वाराणसी में गुमटी यानी छोटी दुकान चलाने वाले 13 विकलांगों ने मंगलवार को टीवी कैमरों के सामने ज़हर खा लिया था। इन 13 में से पाँच लोगों की मौत हो गई है। इस सिलसिले में पुलिस ने एक एफ़आईआर दर्ज कर ली है और दो स्थानीय नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया है। शहर के गुरुबाग इलाक़े के पास ये विकलांग दुकानें चलाते थे। पिछले दिनों नगर निगम की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के दौरान उन पर दबाव बनाया गया कि वे अपनी दुकानें हटा लें। इन लोगों ने अपनी दुकानें तो हटा लीं लेकिन इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन के साथ पुनर्वास की भी माँग करते रहे। 'उकसावा' मंगलवार को कथित तौर से अपनी समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए 13 विकलांगों ने ज़हर खा लिया, जब ये सब हुआ उस समय वहाँ आईबीएन-7 और स्टार न्यूज़ की कैमरा टीमें मौजूद थीं। इसके बाद वहाँ हड़कंप मच गया और अचेत लोगों को आनन-फानन में अस्पताल लाया गया। प्रारंभिक जांच में ही चिकित्सकों ने एक विकलांग राजेश मौर्य को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद चिकित्सा के दौरान त्रिभुवन, गुरुदेव, रामचंद्र और मंगरू प्रसाद की भी सांसें थम गईं। बाक़ी सात लोगों को इलाज़ के बाद घर भेज दिया गया है जबकि एक विकलांग अभी भी बेहोशी की हालत में है और उसका इलाज़ चल रहा है। उधर, ज़िला प्रशासन का कहना है कि इस घटना के लिए विकलांगों के दो नेता और दो टीवी चैनलों की भूमिका भी जाँच के दायरे में है। आश्रय अधिकार अभियान नाम की संस्था चलाने वाले राजीव का कहना है कि "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, शासन की ज़िम्मेदारी थी कि वह ऐसी घटना को होने से रोकती, ये लोग ज़हर खाने पर मजबूर हो गए थे।" शहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यानी एसएसपी एसबी शिरडकर ने बीबीसी को बताया, ''पुलिस ने स्थानीय नेत नमो प्रसाद उपाध्याय और रविनाथ उर्फ रवि बनर्जी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है.'' उन्होंने कहा कि इन दोनों ने विकलांगो को ज़हर यह कहकर दिया कि इसे खाने से कुछ नहीं होगा और सिर्फ थोड़ी देर के लिए अचेत होंगे। बकौल एसएसपी, इन दोनों को ऐसा करते हुए फ़िल्माया गया वीडियो फ़िल्म भी पुलिस के पास है। मीडिया की भूमिका एसएसपी ने कहा कि स्टार न्यूज़ और और आइबीएन7 के पत्रकारों की भूमिका की भी जाँच की जा रही है। उनके अनुसार इन लोगों ने भी विकलांगों को ज़हर खाने के लिए उकसाया था। मीडिया की भूमिका के बारे में कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा, "मानवता सबसे ऊपर है, और मीडिया के लोग भी मानव हैं। अगर कहीं अंदेशा है लोगों के जीवन पर ख़तरा है, तो पहले बीचबचाव करना चाहिए, न्यूज़ स्टोरी ज़रूर करनी चाहिए लेकिन इंसानी जानों की क़ीमत पर नहीं।" इससे पहले मंगलवार को ही वाराणसी की जिलाधिकारी श्रीमती वीणा ने मीडिया को बताया था कि 28 जुलाई को वार्ता के दौरान विकलांगों ने प्रशासन के पुनर्वास संबंधी प्रस्ताव पर सहमति जता दी थी। उन्होंने अस्पताल में भर्ती विकलांगों के हवाले से बताया था कि ज़हर देने वाले ने कहा था कि खा लो, यह नींद की मामूली दवा है। पटरी दुकानदारों के राष्ट्रीय एसोसिएशन के महासचिव गोकुल प्रसाद वाराणसी पहुँचे हैं, उन्होंने एक जाँच समिति बनाई है, उनका कहना है कि देश भर में दो करोड़ पटरी दुकानदार हैं जिनकी समस्याएँ बहुत गंभीर हैं। |
Thursday, August 2, 2007
मीडिया के उकसावे पर' विकलांगों की मौत
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