बर्मा में लोकतंत्र समर्थक नेता ऑंग सान सू ची की रिहाई की माँग करते हुए प्रदर्शनकारी बुधवार को दुनिया भर में 12 शहरों में रैलियाँ करने जा रहे हैं।
ये प्रदर्शन विभिन्न देशों में स्थित चीन के दूतावासों के बाहर होंगे। रैलियाँ सिडनी, बैंकॉक, केप टाउन, वियना, बर्लिन, पेरिस, लंदन, डबलिन, न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, टोरंटो और ब्रासिलिया।
इन रैलियों का आयोजन कर रहे लोकतंत्र समर्थक मानते हैं कि सू ची की रिहाई में चीन की अहम भूमिका हो सकती है क्योंकि चीन के बर्मा के सैन्य शासकों के साथ क़रीबी रिश्ते हैं।
हाल में बर्मा में लोकतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शनों के बाद बर्म के सैन्य शासकों ने सू ची के साथ बातचीत करने की पेशकश रखी थी।
लेकिन उन्होंने शर्त भी लगाई थी कि सू ची बर्मा के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंधों को दिया गया अपना समर्थन वापस लें।
नोबेल विजेताओं की अपील
ये लोग संयुक्त राष्ट्र पर भी दबाव बनाएँगे ताकि वह वहाँ पिछले महीने लोकतंत्र की माँग को लेकर प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हुई हिंसक कार्रवाई के विरुद्ध कदम उठाए।
उधर छह महिला नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि ऑंग सान सू ची की रिहाई के लिए निर्णायक कदम उठाए।
बर्मा में प्रदर्शन
बर्मा में हाल में लोकतंत्र के पक्ष में प्रदर्शन हुए थे और प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसक कार्रवाई हुई थी
संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक पत्र में जिन नोबेल विजेताओं ने ये अपील की है, वे हैं - डॉक्टर जोडी विलियम्स, शिरीन एबादी, वाँगारी माथाई, रिगोबर्टा मैंचू टुम, बैटी विलियम्स और माईरीड कोरिगन मैक्गव्यर।
बीबीसी संवाददाता माइक वूलरिज का कहना है कि ये प्रदर्शन ऑंग सान सू ची के जेल में 12 साल पूरे होने के मौक़े पर हो रहे हैं।
वर्ष 1990 में हुए चुनावों में ऑंग सान सू ची की नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने चुनावों में स्पष्ट जीत हासिल की थी लेकिन बर्मा के सैन्य शासकों ने सत्ता उन्हें सौंपने से इनकार कर दिया।
Wednesday, October 24, 2007
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