भारत सरकार ने बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तस्लीमा नसरीन का वीज़ा बढ़ाने का फ़ैसला किया है। लेकिन ये स्पष्ट नहीं किया कि ये कितनी अवधि के लिए बढ़ाया गया है।
ग़ौरतलब है कि तस्लीमा के वीज़ा की अवधि रविवार को समाप्त हो रही थी और इसको बढ़ाए जाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नवतेज सरना ने बताया,'' भारत सरकार ने तस्लीमा नसरीन का वीज़ा बढ़ाने का निर्णय किया है।''
भारत की परंपरा रही है कि जिन्होंने माँगा है, हमने उन्हें आतिथ्य प्रदान किया है। भारत ने उन लोगों को सुरक्षा दी है जो हमारे मेहमान बनकर आए हैं।
नवतेज सरना, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
सरना ने कहा,'' भारत की परंपरा रही है कि जिन्होंने माँगा है, हमने उन्हें आतिथ्य प्रदान किया है। भारत ने उन लोगों को सुरक्षा दी है जो हमारे मेहमान बनकर आए हैं।''
उनका कहना था कि तस्लीमा नसरीन हमारी मेहमान हैं और अपनी परंपरा के अनुरूप हमने उन्हें ऐसी ही सुविधाएं दी हैं।
साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि भारत में जो मेहमान के रूप में आए हैं, उन्हें यहां की परंपराओं को लेकर सजग रहना चाहिए और ऐसा कोई आचरण नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरे देशों के साथ हमारे संबंधों अथवा हमारे धर्मनिरपेक्ष आदर्शों पर प्रभाव पड़े।
बुद्धजीवियों का समर्थन
तस्लीमा नसरीन को पिछले कुछ महीनों से अज्ञातवास में रखा जा रहा है। लेकिन उनके समर्थन में स्वर भी उठने लगे हैं।
बुधवार को विभिन्न बुद्धिजीवियों ने उन्हें भारत की नागरिकता देने की मांग की थी।
तस्लीमा नसरीन को मिलने जुलने की आज़ादी न देने पर प्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी ने कड़ा विरोध जताया था।
हम केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार से लेखकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तस्लीमा नसरीन को भारत में रहने और लिखने की आज़ादी देने की माँग करते हैं।
महाश्वेता देवी, प्रसिद्ध लेखिका
उनका कहना है कि सरकार का यह व्यवहार विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है।
महाश्वेता देवी ने भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार से लेखकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तस्लीमा नसरीन को भारत में रहने और लिखने की आज़ादी देने की मांग की थी।
बुकर अवार्ड से सम्मानित लेखिका अरुंधति राय ने भी तस्लीमा की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई थी।
उल्लेखनीय है कि तस्लीमा नसरीन के ख़िलाफ़ कुछ मस्लिम संगठनों के उग्र प्रदर्शन के बाद उन्हें कोलकाता छोड़ने को कहा गया था।
उसके बाद उन्हें कोलकता से जयपुर, जयपुर से दिल्ली और फिर उन्हें सुरक्षाकर्मी एक अज्ञात स्थल पर ले गए और तब से उन्हें अज्ञातस्थल पर ही रखा जा रहा है।
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