अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अपनी माली हालत सुधारने के लिए अपने कोष से 400 टन सोना बेचने की तैयारी कर रहा है।
मुद्रोकोष की इस योजना को वाशिंगटन में हुई बोर्ड की बैठक में मंज़ूरी मिल गई है।
यदि मुद्राकोष यह क़दम नहीं उठाता है तो आने वाले सालों में उसका वित्तीय घाटा 40 करोड़ डॉलर तक हो सकता है।
योजना के अनुसार 400 टन सोना बेच दिया जाएगा, जो मुद्राकोष के पास जमा सोने का 12 प्रतिशत है।
उम्मीद जताई जा रही है कि इतना सोना बेचने से मुद्राकोष को जो राशि मिलेगी उसका निवेश किया जाएगा और इससे हर साल तीस करोड़ डॉलर तक की राशि मिल सकती है।
शेष दस करोड़ डॉलर का घाटा खर्चो में कटौती करके पूरा किया जाएगा।
मुद्राकोष के इस प्रस्ताव पर अमल करने के लिए कई सदस्य देशों को अपने संविधान में संशोधन करना होगा।
सोना बेचने के लिए मुद्राकोष को अमरीकी संसद की मंज़ूरी भी लेनी होगी और माना जा रहा है कि वहाँ इस पर तीखी बहस हो सकती है।
मुद्राकोष की आय में पिछले सालों में इसलिए कमी हुई है क्योंकि अब कम ही बड़े विकासशील देश इस संस्था से कर्ज़ ले रहे हैं और इसलिए वे ब्याज भी अदा नहीं कर रहे हैं।
पिछले दिनों में सबसे बड़ी वित्तीय सहायता की ज़रुरत अर्जेंटीना को पड़ी थी पर उसे भी अब छह साल हो गए।
एशियाई देशों में एक दशक पहले आई मंदी का असर यह हुआ है कि अब हर देश के पास विदेशी मुद्रा का एक बड़ा भंडार है।
शायद इस संग्रह का कारण यही है कि वे देश मुद्राकोष से कर्ज़ नहीं लेना चाहते।
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