दोनों पक्षों के बीच 2005 में हुए परमाणु संधि को लागू करने के लिए पिछले दिनों हुए 123 समझौते के बाद संसद में प्रधानमंत्री का यह पहला बयान होगा।
मंत्रिमंडल ने 123 समझौते को मंज़ूरी दे दी है लेकिन वाम दल और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री अपने बयान से पहले वाम दलों के नेताओं से भी मुलाक़ात करेंगे।
कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री परमाणु संधि से जुड़ी विभिन्न मुद्दों पर व्यक्त की जा रही चिंताओं पर स्पष्टीकरण देंगे औऱ साथ ही इस बात पर ज़ोर देंगे कि संधि भारत के हित में है।
उल्लेखनीय है कि रविवार को माकपा नेता प्रकाश करात ने कहा था कि परमाणु संधि पर वाम दलों के विरोध से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है।
उन्होंने यहां तक कहा कि गठबंधन चलाना कांग्रेस की ज़िम्मेदारी है और ये कांग्रेस से पूछा जाए कि वो सरकार चलाना चाहते हैं या नहीं।
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