अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने चीन से अनुरोध किया है कि वो तिब्बत मसले पर निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधि, दलाई लामा से बातचीत का सिलसिला शुरू करे।
अमरीकी राष्ट्रपति ने बुधवार को चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ से इस संबंध में टेलीफ़ोन के ज़रिए बातचीत की।
बातचीत में अमरीकी राष्ट्रपति ने चीनी राष्ट्रपति से यह भी अनुरोध किया कि तिब्बत में पत्रकारों और राजनायिकों को आने-जाने से न रोका जाए।
इससे पहले बुधवार को ही चीनी प्रशासन की देखरेख और नियंत्रण में विदेशी पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल तिब्बत पहुँचा है।
पिछले दिनों तिब्बत में शुरू हुए चीन विरोधी प्रदर्शनों और उसके बाद हुई हिंसा के बाद विदेशी पर्यटकों और ख़ासतौर पर पत्रकारों के आने पर लोग गए थे।
प्रेस के एक पत्रकार ने बताया है कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा की स्थिति छावनी जैसी बनी हुई है और चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती है।
एपी के पत्रकार ने बताया कि सरकारी भवनों की सुरक्षा के लिए अभी भी बड़ी तादाद में सुरक्षाकर्मी तैनात कर रखे गए हैं।
चीन का विरोध
इस बीच दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में तिब्बत मूल के लोगों का चीन विरोध जारी है।
तिब्बत
ल्हासा की स्थिति अभी भी छावनी जैसी बनी हुई है।
बुधवार को भारत प्रशासित कश्मीर की राजधानी में भी कुछ तिब्बती मूल के लोगों ने एक शांतिपूर्ण मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज किया था।
हालांकि इस प्रदर्शन में तिब्बत मूल के मुस्लिम लोगों ने हिस्सा नहीं लिया।
ग़ौरतलब है कि भारत में शरण लेकर रह रही तिब्बत की निर्वासित सरकार समय समय पर चीन से तिब्बत को स्वायत्त करने और अपने प्रभाव से मुक्त करने की मांग करती रही है।
इस वर्ष चीन में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है और ऐसे मौके पर स्वायत्त तिब्बत की मांग करने वाले लोग इस मुद्दे को दुनिया के सामने लाने का मौका नहीं खोना चाहते।
तिब्बत की राजधानी ल्हासा में पिछले दिनों इन्हीं मुद्दों पर कुछ उग्र प्रदर्शन हुए जिसके बाद प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग भी हुआ।
निर्वासित तिब्बती सरकार के मुताबिक यहाँ प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई थी।
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