चीन का कहना है कि अमरीका की ख़ुफ़िया एजेंसियों की ताज़ा रिपोर्ट आने के बाद ईरान पर सुरक्षा परिषद के नए प्रतिबंध लगाने पर सवालिया निशान लग गया है। दूसरी ओर अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगी देश अब भी ईरान पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में हैं।
संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत वांग ग्वांग्या का कहना था कि स्थिति बदल गई है और सुरक्षा परिषद को इस पर विचार करना होगा।
सोमवार को अमरीका की कई ख़ुफ़िया संस्थाओं की रिपोर्ट में कहा गया था कि ईरान ने वर्ष 2003 में ही परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोक दिया था। ये भी कहा गया कि ईरान अब परमाणु हथियार बनाने का प्रयास नहीं कर रहा है।
हालाँकि अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा है कि 'ईरान अब भी ख़तरा' बना हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि ईरान पर आई रिपोर्ट के बावजूद ईरान पर दबाव बनाए रखना ज़रूरी है।
उधर इसराइल, ब्रिटेन और फ़्रांस ने भी कहा है कि वे इस रिपोर्ट के बावजूद ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव को बढ़ाने के पक्ष में हैं।
चीन और रूस ने दो बार तो ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है लेकिन दोनो देशों के ईरान के साथ क़रीबी व्यापारिक संबंध हैं और वे नहीं चाहते कि ईरान के साथ उनके रिश्तों में दरार आए.
पहले से लगे हुए हैं प्रतिबंध
बीबीसी के संयुक्त राष्ट्र संवाददाता लौरा ट्रेविलियन का कहना है कि चीन की प्रतिक्रिया के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत से पूछा गया कि क्या ताज़ा रिपोर्ट के बाद ईरान पर नए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध लगने की संभावना घट गई है?
तीख़े तेवर
अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को चाहिए कि अगर ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश जारी रखता है तो उसे पूरी तरह अलग-थलग कर दे
राष्ट्रपति बुश
लौरा ट्रेविलियन का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत वांग ग्वांग्या का कहना था कि स्थिति बदल गई है और इस पर सुरक्षा परिषद को विचार करना होगा।
राजदूत वांग ग्वांग्या मानते हैं कि कूटनयिकों को सुरक्षा परिषद की कार्रवाई से पहले इस रिपोर्ट के मतलब को समझना होगा।
महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दिसंबर 2006 में ईरान को ऐसी सामग्री, संयंत्र और तकनीक देने पर प्रतिबंध लगाया था जिससे परमाणु ईंधन का संवर्द्धन हो सकता हो या फिर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सिस्टम बनाने में सहायता मिल सकती हो।
इसके बाद इस साल मार्च में ईरान के सरकारी बैंक सेपाह और 28 संस्थाओं और लोगों से लेन-देन पर प्रतिबंध लगाया गया था। ईरान से हथियारों का आयात नहीं हो सकता और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से कहा गया है कि वे ईरान को कोई बड़ी हथियार प्रणाली बेचने से परहेज़ करें।
लेकिन पिछले शनिवार को पेरिस में विश्व के छह ताकतवर देशों की बैठक में ईरान पर तीसरी बार प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरु करने पर सहमति बनी।
'विचारों में बदलाव'
ईरान ने किया स्वागत
यह स्वभाविक है कि हम इस रिपोर्ट का स्वागत करें, क्योंकि जो देश पहले इस मुद्दे पर सवाल उठाते रहे हैं... अब उन्होंने वास्तविकता के धरातल पर अपने विचारों में कुछ बदलाव किया है
ईरानी विदेश मंत्री
जहाँ एक ओर ईरान ने अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट का स्वागत किया है, वहीं अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा कि 'ईरान से निबटने के लिए सभी विकल्प खुले हैं।'
बुश ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को चाहिए कि अगर ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश जारी रखता है तो उसे पूरी तरह अलग-थलग कर दे।"
ईरान के विदेश मंत्री मनुशेरह मुत्तकी ने अमरीकी रिपोर्ट पर कहा, "यह स्वभाविक है कि हम इस रिपोर्ट का स्वागत करें, क्योंकि जो देश पहले इस मुद्दे पर सवाल उठाते रहे हैं... अब उन्होंने वास्तविकता के धरातल पर अपने विचारों में कुछ बदलाव किया है।"
लेकिन इसराइल के प्रधानमंत्री एहूद ओलमर्ट ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए अमरीका के नेतृत्व में चल रहे प्रयास जारी रहे।
Wednesday, December 5, 2007
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