पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसा के दौर को देखते हुए इराक़ सरकार ने राजधानी बग़दाद में तीन दिन के लिए कर्फ़्यू लगा दिया है।
इस सप्ताह की शुरुआत से ही इराक़ के दक्षिणी शहर बसरा में शिया कट्टरपंथियों और इराक़ी सेना के बीच भीषण संघर्ष जारी है जिसमें 130 से भी ज़्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं।
बसरा से शुरू हुई हिंसा बाद में देश के अन्य शिया आबादी वाले हिस्सों में भी फैलने लगी। राजधानी बग़दाद के शिया आबादी वाले क्षेत्र में भी हिंसक झड़पें हुई हैं।
स्थिति को देखते हुए अब इराक़ सरकार ने राजधानी में तीन दिन के लिए कर्फ़्यू लगा दिया है।
शिया कट्टरपंथियों को चेतावनी
अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इराक़ में शिया कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे अभियान को अपना समर्थन देते हुए कट्टरपंथियों से निपटने के प्रयासों की सराहना की है।
उन्होंने इराक़ी प्रधानमंत्री के शिया कट्टरपंथियों से कठोरता से निपटने के क़दम की भी सराहना की। इराक़ी सेना के अभियान को अमरीकी सैनिकों की ओर से भी मदद मिल रही है।
हिंसा के दौरान दो अमरीकी लोगों के मारे जाने के बाद अमरीकी सरकार ने बग़दाद स्थित अपने दूतावास के कर्मचारियों को सतर्क कर दिया है और कहा है कि वे ग्रीन ज़ोन इलाके से बाहर न निकलें।
शिया लड़ाकों को चेतावनी
इससे पहले बुधवार को इराक़ी प्रधानमंत्री नूर अल मलिकी ने चेतावनी दी थी कि अगर बसरा में संघर्ष कर रहे शिया कट्टरपंथी 72 घंटे में हथियार नहीं छोड़ते हैं तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
शिया लड़ाके
पिछले दो दिनों के दौरान 70 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं
उधर प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद शिया कट्टरपंथियों के नेता ने कुछ नरमी दिखाते हुए समझौते का प्रस्ताव रखा है।
इराक़ के कट्टरपंथी शिया संगठन के सरबरा मुक्तदा अल सद्र ने कहा है कि अगर इराक़ी प्रधानमंत्री बसरा छोड़ दें तो दोनों पक्षों के बीच बातचीत की संभावना बन सकती है।
सद्र ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है कि इस पूरे मसले का राजनीतिक हल निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए।
शिया बाहुल्य क्षेत्र बसरा सुरक्षा की दृष्टि से पिछले कुछ बरसों से ख़ासा संवेदनशील इलाका रहा है।
इराक़ पर 2003 में अमरीकी नेतृत्व वाले गठबंधन के हमले के बाद से बसरा में ब्रितानी सैनिक तैनात किए गए थे और उस इलाक़े की ज़िम्मेदारी उन्हीं पर थी। हालांकि पिछले वर्ष के अंत में ब्रितानी सरकार ने बसरा का नियंत्रण इराक़ी सुरक्षाबलों को सौंप दिया था।
तेल के बड़े भंडार वाले स्थान के तौर पर जाने जानेवाला बसरा वर्चस्व और प्रभाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
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