Tuesday, October 16, 2007

परमाणु समझौता लागू करने में परेशानीः मनमोहन सिंह

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से कहा है कि दोनों देशों के बीच प्रस्तावित परमाणु करार लागू करने में परेशानी आ रही है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने सोमवार को अमरीकी राष्ट्रपति से फ़ोन के ज़रिए बातचीत की है।

दोनों के बीच भारत-अमरीका परमाणु करार और विश्व व्यापार संगठन के दोहा दौर की बातचीत के मसले पर चर्चा हुई।

ग़ौरतलब है कि पिछले ही सप्ताह भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि सरकार गिरने की क़ीमत पर परमाणु समझौता नहीं किया जाएगा।

मनमोहन सिंह इन दिनों अफ़्रीकी देशों की यात्रा पर हैं और नाइजीरिया में अपनी यात्रा के दौरान ही उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति से बातचीत की है।

हालांकि बातचीत के बाद आधिकारिक तौर पर जारी किए गए बयान में ऐसी किसी बात का ज़िक्र नहीं है जिसके आधार पर कहा जा सके कि मनमोहन सिंह ने अमरीकी राष्ट्रपति से इन परेशानियों को दूर करने की कोशिश करने की बात कही हो।

इससे पहले भारत अमरीका से परमाणु करार के मुद्दे पर बातचीत में दोहराता रहा है कि परमाणु करार के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

दोहा पर बात

दोनों देशों के नेताओं के बीच दोहा दौर को लेकर भी बातचीत हुई।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि दोहा दौर में जो बातें सामने आई हैं वे मोटे तौर पर भारत को स्वीकार्य हैं।

हालांकि उन्होंने कृषि क्षेत्र में तय किए गए कुछ प्रावधानों को लेकर अपनी चिंता राष्ट्रपति बुश के सामने रखी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर दोहा दौर को बचाने के लिए कोई सकारात्मक क़दम उठाया जाता है तो भारत इसमें सहयोग देगा।


बुश और मनमोहन
राष्ट्रपति बुश परमाणु सहमति को अपने कार्यकाल की बड़ी उपलब्धी मानते आए हैं

साथ ही उन्होंने विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने की बात भी कही।

समझौता फ़िलहाल नहीं

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस ताज़ा बातचीत के आधार पर यह बात और पुख़्ता हो गई है कि आने वाले कुछ समय तक के लिए ही सही, पर दोनों देशों के बीच होने वाला परमाणु करार अब ठंडे बस्ते में है।

प्रधानमंत्री के साथ नाइजीरिया यात्रा पर गईं इंडियन एक्सप्रेस अख़बार की सह-संपादक सीमा चिश्ती ने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि इस बातचीत से एक तरह का संकेत भारत की ओर से अमरीका को दिया गया है कि फ़िलहाल यह समझौता लागू नहीं होने वाला।

ग़ौरतलब है कि दोनों देशों के बीच प्रस्तावित परमाणु समझौते का केंद्र सरकार को समर्थन दे रहे वामदलों की ओर से विरोध किया जाता रहा है।

वामदलों की दलील है कि जिन शर्तों पर दोनों देशों के बीच परमाणु करार हो रहा है उनसे भारत की संप्रभुता को ख़तरा है और ऐसा करना देश के हित में नहीं है।

केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामदलों के 60 सांसदों का समर्थन केंद्र सरकार को हासिल है और अगर परमाणु करार के मुद्दे पर मतभेदों के बाद वामदल समर्थन वापस ले लेते तो सरकार अल्पमत में आ जाती।

पिछले कुछ समय से इस मुद्दे पर क़ायम गतिरोध के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने परमाणु समझौते से फिलहाल पैर पीछे खींचना ही बेहतर समझा है।

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