ख़बरें हैं कि बढ़ती महंगाई की स्थिति पर विचार के लिए सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की कीमतों संबंधी समिति बैठक बुलाई गई है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में होनेवाली इस बैठक में कृषि मंत्री शरद पवार, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी और वाणिज्य मंत्री कमलनाथ मौजूद रहेंगे।
ग़ौरतलब है कि इस समय भारत में खाद्य वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं।
वित्त सचिव डी सुब्बाराव ने शनिवार को एक सेमिनार के दौरान बढ़ती कीमतों को काबू में लाने के लिए सरकारी क़दमों के बारे में पूछे जाने पर इस बैठक के बारे में जानकारी दी थी।
उनका कहना था कि मुद्रास्फ़ीति की दर काफ़ी चिंताजनक है, इसके लिए काफ़ी हद तक अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोत्तरी ज़िम्मेदार है।
उल्लेखनीय है कि इस समय मुद्रास्फ़ीति की दर 13 माह के सर्वोच्च स्तर 6।68 प्रतिशत पर है।
कुछ महीने पहले तक यह दर चार फ़ीसदी के आसपास थी लेकिन 15 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में यह 0।76 फ़ीसदी की बढ़त के साथ 6।68 तक पहुँच गई।
वामपंथियों की चेतावनी
दूसरी ओर महंगाई को लेकर न केवल विपक्षी भारतीय जनता पार्टी बल्कि सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने भी चेतावनी दी है।
पंद्रह अप्रैल के बाद वामपंथी अन्य दलों के साथ बातचीत कर कीमतों में वृद्धि के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन छेड़ेगे
सीताराम येचुरी, सीपीएम नेता
वामपंथी दलों ने बढ़ती महंगाई के लिए कांग्रेस नेतृत्ववाली यूपीए सरकार की आलोचना की है।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कोयंबटूर में पार्टी कांग्रेस के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पार्टी ने महंगाई पर नियंत्रण के लिए 15 अप्रैल की समयसीमा तय की है।
उनका कहना था,'' पंद्रह अप्रैल के बाद वामपंथी अन्य दलों के साथ बातचीत कर कीमतों में वृद्धि के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन छेड़ेगे।''
उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में तत्काल क़दम उठाने चाहिए।
येचुरी का कहना था कि सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं और आम आदमी के लिए यह काफ़ी मुश्किल स्थिति है।
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