Thursday, December 6, 2007

मस्जिद विध्वंस की बरसी पर कड़ी सुरक्षा

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी विध्वंस की 15 वीं बरसी पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और पुलिस व अर्धसैनिक बलों ने उसे छावनी जैसा बना दिया है।

प्रशासन ने हाल में फ़ैजाबाद, लखनऊ और वाराणसी में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों को देखते हुए अलर्ट घोषित कर दिया है।
ग़ौरतलब है कि हिंदू कट्टरपंथियों की एक भीड़ ने छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या की बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था।
इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी जिसमें दो हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे।
गुप्तचर और पुलिस एजेंसियों का मानना है कि अयोध्या को चरमपंथी निशाना बना सकते हैं।
इस वजह से विवादास्पद स्थल की कांटेदार तार लगाकर घेराबंदी कर दी गई है, साथ ही चौबीसों घंटे कड़ी चौकसी बरती जा रही है।

जिलाधिकारी अनिल गर्ग ने बीबीसी को बताया,'' यह स्थान हमेशा से संवेदनशील रहा है लेकिन अदालतों में हुए धमाकों के बाद हम अतिरिक्त सुरक्षा बरत रहे हैं। लोगों से भी सचेत रहने को कहा गया है।''
मुसलमानों के विरोध दिवस और कट्टरपंथी हिंदुओं के विजय दिवस मनाने के मद्देनज़र अतिरिक्त पुलिस और अर्धसैनिक बलों को यहाँ तैनात किया गया है।

विवाद

हिंदुओं का मानना है कि यह भगवान राम का जन्मस्थल है और वे वहाँ भव्य मंदिर बनाना चाहते हैं।
यह स्थान हमेशा से संवेदनशील रहा है लेकिन अदालतों में हुए धमाकों के बाद हम अतिरिक्त सुरक्षा बरत रहे हैं। लोगों से भी सचेत रहने को कहा गया है

अनिल गर्ग, जिलाधिकारी

मुसलिम समुदाय के लोग यहाँ मस्जिद निर्माण के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
हिंदू कट्टरपंथी संगठनों का दावा है कि पहले उस स्थान पर मंदिर हुआ करता था जिसे तोड़कर मुग़ल शासकों ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी।
हालांकि इस स्थल के मालिकाना हक़ को लेकर दशकों से हिंदू और मुसलमानों में दशकों से विवाद बना हुआ है।

लेकिन 23 दिसंबर, 1949 को ये विवाद तब गहराया जब सवेरे बाबरी मस्जिद का दरवाज़ा खोलने पर पाया गया कि उसके भीतर हिंदुओं के आराध्य देव राम के बाल रूप की मूर्ति रखी थी।
इस जगह हिंदुओं के आराध्य राम की जन्मभूमि होने का दावा करने वाले हिंदू कट्टरपंथियों ने कहा था कि "रामलला यहाँ प्रकट हुए हैं।"

लेकिन मुसलमानों का आरोप है कि रात में किसी ने चुपचाप बाबरी मस्जिद में घुसकर ये मूर्ति वहां रख दी थी।
मुसलमानों का कहना है कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि वहाँ कभी मंदिर था।

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