बर्मा में हाल के घटनाक्रम के मद्देनज़र उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने का भारत, चीन और रूस ने कड़ा विरोध किया है।
भारत ने बर्मा में आर्थिक प्रतिबंध का विरोध करते हुए वहाँ राजनीतिक सुधारों और आमसहमति बनाने के प्रयासों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया था जिसका चीन और रूस ने समर्थन किया।
इसके अलावा तीनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लोकतांत्रिक बनाने और विश्व व्यवस्था को 'न्यायपूर्ण और तर्कसंगत' बनाने पर ज़ोर दिया है।
तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की चीन में हुई बैठक के बाद जारी साझा बयान में 'आतंकवाद से संयुक्त राष्ट्र के दिशा निर्देशों के अनुरूप' मिलकर लड़ने की बात कही है।
इसके अलावा चीन और रूस ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका बढ़ाने पर का समर्थन किया है लेकिन दोनों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की बात नहीं की है।
प्रतिबंध का विरोध
भारत-चीन और रूस के बीच यह तीसरी त्रिपक्षीय वार्ता है।
तीनों देशों का सहयोग किसी देश या संगठन के ख़िलाफ़ नहीं है, इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सामंजस्य को बढ़ावा देना और आपसी समझ को बढ़ाना है
साझा बयान
इसमें भारत के विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी, रूस के सर्गेई लैवरोव और चीन के याँग जिएची ने कई अहम मसलों पर बातचीत की और अंत में एक संयुक्त पत्रवार्ता में साझा बयान जारी किया।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार संयुक्त पत्रवार्ता में भारत के विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने बर्मा में सभी पक्षों से बातचीत की जो प्रक्रिया शुरु की है हम मानते हैं कि उसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।"
तीनों देशों ने विश्व व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने की बात कही है लेकिन स्पष्ट किया है कि इन तीन देशों का गठबंधन किसी देश विशेष या संगठन के ख़िलाफ़ नहीं है।
साझा बयान में कहा गया है, "तीनों देशों का सहयोग किसी देश या संगठन के ख़िलाफ़ नहीं है, इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सामंजस्य को बढ़ावा देना और आपसी समझ को बढ़ाना है।"
तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा है कि भारत-चीन और रूस के विकास से क्षेत्र को फ़ायदा होगा वहीं इससे विश्व को बहुध्रुवीय बनाने की प्रक्रिया को लाभ मिलेगा।
Thursday, October 25, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment