Thursday, February 14, 2008

'भारत में महामारी का रूप लेता धूम्रपान'

शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत में धूम्रपान एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। इसकी वजह से सन् 2010 तक हर साल लगभग 10 लाख लोगों की मौत होने लगेगी।

न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ़ मेडिसिन में छपे शोध में कहा गया है कि इसमें आधे ग़रीब और अशिक्षित लोग होंगे।

ये शोध भारत, कनाडा और ब्रिटेन के डॉक्टरों ने संयुक्त रूप से किया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार ये भारत में धूम्रपान को लेकर किया गया अब तक का सबसे व्यापक अध्ययन है। इसमें 900 अध्ययनकर्ताओं ने देश के विभिन्न हिस्सों के 11 लाख घरों में जाकर तथ्य जुटाए हैं।

टोरंटो विश्वविद्यालय के ग्लोबल हैल्थ रिसर्च सेंटर के प्रभात झा कहते हैं,'' नतीजों से हम अचंभित हैं क्योंकि भारत में लोग धूम्रपान देर से शुरू करते हैं और वे यूरोप और अमरीका के लोगों के मुक़ाबले कम सिगरेट अथवा बीड़ी पीते हैं।''

नतीजों से हम अचंभित हैं क्योंकि भारत में लोग धूम्रपान देर से शुरू करते हैं और वे यूरोप और अमरीका के लोगों के मुक़ाबले कम सिगरेट अथवा बीड़ी पीते हैं।

प्रभात झा, टोरंटो विश्वविद्यालय

इस अध्ययन के अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 12 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं। इसमें से 39 और 69 साल की उम्र के 30 फ़ीसदी मर्द और पाँच फ़ीसदी महिलाएँ सिगरेट अथवा बीड़ी पीती हैं।

प्रभात झा के अनुसार अध्ययन से पता चला कि बीमार पड़ने से पहले केवल दो फ़ीसदी लोग धूम्रपान छोड़ते हैं

समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार भारत के स्वास्थ्य मंत्री अबुमणि रामदॉस ने एक बयान में कहा कि वो इस अध्ययन के नतीजे से चिंतित हैं।

उनका कहना था कि भारत सरकार तंबाकू इस्तेमाल को कम करने के लिए सभी संभव क़दम उठा रही है, विशेषकर ग़रीबों और अशिक्षित लोगों को जानकारी दी जा रही है।

ग़ौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताज़ा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि धूम्रपान करने वाले कुल लोगों में से दस फ़ीसदी भारत में रहते है।

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