दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति रोह मू-ह्यून इस वार्ता के लिए उत्तर कोरिया पहुँचे हुए हैं।
संभावना है कि रोह मू-ह्यून उत्तर कोरिया के लिए बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा करें, जिसमें निवेश भी होगा और सहयोग भी।
इसके अलावा दोनों के बीच कुछ सैन्य मसलों पर भी चर्चा होनी है जिसमें समुद्री सीमा की सुरक्षा का मसला भी है।
सात सालों में यह दोनों राष्ट्रप्रमुखों के बीच पहली औपचारिक बातचीत है।
सोमवार को राष्ट्रपति रोह जब अपनी पत्नी के साथ प्योंगयोंग पहुँचे तो न केवल उत्तर कोरिया के नेता किम जॉन्ग-ली ने उनका स्वागत किया बल्कि लोगों में भी बड़ा उत्साह था।
लेकिन संवाददाताओं का कहना है कि रिश्तों में प्रगाढ़ता की उम्मीदें बहुत हैं और इसकी संभावनाएँ सीमित ही हैं।
हालांकि उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच सात साल पहले शुरु हुई वार्ता के बाद से उत्तर कोरिया को अरबों डॉलर की सहायता दी जा चुकी है लेकिन उत्तर कोरिया अभी भी अलग-थलग है पड़ा हुआ है और उसकी हालत दयनीय है।
कुछ पर्यवेक्षक मानते हैं कि जब दोनों कोरिया के बीच सैन्य तनाव बढ़ा हुआ है, तब किम जॉन्ग-इल इस वार्ता का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा आर्थिक सहायता के लिए करना चाहते हैं।
राष्ट्रपति रोह का कार्यकाल सिर्फ़ एक महीने बचा हुआ है और उनके विरोधी आरोप लगाते हैं कि रोह अपनी छवि शांति स्थापित करने वाले एक नेता के रुप में बनाना चाहते हैं।
इस बीच उत्तर कोरिया के अधिकारी चोए सू-हॉन ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि उन्हें वार्ता से तो बहुत उम्मीद है लेकिन वास्तविक तरक़्की तब तक नहीं हो सकती जब तक कि अमरीका उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ परमाणु हमले और आर्थिक प्रतिबंध की धमकी देना बंद नहीं कर देता।
उधर अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता शॉन मैककॉर्मक ने कहा है कि अमरीका ने उस योजना पर मुहर लगा दी है जिसमें उत्तर कोरिया के परमाणु ठिकानों को इस साल के अंत तक बंद किया जाना है।
इस योजना को रविवार को छह देशों की बैठक में अंतिम रुप दिया गया था।
No comments:
Post a Comment