Wednesday, November 7, 2007

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव की आलोचना की

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून की आलोचना करते हुए उनपर आरोप लगाया है कि वो देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं।
पाकिस्तान की ओर से यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र महासचिव के सोमवार को दिए हए उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने देश में आपातकाल लागू किए जाने पर चिंता व्यक्त की थी।
उधर नवाज़ शरीफ़ गुट की मुस्लिम लीग ने साफ़ कह दिया है कि उनकी पार्टी बुधवार को इस्लामाबाद में हो रही विपक्षी दलों के गठबंधन की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।
नवाज़ गुट के शीर्ष नेता एहसन इक़बाल ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि बेनज़ीर भुट्टो जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के साथ सत्ता में साझेदारी चाहती हैं और उनसे संपर्क में हैं। ऐसी सूरत में उनके साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं निकलता।

माना जा रहा है कि नवाज़ शरीफ़ की पार्टी के इस ताज़ा रुख़ से बेनज़ीर भुट्टों की कोशिशों को झटका लगा है।
ग़ौरतलब है कि पिछले सप्ताह शनिवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने देशभर में आपातकाल लागू कर दिया था। इसके बाद सैकड़ों की तादाद में विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया था।

आपातकाल लागू किए जाने के फ़ैसले पर दुनिया के कई देशों ने खेद व्यक्त किया था और कहा था कि पाकिस्तान में लोकतंत्र की जल्द से जल्द स्थापना की जानी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र चिंतित

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने मंगलवार को महासचिव बान की मून से मुलाक़ात करके कहा है कि पाकिस्तान देश में लोकतंत्र और क़ानून व्यवस्था की स्थापना को लेकर प्रतिबद्ध है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव
मैं पाकिस्तान की ताज़ा स्थिति पर दोबारा अपनी गहरी चिंता और खेद व्यक्त करता हूँ. पाकिस्तान में जल्द से जल्द लोकतंत्र बहाल होना चाहिए

हालांकि इस बातचीत के बाद महासचिव ने पत्रकारों से पाकिस्तान में जारी गतिविधियों को लेकर दोबारा अफ़सोस ज़ाहिर किया।

उन्होंने पाकिस्तान की मौजूदा सरकार से कहा है कि वहाँ पर तत्काल लोकतंत्र बहाल किया जाए और सभी राजनीतिक क़ैदियों को रिहा किया जाए।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, "मैं पाकिस्तान की ताज़ा स्थिति पर दोबारा अपनी गहरी चिंता और खेद व्यक्त करता हूँ। पाकिस्तान में जल्द से जल्द लोकतंत्र बहाल होना चाहिए।"

हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से पाकिस्तान में आपातकाल लागू होने के बाद से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

यह सुरक्षा परिषद के बर्मा में लोकतंत्र बहाली को लेकर अपनाए गए कड़े रुख़ से एकदम उलट स्थिति है। बर्मा में सैनिक शासन के हाथों लोकतंत्र समर्थकों के आंदोलन के दमन को सुरक्षा परिषद ने आड़े हाथों लिया था।

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