अमरीका ने साफ़ किया है कि भारत के साथ परमाणु समझौता ख़त्म नहीं हुआ है और भारत अपनी अड़चनें दूर करने के बाद इस पर अमल शुरु कर सकता है।
अमरीका ने संकेत दिए हैं कि इस समझौते पर अमल के लिए भारत के पास 2008 तक का समय है।
अमरीका का यह बयान भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से सोमवार को टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत के बाद आया है।
मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति बुश को सूचित किया था कि परमाणु समझौते को लागू करने में 'परेशानी आ रही है।'
उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दल इस परमाणु समझौते का विरोध कर रहे थे और उन्होंने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि सरकार समझौते पर अमल शुरु करती है तो वे समर्थन वापस ले लेंगे।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कई सहयोगी दलों का मानना है कि इस समझौते के लिए सरकार को दाँव पर नहीं लगाया जाना चाहिए और सरकार ने इसे मान लिया है।
अमरीकी दृष्टिकोण
परमाणु समझौते को फ़िलहाल स्थगित रखने के भारत सरकार के फ़ैसले के बाद अमरीका ने कहा है कि इस समझौते पर 'ऐसे समय पर अमल किया जा सकता है जब दोनों पक्षों के सही समय हो।'
अमरीका उम्मीद करता है कि भारत इस समझौते पर आगे बढ़ने का निर्णय लेगा और हम चाहेंगे कि यह समझौता 2008 तक पूरा हो जाए
टॉम केसी, प्रवक्ता, अमरीकी विदेश मंत्रालय
अमरीका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह समझौता दोनों देशों के लिए 'सकारात्मक' और 'अच्छा' है और यह परमाणु अप्रसार के प्रयासों के लिए भी अच्छा है।
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टॉम केसी ने कहा, "अमरीका उम्मीद करता है कि भारत इस समझौते पर आगे बढ़ने का निर्णय लेगा और हम चाहेंगे कि यह समझौता 2008 तक पूरा हो जाए।"
उन्होंने कहा, "अमरीका ने अपनी ओर से इस समझौते को लेकर किए गए अपने वादे को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की है और इसे पूरा करने के लिए वह आगे भी ऐसा करता रहेगा।"
उधर अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता ने टोनी फ़्रैटो ने साफ़ किया है कि यह समझौता ख़त्म नहीं हुआ है।
भारत एक फल-फूल रहा लोकतंत्र है। उन्हें कुछ और काम करना है और इसके लिए उन्हें कुछ अतिरिक्त समय की ज़रूरत हो सकती है. राष्ट्रपति इसे समझते हैं...लेकिन यह समझौता ख़त्म नहीं हुआ है
टोनी फ्रैटो, प्रवक्ता, व्हाइट हाउस
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार उन्होंने कहा, "भारत एक फल-फूल रहा लोकतंत्र है। उन्हें कुछ और काम करना है और इसके लिए उन्हें कुछ अतिरिक्त समय की ज़रूरत हो सकती है। राष्ट्रपति इसे समझते हैं...लेकिन यह समझौता ख़त्म नहीं हुआ है।"
अमरीकी प्रशासन ने कहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) से समझौता करना है और अमरीका को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के साथ एक समझौता करना है और अमरीका चाहेगा कि उसकी ओर से यह समझौता पूरा हो जाए।
उल्लेखनीय है कि अमरीका में अगले साल राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं और बुश प्रशासन चाहता है कि दोनों देशों के बीच समझौता बुश के राष्ट्रपति रहते ही अमल में आ जाए।
Wednesday, October 17, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment