Wednesday, August 22, 2007

जापान के प्रधानमंत्री का संसद को संबोधन

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुधवार को भारतीय संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दोनों देश लोकतांत्रिक हैं और दोनों इसके पक्षधर हैं।
आबे का कहना था कि जापान भारत के साथ व्यापार बढ़ाना चाहता है, यह हमारे बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से साफ़ है।
भारतीय संसद को सन् 2000 के बाद संबोधिक करने वाले वो पहले नेता हैं। सन् 2000 में अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने संसद को संबोधित किया था।
संसद को संबोधित करने के बाद जापान के प्रधानमंत्री भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत करेंगे। दोनों नेताओं के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत होगी।
अमरीका के साथ हुए असैनिक परमाणु समझौते पर वामपंथियों के विरोध के बावजूद दोनों नेताओं के बीच असैनिक परमाणु सहयोग पर भी बातचीत की संभावना है।
जापान के प्रधानमंत्री आबे मंगलवार को तीन दिन के दौरे पर भारत पहुँचे। उनके साथ लगभग 200 से भी अधिक लोगों का व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी आया हुआ है।
आबे ने कहा कि जापान की कंपनियां भारत में निवेश की इच्छुक हैं।
उनका कहना था कि ये कंपनियां आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से भारत में अनुकूल माहौल चाहती हैं।
आबे ने भारत जापान साझेदारी फोरम की शुरुआत की। इसमें दोनों देशों के उद्योग प्रतिनिधि शामिल हैं।
ये फोरम दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए सामरिक संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करेगा।
मनमोहन सिंह ने जापान के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि भारत दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के रास्ते की सभी बाधाओं को दूर करेगा।

महत्वपूर्ण यात्रा

जापान के प्रधानमंत्री की इस भारत यात्रा को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसा पहली बार है जब जापान का कोई प्रधानमंत्री एक बड़ी तैयारी के साथ भारत आ रहा है।
भारत और जापान दोनों ही देश व्यापार में बढ़ोत्तरी चाहते हैं।
जापान के प्रधानमंत्री की इस यात्रा से इसके साफ़ संकेत भी मिल रहे हैं।
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे के साथ 200 से ज़्यादा जापान के बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों के कई प्रमुख कार्यकारी और कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपति भी आए हैं।

जानकार यह भी मानते हैं कि जापान और भारत एक-दूसरे की भूमिका को भी एक बड़े रूप में देख रहे हैं।
दोनों ही देश चीन के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव के मद्देनज़र अपने संबंधों को मज़बूत करने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों की जापान ने तीखी आलोचना की थी पर अब जापान नागरिक क्षेत्र में परमाणु तकनीक को लेकर भारत के साथ सहयोग की ओर बढ़ रहा है।

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