अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार अमरीका अब मानता है कि ईरान ने वर्ष 2003 में ही अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोक दिया था और कुछ विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि वह दोबारा बहाल नहीं हुआ है.
अमरीका की ख़ुफ़िया एजेंसियों के आकलन के अनुसार ईरान का मकसद अब भी स्पष्ट नहीं है. ईरान शुरु से ही कहता आया है कि उसका कोई परमाणु हथियार बनाने का कार्यक्रम नहीं है.
अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के एक वरिष्ठ सलाहकार का कहना है कि ख़ुफ़िया रिपोर्ट सकारात्मक है लेकिन ईरान के 'परमाणु हथियार हासिल करने का ख़तरा गंभीर' है.
अमरीका में बॉस्टन विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हुसैन हक्कानी ने बीबीसी के अनीश अहलूवालिया को बताया, "इस रिपोर्ट से राष्ट्रपति बुश को कुछ शर्मिंदगी तो होगी लेकिन ये ईरान पर नीति बदलने का एक बहना भी बन सकता है."
प्रोफ़ेसर हक्कानी का कहना है, "अमरीका की बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ घरेलू झगड़ों को प्रतिबिंबित करती हैं. पहले राष्ट्रपति बुश पर उस लॉबी का प्रभाव था जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर युद्ध के पक्ष में थी. अब लगता है कि वह लॉबी प्रभावशाली हो रही है जो बातचीत करना चाहती है."
उनका कहना है, "ये बात साफ़ है ईरान पर जितना दबाव पहले था, अब उतना नहीं है. सब कुछ अमरीका की अंदरूनी राजनीति पर निर्भर है. बुश प्रशासन का जो साल या सवा साल का कार्यकाल बचा है, उसमें वह संभवत: उसमें कोई ऐसा घटनाक्रम शुरु नहीं करने चाहेगा जिससे उसकी मुश्किलें बढ़ें."
'अंतरराष्ट्रीय दबाव जारी रखें'
अमरीका की 16 ख़ुफ़िया एजेंसियों की जानकारी पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान यूरेनियम संवर्द्धन ज़रूर कर रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार यदि ईरान परमाणु हथियारों पर शोध जारी रखता है तो वह अगले आठ साल में परमाणु बम बना सकता है.
इस आकलन में ये भी कहा गया है कि अब ईरान अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव की ओर ज़्यादा ध्यान दे रहा है और अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय ने अन्य देशों से कहा है कि वे ये दबाव जारी रखें.
पिछले कुछ वर्षों से अपने विवादित परमाणु कार्यक्रमों को लेकर ईरान को अमरीका सहित दुनिया के कई देशों की ओर से जिस तरह सख्त चेतावनियां दी गईं, वो अमरीकी ख़ुफिया एजेंसी के इस आकलन की रौशनी में बिल्कुल उल्टी पड़ जाती है.
पिछले महीने भी अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने कहा था कि अगर तीसरे विश्व युद्ध को न्योता नहीं देना है तो ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को रोकना होगा.
हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से एक वक्तव्य जारी कर ये कहा गया है कि ये रिपोर्ट बुश प्रशासन की उस नीति को सही ठहराती है, जिसमें ईरान को विवादित परमाणु कार्यक्रम का हल बातचीत के ज़रिये निकालने पर जो़र दिया जा रहा है.
अमरीका की ख़ुफ़िया एजेंसियों के आकलन के अनुसार ईरान का मकसद अब भी स्पष्ट नहीं है. ईरान शुरु से ही कहता आया है कि उसका कोई परमाणु हथियार बनाने का कार्यक्रम नहीं है.
अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के एक वरिष्ठ सलाहकार का कहना है कि ख़ुफ़िया रिपोर्ट सकारात्मक है लेकिन ईरान के 'परमाणु हथियार हासिल करने का ख़तरा गंभीर' है.
अमरीका में बॉस्टन विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हुसैन हक्कानी ने बीबीसी के अनीश अहलूवालिया को बताया, "इस रिपोर्ट से राष्ट्रपति बुश को कुछ शर्मिंदगी तो होगी लेकिन ये ईरान पर नीति बदलने का एक बहना भी बन सकता है."
प्रोफ़ेसर हक्कानी का कहना है, "अमरीका की बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ घरेलू झगड़ों को प्रतिबिंबित करती हैं. पहले राष्ट्रपति बुश पर उस लॉबी का प्रभाव था जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर युद्ध के पक्ष में थी. अब लगता है कि वह लॉबी प्रभावशाली हो रही है जो बातचीत करना चाहती है."
उनका कहना है, "ये बात साफ़ है ईरान पर जितना दबाव पहले था, अब उतना नहीं है. सब कुछ अमरीका की अंदरूनी राजनीति पर निर्भर है. बुश प्रशासन का जो साल या सवा साल का कार्यकाल बचा है, उसमें वह संभवत: उसमें कोई ऐसा घटनाक्रम शुरु नहीं करने चाहेगा जिससे उसकी मुश्किलें बढ़ें."
'अंतरराष्ट्रीय दबाव जारी रखें'
अमरीका की 16 ख़ुफ़िया एजेंसियों की जानकारी पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान यूरेनियम संवर्द्धन ज़रूर कर रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार यदि ईरान परमाणु हथियारों पर शोध जारी रखता है तो वह अगले आठ साल में परमाणु बम बना सकता है.
इस आकलन में ये भी कहा गया है कि अब ईरान अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव की ओर ज़्यादा ध्यान दे रहा है और अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय ने अन्य देशों से कहा है कि वे ये दबाव जारी रखें.
पिछले कुछ वर्षों से अपने विवादित परमाणु कार्यक्रमों को लेकर ईरान को अमरीका सहित दुनिया के कई देशों की ओर से जिस तरह सख्त चेतावनियां दी गईं, वो अमरीकी ख़ुफिया एजेंसी के इस आकलन की रौशनी में बिल्कुल उल्टी पड़ जाती है.
पिछले महीने भी अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने कहा था कि अगर तीसरे विश्व युद्ध को न्योता नहीं देना है तो ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को रोकना होगा.
हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से एक वक्तव्य जारी कर ये कहा गया है कि ये रिपोर्ट बुश प्रशासन की उस नीति को सही ठहराती है, जिसमें ईरान को विवादित परमाणु कार्यक्रम का हल बातचीत के ज़रिये निकालने पर जो़र दिया जा रहा है.
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