Tuesday, August 21, 2007

हनीफ़ का वीज़ा बहाल करने का आदेश

ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने वहाँ की सरकार के फ़ैसले को उलटते हुए भारतीय डॉक्टर मोहम्मद हनीफ़ का वीज़ा बहाल करने का आदेश दिया है।

ब्रिस्बेन की एक अदालत ने डॉक्टर हनीफ़ की अपील पर वीज़ा बहाल करने का फ़ैसला सुनाया।
ग़ौरतलब है कि हनीफ़ को ब्रिटेन में विफल कार बम धमाकों के सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया में हिरासत में ले लिया गया था।
उन्हें इस मामले में मदद करने के संदेह में लगभग एक महीने तक जेल में रखा गया। लेकिन बाद में सबूत न मिलने के कारण उन्हें छोड़ना पड़ा था और उसके बाद वो भारत वापस आ गए थे।
मोहम्मद हनीफ़ के वकील पीटर रूसो ने अदालत के फ़ैसले के बाद कहा कि इस फ़ैसले से उनके मुवक्किल का जीवन और कैरियर पटरी पर आ सकेगा।
साथ ही उन्होंने आव्रजन मंत्री केविन एंड्र्यू से फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील न करने का अनुरोध किया।
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार पीटर रूसो का कहना था,'' मैं उम्मीद करता हूँ कि मंत्री अदालत के फ़ैसले को गरिमापूर्ण तरीके से स्वीकार करेंगे और डॉक्टर हनीफ़ के ऑस्ट्रेलिया में काम पर वापस आने का रास्ता साफ़ होगा।''

हनीफ़ की अपील

उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया में मोहम्मद हनीफ़ का वीज़ा रद्द करने संबंधी फ़ैसले के ख़िलाफ़ उनके वकीलों ने ब्रिस्बेन में अपील दायर की थी।
हनीफ़ को तीन सप्ताह तक ऑस्ट्रेलिया में जेल में रखा गया था। बाद में उनके ख़िलाफ़ चरमपंथियों का सहयोग करने संबंधी आरोप हटा लिए गए थे।
लेकिन उसके बाद ऑस्ट्रेलिया के आव्रजन मंत्री केविन एंड्रयू ने उनका वीज़ा रद्द कर दिया था।
डॉक्टर हनीफ़ फिलहाल भारत में हैं। डॉक्टर हनीफ़ चाहते हैं कि काम के लिए ऑस्ट्रेलिया लौटने का विकल्प उन्हें मिलना चाहिए।
इसके पहले ब्रिस्बेन की एक अदालत ने हनीफ़ को ज़मानत दे दी थी, लेकिन इसके आव्रजन विभाग ने उनका वीज़ा रद्द कर दिया और हनीफ़ को फिर से हिरासत में ले लिया गया था।
लंदन और ग्लासगो में जून के आखिर में हुए नाकाम बम हमलों के संबंध में उनके ख़िलाफ़ लगे आरोप हटा दिए जाने के बावजूद आव्रजन विभाग वीज़ा निरस्त करने के अपने विवादास्पद फ़ैसले पर कायम था।
ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने कहा था कि हनीफ़ का दिया हुआ मोबाइल सिम कार्ड उस जीप से बरामद हुआ था, जिसे ग्लासगो हवाई अड्डे पर हमले में इस्तेमाल किया गया था।
लेकिन बाद में ये पता चला कि ग्लासगो से काफ़ी दूर लीवरपूल से ये सिम कार्ड मिला था।

No comments: