अमरीकी सरकार ने मंदी की आशंका के कारण वित्तीय बाज़ारों के लिए व्यापक क़दमों की घोषणा की है।
माना जा रहा है कि 1930 की मंदी के बाद ये सबसे व्यापक क़दम हैं।
जानकारों का कहना है कि अमरीका की वित्तीय व्यवस्था में लंबे समय से बदलाव नहीं किया गया था जिसे करने का फ़ैसला अब लिया गया है।
अब वित्तीय ढाँचे की गतिविधियों को अलग अलग राज्यों की बजाए उन्हें अमरीका के केंद्रीय बैंक की निगरानी में रखा जाएगा।
हमारी पहली प्राथमिकता है वित्तीय संकट, घरों की गिरती क़ीमतों से पैदा हुआ संकट, और हम इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझाना चाहते हैं
हेनरी पॉलसन, अमरीकी वित्त मंत्री
अमरीका के वित्त मंत्री हेनरी पॉलसन का कहना है कि इससे उन्हें ये आशा तो नहीं है कि वित्तीय बाज़ारों की वर्तमान समस्याएँ सुलझ जाएंगी लेकिन लंबे समय के लिए ये एक अच्छी व्यवस्था बनाने की कोशिश है।
उनका कहना था,'' हमारी पहली प्राथमिकता है वित्तीय संकट, घरों की गिरती क़ीमतों से पैदा हुआ संकट और हम इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझाना चाहते हैं।''
व्यापक क़दम
अमरीकी वित्त मंत्री का कहना था,'' हम जो बड़े बदलाव लागू करना चाहते हैं, हम उन्हें तब तक पूरी तरह लागू नहीं कर सकते जब तक कि ये समस्याएँ सुलझा नहीं ली जातीं।''
लेकिन वित्त मंत्री हेनरी पॉलसन को वित्तीय व्यवस्था के बदलाव करने के लिए अपनी योजना को संसद से मंज़ूर करवाना होगा।
इन क़दमों के बाद सोमवार देर शाम अमरीकी शेयर बाज़ारों में मामूली उछाल आया।
डाओ जोन्स का सूचकांक 47 अंक और नैसडैक 17 अंक ऊपर बंद हुआ।
इधर भारत सोमवार को शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स लगभग 727 अंक गिरकर 15,644 पर बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी लगभग 207 अंक लुढ़क कर 4,734 रह गया।
इस वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में सेंसेक्स में लगभग 23 फ़ीसदी की गिरावट आ चुकी है।
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