उनके वकील ने बताया कि ख़ालिदा ज़िया की ज़मानत की अर्जी नामंज़ूर कर दी गई और उन्हें मामले की सुनवाई तक जेल भेज दिया गया है।
उनके बेटे अराफ़ात रहमान कोको को सात दिन तक पूछताछ के लिए हिरासत में रखने का आदेश दिया गया है।
ख़ालिदा ज़िया और उनके छोटे बेटे कोको को कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार सुबह अदालत ले जाया गया था।
अदालत के चारों ओर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात थे। दूसरी ओर ख़ालिदा ज़िया के हज़ारों समर्थक भी वहाँ जमा हो गए थे। ख़ालिदा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता हैं।
उन पर आरोप है कि जब वो प्रधानमंत्री थी तो उन्होंने दो सरकारी कंटेनर डिपो के ठेके देने में अनियमितताएँ बरतीं और इसमें उनके बेटे कोको ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया।
एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना जुलाई से हिरासत में हैं और अब उन पर भी भ्रष्टाचार के नए आरोप लगाए गए हैं।
बांग्लादेश में जनवरी से आपातकाल लागू है और सेना समर्थित अंतरिम सरकार ने चुनाव स्थगित कर दिए हैं। साथ ही राजनीतिक गतिविधियों पर भी पाबंदी लगा दी है।
इसके बाद से अंतरिम सरकार ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान चला रखा है और 150 अधिक वरिष्ठ राजनीतिज्ञों को गिरफ़्तार कर लिया है।
शेख़ हसीना पर भी मामले
इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना पर अपने कार्यकाल के दौरान रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया गया था। उन पर कई अन्य मामले पहले से ही चल रहे हैं।
बांग्लादेश में भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने शेख़ हसीना पर एक निजी बिजली कंपनी से अवैध तरीके से चार लाख 35 हज़ार डॉलर की राशि लेने का आरोप लगाया है।
आयोगा का कहना है कि मामला 1996 से 2000 के बीच का है जब शेख़ हसीना सत्ता में थीं। इस संबंध में छह अन्य लोगों कि ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है।
ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सरकारी एजेंसी ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया हो।
शेख़ हसीना के समर्थकों का आरोप है कि उन्हें फिर प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं।
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