से जुड़े जोई ज़ाकून ने कहा, "इस बातचीत का विफल होना एक अच्छा मौका है जब कोई ऐसा तरीका निकाला जा सकता है जो पर्यावरण और विकासशील देशों दोनों के लिए अच्छा हो। "
दोहा वार्ता पिछले कई बार से विफल होती आई है। क़तर की राजधानी दोहा में 2001 में ये वार्ता शुरू हुई थी।
दिसंबर 2005 में हुई अहम बैठक में माना जा रहा था कि अंतिम सहमति बन जाएगी लेकिन वो भी विफल रही।
विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख पास्कल लामी ने हाल ही में आगाह किया था कि अगल जल्द कोई समझौता नहीं हुआ तो दोहा वार्ता वर्षों तक खिंच सकती है।
समझौते को कांग्रेस के दख़ल के बगैर मंज़ूर करने का अमरीकी राष्ट्रपति का अधिकार एक जुलाई को समाप्त हो जाएगा और अगर तब तक समझौता नहीं हुआ तो मुश्किल हो सकती है।

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